शनिवार, 31 दिसंबर 2011

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)


ओष के अन्हरियॉ में भॅ गेल मुलाकॉत बुचियाँसँ 
नॅजॅर मिलल तॅ लागल सबटा गॅप भॅ गेल हुनकासँ
हुनका आँखी में छल एहन सुरमा कि हम कि कहू
हमर पुरा देह के रोंई क लेलक दिल्लगी हुनकासँ
वस्त्र छल किछु एहन ऊपर लिपिस्टिक के एहसास
आखिर धौला कुआं में क लेलो छेर-छार हुनकासँ
गाबैऽ लगलैन् हुनकर चुप्पी किछु सुन्दर गज़ल
समाँरल नै जै छलैन "मोहन जी" ख्याल हुनकासँ

गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)


गिरैतऽ अछी जखन नोर आँखी स 
झरऽ लागैत अछी दरद आँखी स
 
भाग्य में हुनका चाँद सुरज होय अछी
देखई में लागैत अछी जे फकीर आँखी स
 
खीच देता ओ आई अपन छाती पर
जिनगीक दरदकऽ अड्डा आँखी स
 
फेर नहीं जनि पायब, जायत कते जान
"मोहन जी" छोरी देता जौ तीर आँखी स

शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

पुरुषक माथक ललका पाग अछि स्त्री

काल्हि श्रीराम सेंटर खचाखच भरल छल, दर्शकक थपड़ी स श्रीराम सेंटरक हरेक कोन गुंजि रहल छल, एक बेर फेर गवाह बनल श्रीराम सेंटर मिथिलाक एकटा अद्भुत दृश्य केर, जी हाँ मौका छल मिथिलोत्सव २०११ क.
ओना त प्रकाश झा एही स पहिनो कैकटा नाटकक आ कर्यक्रमक सफल मंचन कए चुकल अछि मुदा एही उत्सव क देखैत इ कहल जाय सकय छी की हुनकर निर्देशन म दिन प्रतिदिन निखार आबी रहल छल
कार्यक्रमक शुरुवात भेल मंच संचालक सोम्या जीक मधुर आवाज सों, सोम्या जी एकटा मांजल कलाकार त छेबे करथिन संगे एकटा नीक मंच संचालिका सेहो, हुनकर मंच संचालन दर्शक म एकटा नव स्फूर्ति प्रदान करैत आयल। फेर मंच पर आयल नेहा वर्मा जिनकर नृत्य दर्शक केर दिल पर एकटा अमिट छाप छोरि देलक, दर्शक थपडी स रुकय क नाम नै लए रहल रहे।

आओर नृत्यक बाद शुरू भेल नाटक "ललका पाग" ;राजकलम चौधरी द्वारा लिखित एही कहानीक मंचन त पहिनो कैक बेर भ चुकल अछि मुदा राजकमल चौधरी क एहने प्रभाव अछि जे हरेक बेर इ नाटक एकटा नव आ नीक रूप म अबैत अछि। मैथिल स्त्रीक संस्कार आ हुनकर चरित्रक सम्पूर्ण विवरण अछि एही नाटक म, मैथिल स्त्री कोनाक अपन सासुर म रहय पडैत अछि कोनाक हुनका दुःख सहितो सासुर केर सेवा म लागय पड़य अछि, कोनाक अपन पतिक सुख लेल ओ सब किछुक त्याग क सकय अछि।

नाटकक रंग तखन आओर गहरिया गेल जखन एही म मुकेश जीक आ ज्योती जीक अभिनयक तड़का लागल। निश्चित कर्यक्रम म चार चाँद लगा देलक तिरु क रूप म ज्योती जीक अभिनय आ राधा चौधरीक अभिनय म मुकेश जी, दुनु गोटे मैलोरंगक मांजल कलाकार त अछिए संगे दुनु म अभिनय छमता कूट-कूट क भरल अछि, नाटकक अंत केर एकटा दृश्य मोन पडैत अछि जखन राधा चौधरी बनल मुकेशक कनबाक दृश्य छल, हुनक ओ भोकरी दर्शक द्रिघा म बैसल सब गोटेक हृदयक पार भ गेल, खुद मुकेश जीक उम्दा अभिनय जे बिना गिलिसरीन क हुनकर आंखि स नोर बहे लागल।

फेर शुरू भेल कर्यक्रम दोसर चरण जाही म सम्मान समारोहक आयोजन करल गेल छल, मैथिली रंगमंचक क्षेत्र म उत्कृष्ठ योगदानक लेल तीन गोटेक एही सम्मान स विभूषित करल गेल


ज्योतिरीश्वर सम्मान - रंगकर्मी दयानाथ झा
मैथिली नाटक मे दीर्घकालीन आ उत्कृष्ट सक्रियता क लेल हिनका इ सम्मान देल
गेलैनि। दयानाथ जीक जन्म २ जनवरी १९४० क मधुबनीक नगदाह गाम म भेलैनि अछि। तकनीकी पढाईक संग रविन्द्र भारती नाट्य संस्थान कोलकाता स सीनियर डिप्लोमा इन ड्रामा केलैनि अछि। कोलकाता म १९५६ स लगातार मैथिली रंगमंचीय गतिविधि स जुडल अछि। लगभग पचास टा मैथिली नाटक म अभिनय केलैनि अछि। आकाशवाणी कोलकाता क दस-बारह कार्यक्रम म सहभागिता। भारत आ नेपाल म कैकटा सम्मान स सम्मानित संगे चेतना समिति पटना स मिथिला विभूति सम्मान स सम्मानित। मैथिली रंग मंच म अपन जीवनपर्यंत योगदान देबाक लेल हिनका ई सम्मान देल गेल अछि।

श्रीकांत मंडल सम्मान -
रंगकर्मी मुकेश झा
मैथिली रंगपटल पर अभिनयक क्षेत्र म अपन उत्कृष्ट योगदान क लेल हिनका ई युवा सम्मान देल गेलैनि अछि
। मुकेश जी मूल रूप स बरहा, मधुबनी, बिहारक अछि, १२ अप्रेल १९८१ म जनमल एही युवा रंगकर्मी महाविद्यालयक समय स रंगमंच म सक्रिय अछि। स्नातकक बाद दिल्ली स्थित श्री राम सेंटर स रंगमंच म दू वर्षक डिप्लोमा केलैनि अछि। रंगमंच म अपन विशिष्ठ योगदानक लेल संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार स नॅशनल जूनियर फेलोशिप प्राप्त एही युवा रंगकर्मी क लगभग ३५ टा नाटक मे अभिनय आ ५० टा सा बेसी नाटक मे मंच पाश्व क विशेष अनुभव अछि हिनका। मेलोरंग रेपर्टरीक प्रमुख संगे नटरंग प्रतिष्ठानक प्रलेखन विभाग म कार्यरत।

प्रमिला झा सम्मान - रंगकर्मी सुधा झा
मैथिली रंगमंच म महिलाक सक्रियता क प्रोत्साहित करय क लेल एही वर्षक सम्मान मैथिली रंगमंचक सुप्रसिद्ध अभिनेत्री सुधा झा क देल गेल अछि
। सुधा जीक जन्म दरभंगा मे भेल अछि। नैनपन स मैथिली रंगमंच म अपन जोरदार उपस्थितिक संग प्रमिला जी बोकारो आ दरभंगाक कैकटा मैथिली आ हिंदी नाटक म अभिनय केलैनि अछि।  मैथिली, हिंदी, आ भोजपुरीक कैकटा फिल्म, सीरियल, आ विज्ञापन मे प्रमिला जी अभिनय क चुकलखिन अछि। सुधा जी मैलोरंग स लगातार जुडल अछि आ मैलोरंगक कैकटा नाटक म अपन योगदान द चुकल अछि।


फेर शुरू भेल रंगारंग कार्यक्रमक सुरुवात भेल मैथिली रंग म रंगल एकटा छः वर्षक मिथिलाक बेटी "मैथिली ठाकुर" स जिनकर जय जय भैरवी स भेल शुरुवात दर्शकगण म एकटा नब उर्जाक संचार केलक, निश्चित कहल जाय सकय अछि जे मैथिली ठाकुर मिथिलाक उद्दीयप्मान  गायिका बनि क उभरत
। मैथिली ठाकुर सारेगामा लिट्ट्ल चेम्स म सेहो पार्टीसिपेट केने अछि आ हुनकर गायकी लाजवाब लागल

फेर एक एक कए क मंच पर रास गायक लोग एलेंन जाही म संजय झा जी जोगिया रूप हम देखलो गे माई, भाष्कर जीक हेरोउ उगना,  करुना जीक  दर्शन दिय माँ दुर्गा भवानी, आ पुष्पा जीक मोरा रे अंगनवा शामिल रहे
। सबहक गायिकी कुनू खास नै लागल एहेन बुझायल जे सब कियो जबरदस्ती मंच पर चढ़ी गेल होए

एही सबहक बीच मैथिलीक एकटा एहन सितारा रहे जिनकर बाट आय तीन मास स हुनकर संगीत प्रेमी जोह रहल रहे, जी हाँ हम गप कए रहल छी मैथिली संगीतक सुरमनी "अंशुमाला जी" ;
गंभीर बीमारी स ग्रस्‍त अंशु एक प्रकार स दोसर जन्‍म ल एक बेर फेर मंच पर देखि दर्शकगणक ताली स सोंसे श्रीराम सेंटर गुंजि गेल। पिया मोरा बालक आ झूमना बरद संग केर प्रस्तुति दर्शकक वाह वाह करय क लेल मजबूर क देलक। आब एकरा संयोग कहू आ की अंशुक इच्‍छा मुदा हिंदी आ मैथिली मंचक एहि युवा गायिकाक मंच पर वापसी मैथिली मंच स भेल, ताहि लेल हुनका अपनो गर्वक अनुभूति भ रहल रहे।

कुल मिलाक मिथिलोत्सव अपन एकटा अमिट छाप छोडेय म सफल रहल। दिल्ली म मिथिलाक एही धमक सोंसे उत्तर बिहार म सूना पड़य से माँ भगवती स कामना करैत आ रंगमंचक चर्चा करैत सब विदा भेल। निश्चित प्रकाश जी एकटा नीक निर्देशक संगे एकटा नीक लोग सेहो छथिन जे दिल्ली म मिथिलाक गूंज क समय समय पर गुंजायमान करैत रहैत अछि। आ दिल्ली म मिथिला क चमक क बरक़रार रखि रहल अछि ताहि लेल हुनका पुनः पुनः धन्यवाद।

मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

स्वाभिमान

एकटा गरीब सन बच्चा काल्हि कॉलेज गेट पर कही रहल रहे, "भाईजी हम अहाँक गाड़ी साफ़ कए दी"।
"भागली की नै, हमरा नै करेबाक अछि अपन गाडी साफ़, जो कतो आरो बाट ताक गे"  हुनका देखि बड़ा बेरुखी स ओ कहलक।
"भाईजी हम दू दिन स किछु नै खेलोंउ अछि।" बच्चा हकरैत बिहुसैत कहलक।
" ई ले दू टका आ किछु खाइ आ गे।" ओ दया से दू टकाक नोट दैत बाजलक।
" नै भाईजी, हमर बहिन हमरा जाने मारि दैत। ओ हमरा भीख मांगय स मना केलक अछि"।
। बच्चाक चेहरा स्वाभिमान स दमैक उठल, भाईजी विस्मित भए क हुनका ताकि रहल अछि।

सांझखन क हकार अछि चलू श्रीराम सेंटर

मैथिली नाटक कए समर्पित संस्‍था मैलोरंग क तत्‍वावधान मे मिथिलोत्‍सव 2011 क आयोजन कैल गेल अछि। मंगलवार सांझखन दिल्‍ली क मंडी हाउस स्थित श्रीराम सेंटरक सभागार मे अपने सब लोकनि कए संस्‍था दिस स हकार देल गेल अछि। एहि समारोह में नाटक स संबंधित तीनटा सम्‍मान देल जाएत। संगहि राजकमल चौधरीक प्रसिद्ध रचना ललका पाग क मंचन कैल जाएत। प्रकाश झा एही स पहिनो कैकटा नाटकक सफल मंचन कए चुकल अछि, एही बेर सेहो ललका पाग अपन उत्कृष्ठता में नज़र आयत। त सब काज छोरु आ चलू श्रीराम सेंटर।

सोमवार, 19 दिसंबर 2011

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)


तरहथ्थी पर दिया जरौंने छी हम
सपना केऽरी ऐहन् सजौंने छी हम 
आहा आबू या नै आबू मर्जी आहके 
बहुत प्यार-स्नेह सँ बजेलो या हम 
लिखलो ओस स आहाक नाम लक
ओहे गीत आहा के सुनलो हन हम
जीवन में खुशी अही स मिलल या
अहि केरी नाम गुनगुनाबे छी हम
"मोहन जी"क नोर के बजह पूछैं छी
दर्द के छल तै बहा रहलो हन हम

शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)


सब तरहक रंग में हम फिट भ गेलो
नेता सब दुनियां में गिरगिट भ गेले
 
अफसर सब स ओ मिलत सिवाय जे
गेटकी पर लटकल होय चिट् भ गेले
 
चोर-डाकू और लफंगा-उचक्का सेहो सब
सब के सब संसद में परमिट भ गेले
 
"मोहन जी"हर युग में सदा सूली चढल
कातिल-झूठा के नारा मगर हिट भ गेले

बुधवार, 14 दिसंबर 2011

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)



सब त दारू के बोतल मुँह सऽ उठा क पिबै या /
"मोहन जी"  गिलास में कने पिलैथ त की भेल //
सब पर्दा में दुनियाँ के ठगे या और चोरी करे या /
हम कोनो लड़की के दिल चोरा लेलो त की भेल //
चोर सब चोरी के लेल राईत अन्हरिया मंगैत या /
हम प्यार करे के लेल ईजोरिया मंगलो त की भेल //
भगवान स दुनियाँ पाई-रूपया घर-दुआर मगैंत या /
हम सुंदर सुशिल सभ्य लड़की मंगलो त की भेल //
सब त दारू के बोतल मुँह सऽ उठा क पिबै या /
"मोहन जी"  गिलास में कने पिलैथ त की भेल //

शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011

ग़ज़ल

सजनी की रूप त कमाल भऽ गेलै
गामक सब छौड़ा भेहाल भऽ गेलै

देखलों जे अहाँक मुसकी सजन
अन्हारियो राति मs इजोर भऽ गेलै

छौड़ा त अपने जवानी मs मगन
बुढबो सब अ
नसम्हार भऽ गेलै

चलली जखन ओ ओढ़नी उड़ाए
सबके त जड़िया बोखार
भऽ गेलै

देखलक सुनील जे गामक हाल
पुछू नै हुनकर की हाल
भऽ गेलै




गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)

समय देत अगर साथ त हम जरुर मिलब /
होयत अगर दारू के भोज त हम फेर मिलब //


"मोहन जी"  ईजोरिया के लेल ओध्लो अन्हरिया /
ढैल जायत अनहरिया राईत त हम फेर मिलब // 


हमरा जरुरत नहीं या पुछबाक उत्तर केरी /
पुछल जायत सवाल त हम फेर मिलब // 


जितब अगर आहा त बाजी लगा लिय / 
देब आहा के सज्जा त हम फेर मिलब //            


           

बुधवार, 7 दिसंबर 2011

 जय माँ वनेश्वरी - अजय ठाकुर (मोहन जी)

 वनेश्वरी (बिना) माता, दरभंगा जिला के भंडारिसम और मकरंदा गाँव केरी बीच मे छथी, ई कहानी बहुत पूरण अछी जखन अग्रेज के शाशन छल !  अग्रेज हिनका स् बियाह करऽ चाहेत छलैनी ताही लकऽ हिंकार बाबूजी(वाने) बहुत दुखी रहेत छलखिन ई बात जखन वनेश्वरी केरी मालूम परिलैन तऽ वनेश्वरी कहलखिन की बाबूजी आहा  चिंता ज़ूनी करू हम ही आहा के चिंता के कारण छी ने हम आहाक चिंता दूर क देब ! 
एक दिन बिना अपन भतीजा के कोरा मे लकऽ बैशल छली तहीने अग्रेज अपन शेना के  लकऽ अबी गेल,  ई देख वनेश्वरी गाँव के बाहर एक टा पोखेर या त्लिखोरी  ओतऽ चलीऽ गेली और ओही पोखेर मे जा कऽ कूद गेली आ अपन प्राण दऽ देलखीन कुछ साल बीतलाक बाद ई  डमरू पाठक नाम केऽरी परीवार मे स्वप्न देलखीन, की हम त्लिखोरी पोखैर मे छी हमरा एते स निकालु !  डमरू पाठक के परिवार अपना गाँव में सब के स्वप्न वला बात कहलखिन, ई बात सुनी क सब हका-बका रही गेलाह और ओही पोखेर में सऽ निकले के विचार में जुईट गेला !
गाँव केरी पांच टा ब्राम्हण गेला और ओही पत्थर रूपी प्रतिमा के बाहर निकालैथ  जे की ओ प्रतिमा ४.५" छल, और ओही वानेश्वरी के प्रतिमा के एक टा पीपर गाछ के निचा राखल गेल बहुत दिन तक ओही गाछ के निचा में पूजा भेल, ग्राम चनोर के रजा लक्ष्मेषवर  के पुत्र नहीं होए छलनी तऽ ओ ओही वानेश्वरी माँ के दरबार में गेला और कोबला केला की हमरा जे पुत्र होयत त हम आहाके मंदिर बनायब !   एक -दु शाल में हुनका ओत् पुत्र जन्म लेलखिन, मगर ताहि के बाद रजा लक्ष्मेषवर बिसैर गेला कोबला वला, फेर हुनका बेटा के तब्यत खराब भेला के बाद याद भेल त ओ मंदिर बनोलैथ ! आब ओत् रामनमी, दुर्गा पूजा सेहो मनायल जायत या ! 
अखन त ओत् बहुत सुंदर मंदिर और धर्मशाला बनी गेल अछी, और मंदिर के चारु तरफ छहरदेवाली भ गेल अछी !  


ओतुका पुजगरी छथि डमरू पाठक, सचिव रुनु झा (नुनु), कार्य कर्ता, कमलेश, नित्यानंद, फुलबाबु, कनक मिश्रा,          



 जय माँ वनेश्वरी.....जय मैथिल............जय मिथिला...........  

मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)

जीवन जिबाक अछी बहुत जरुरी
ठण्ड में बियर आधा, रम होय पुरी  

चाहलो जेकरा पेलो नहीं ओकरा
शाधना "मोहन जी" क रहल अधूरी

मोनक बात सच नै भ पैल
किस्मत के छल नहीं मंजूरी  

ह्रदय फटल देखलो हम नोर
कियो देखलैथ नै मज़बूरी        

  

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)

हम त बैन बैशलो शराबी की करू / 
और कनियाँ स जुदा हम कि रहु //

जिन्दगी बाकी या आब त थोरे दिन / 
दुनू तरप जरैत देह अछी की करू //

कनियाँ ल क आबी गेलैथ हन शीशा /
लेकिन हम खुदस हारल छी की करू // 

छल कहाँ नाव दुबाबे के गप्प  / 
हम त अंधी के हवा छी की करू // 

टुकरा में बैट गेल हमर के पहचान / 
हम त टुटल शीशा छी की करू //  

सोमवार, 5 दिसंबर 2011

फेंकलो गुगली मारलैथ - अजय ठाकुर (मोहन जी)

अक्का बक्का तीन तलक्का,
फेंकलो गुगली मारलैथ छक्का, 
दर्शक भ गेलैथ हक्का-बक्का, 

करता बन्दन हाथ-जोरी आजू, 
नेता हमर देशक लाज, 
भगवान हिनका भेज्लैथ हन, 
कऽरे लेल धरती पर राज, 

आब नहीं कहियोंन चोर-उचक्का, 
अक्का-बक्का तीन तलक्का,

हिनकर छैईन अपन मज़बूरी, 
मुँह में राम बगल में छुरी, 
देश लैद क चल-लैथ पीठ पर,
"मोहन जी" बढबैत हिनका स दुरी,

वोट करु बस हिनकर पक्का, 
अक्का-बक्का तीन तलक्का,  

शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

गुंजल मैथिलि विश्व में - अजय ठाकुर (मोहन जी)

गुंजल मैथिलि विश्व में, 

सपना भेल साकार, 

राष्ट्र संघ के मंच स, 

मिथिलि केऽरी जयकार,

मिथिलि केऽरी जयकार, 

मिथिला-मैथिलि में बाजल,

देखऽक मिथिलाऽक प्रेम, 

विश्व अचरज से डोलल,

मेम के ममता टुटल, 

मिथलांचल माँ भेल धन्य, 

स्नेह की सरिता फुटल

कहलैथ "मोहन जी" कविराज  !

गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

हास्य कथा - अजय ठाकुर (मोहन जी)

 प्रभाकर चौधरी डॉक्दरी के परीक्षा उत्रिन्न भेला के बाद ओ अपन दोस्त सब के खुब  भोजन करोलैथ ! और ओहे संगे एक टा मुर्गा खुब तेल में लाल कैल और एक बोतल देशी दारू सेहो लक भाल्पट्टी गाँव के मुखिया जी लम पहुचला ! प्रभाकर चौधरी मुखिया जिक आगा हाथ जोरी क ठाड़ भ गेला और बजला मालीक  इ हमरा तरप एक छोट-छीन भेट स्वीकार करियों !
 मुखिया जी वाह बहुत नीक  सुनलो हन आहा डॉक्दरी के परीक्षा उत्रिन्न भेलो हन, प्रभाकर चौधरी जी मालीक,  मुखिया जी अपन नोकर के आवाज़ देलखिन और नोकर एलेन और ओ समान ल जै लगलैन, मुखिया जी बुझ्लैथ इ नोकर बहुत चलाक या एकरा कोन तरहे समझैल जे !
 मुखिया जी बजला रओ ओही कपरा में बंद एक टा चिरैई छै और ओ बोतल में जहर  छै, ताहि लक् तु रस्ता में ओ कपरा नहीं खोलिहे बुझलही, नोकर जी मालीक हम आहा के बात बुझी गेलो !  नोकर समान लक् आगा बढल और एक कात कोंटा में चुपचाप अपन सबटा मुर्गा खा  लेलक और दारू सेहो पीबी लेलेक और मचान पर जा क सूती रहल ! मुखिया जी दाँत मजेत, सुंदर सागर पोखेर स नेहेने आबी गेला और अपन कनियाँ स बजला हे यै सुनैत छी हमरा सकरी बजार जै के अछी ताहि दुआरे आहा हमरा किछु  जलपान द दिय ! कनियाँ बजलेंन अखन कनी समय लगत कने रुकी जउ !
मुखिया जी अच्छा ओ छोरु नोकर जे देलक से द दिय ओहे काफी या जलपान जोकरक ! कनियाँ बजलेंन नोकर हमरा कहा किछु देलक हन ओ जे एक भोर गेल से अखन तक  नजरीओ कहा परल या, इ सुनी क मुखिया जिक तामस माथ और नोकर के ताकअ लगला,  ओ देखे छथि सीधी के निचा में सुतल छल मुखिया जी एक लात मारी क उठेला और पुछलखिन त नोकर बजलेंन यऊ मालीक हम लक् आबी रहल छलो त रस्ता में एक  आँधी आयल और ओ कपरा उरी गेल जाही में स ओ चिरैई उरी गेल ताहि के डरे हम  ओ जहर पी लेलो और हम सूती क मौत के इंतज़ार क रहल छी !  

शुक्रवार, 25 नवंबर 2011

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)

आँखी स पिबऽ दिय एक पैग के त बात या
कैह त पायब हुनका ओ राज के त बात या

नै कोनो सिकवा गीला नै कोनो फरियाद या
हम समझै छी आहाक हालात के त बात या

हम आहाक सामने जाहिर कऽरी या नै कऽरी
जान लेब हमर की इ जजबात के त बात या

तपलीफ में छी हम जख्म अहिक नाम स
मैन लेलो हम एकरा सौगात के त बात या

आई तक "मोहन जी" हारलथि नै कोनो खेल स
जे मिलल तकदीर स ओ म्हात के त बात या

रचनाकार :- अजय ठाकुर (मोहन जी)

गुरुवार, 24 नवंबर 2011

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)

सोचलो नै हम निक-बेजैई, देखलो सुनलो किछो नै /
मंगलो भगवान स हर समय, आहा सिवा किछो नै //

देखलो,चाहलो अहिके, सोचलो अहिके पुजलो अहिके /
"मोहन जी" के वफ़ा खता, आहाक खता किछोबो नै //

हुनका पर हमर आँख त, मोती बिछेलक दिन-रैत भैर /
भेजलो ओहे कागज हुनका, हम त लिखलो किछोबो नै //

एक साँझ के देहलीज़ पर,बैसल छलैथ ओ देर राती तक /
आँईख स केलैथ बात बहुत, मुह स कहलैथ किछ्बो नै //

पांच-दस दिन के बात या,दिल ख़ाक में मिल जायत /
आईग पर जखन कागज राखब, बाकी बचत किछ्बो नै //

रचनाकार :- अजय ठाकुर (मोहन जी)

मंगलवार, 22 नवंबर 2011

हाथक लकीर मिटा दैत अछि दुनिया

प्यार करे के सजा बहुत नीक दैत अछी कनियाँ /
मैर जाउ त जिबै के दुआ दैत अछी दुनियां //
 
"मोहन जी" कोन सूरज छथि जे इलज़ाम नै सहतैथ /
मिथिला में पत्थर के भगवान बना दैत अछी दुनिया //
 
इ जख्म प्यार के देखब नै ककरो /
आनि क पूरा बाजार सजा दैत अछी दुनिया //
 
किस्मित पर नाज़ नै करू मिथिला वाशी /
हाथक लकीर मिटा दैत अछि दुनिया //
 
शादी के बाद मारे के उपाय करे अछी कनियाँ /
जिबे के उपाय सिखा दैत अछी दुनिया //
 रचनाकार :- अजय ठाकुर (मोहन जी)  

गुरुवार, 17 नवंबर 2011

चेतना समिति, पटनाक सभसँ प्रतिष्ठित पुरस्कार यात्री-चेतना पुरस्कार २०११ ई.- डॉ. राम भरोस कापड़ि भ्रमर (जनकपुर)केँ देल गेलन्हि।

चेतना समिति, पटनाक सभसँ प्रतिष्ठित पुरस्कार यात्री-चेतना पुरस्कार २०११ ई.-  डॉ. राम भरोस कापड़ि भ्रमर (जनकपुर)केँ देल गेलन्हि।

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक सदस्यता (नेपाल देशक भाषा-साहित्य,  दर्शन, संस्कृति आ सामाजिक विज्ञानक क्षेत्रमे  सर्वोच्च सम्मान)

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक सदस्यता
श्री राम भरोस कापड़ि 'भ्रमर' (2010)
श्री राम दयाल राकेश (1999)
श्री योगेन्द्र प्रसाद यादव (1994)

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान मानद सदस्यता
स्व. सुन्दर झा शास्त्री

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान आजीवन सदस्यता
श्री योगेन्द्र प्रसाद यादव



फूलकुमारी महतो मेमोरियल ट्रष्ट काठमाण्डू, नेपालक सम्मान
फूलकुमारी महतो मैथिली साधना सम्मान २०६७ - मिथिला नाट्यकला परिषदकेँ
फूलकुमारी महतो मैथिली प्रतिभा पुरस्कार २०६७ - सप्तरी राजविराजनिवासी श्रीमती मीना ठाकुरकेँ
फूलकुमारी महतो मैथिली प्रतिभा पुरस्कार २०६७ -बुधनगर मोरङनिवासी दयानन्द दिग्पाल यदुवंशीकेँ



साहित्य अकादेमी  फेलो- भारत देशक सर्वोच्च साहित्य सम्मान (मैथिली)


           १९९४-नागार्जुन (स्व. श्री वैद्यनाथ मिश्र “यात्री” १९११-१९९८ ) , हिन्दी आ मैथिली कवि।


           २०१०- चन्द्रनाथ मिश्र अमर (१९२५- ) - मैथिली साहित्य लेल।



साहित्य अकादेमी भाषा सम्मान ( क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य आ गएर मान्यताप्राप्त भाषा लेल):-
           
           २०००- डॉ. जयकान्त मिश्र (क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य लेल।)
           २००७- पं. डॉ. शशिनाथ झा (क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य लेल।)
            पं. श्री उमारमण मिश्र




साहित्य अकादेमी पुरस्कार- मैथिली


१९६६- यशोधर झा (मिथिला वैभव, दर्शन)

१९६८- यात्री (पत्रहीन नग्न गाछ, पद्य)

१९६९- उपेन्द्रनाथ झा “व्यास” (दू पत्र, उपन्यास)

१९७०- काशीकान्त मिश्र “मधुप” (राधा विरह, महाकाव्य)

१९७१- सुरेन्द्र झा “सुमन” (पयस्विनी, पद्य)

१९७३- ब्रजकिशोर वर्मा “मणिपद्म” (नैका बनिजारा, उपन्यास)

१९७५- गिरीन्द्र मोहन मिश्र (किछु देखल किछु सुनल, संस्मरण)

१९७६- वैद्यनाथ मल्लिक “विधु” (सीतायन, महाकाव्य)

१९७७- राजेश्वर झा (अवहट्ठ: उद्भव ओ विकास, समालोचना)

१९७८- उपेन्द्र ठाकुर “मोहन” (बाजि उठल मुरली, पद्य)

१९७९- तन्त्रनाथ झा (कृष्ण चरित, महाकाव्य)

१९८०- सुधांशु शेखर चौधरी (ई बतहा संसार, उपन्यास)

१९८१- मार्कण्डेय प्रवासी (अगस्त्यायिनी, महाकाव्य)

१९८२- लिली रे (मरीचिका, उपन्यास)

१९८३- चन्द्रनाथ मिश्र “अमर” (मैथिली पत्रकारिताक इतिहास)

१९८४- आरसी प्रसाद सिंह (सूर्यमुखी, पद्य)

१९८५- हरिमोहन झा (जीवन यात्रा, आत्मकथा)

१९८६- सुभद्र झा (नातिक पत्रक उत्तर, निबन्ध)

१९८७- उमानाथ झा (अतीत, कथा)

१९८८- मायानन्द मिश्र (मंत्रपुत्र, उपन्यास)

१९८९- काञ्चीनाथ झा “किरण” (पराशर, महाकाव्य)

१९९०- प्रभास कुमार चौधरी (प्रभासक कथा, कथा)

१९९१- रामदेव झा (पसिझैत पाथर, एकांकी)

१९९२- भीमनाथ झा (विविधा, निबन्ध)

१९९३- गोविन्द झा (सामाक पौती, कथा)

१९९४- गंगेश गुंजन (उचितवक्ता, कथा)

१९९५- जयमन्त मिश्र (कविता कुसुमांजलि, पद्य)

१९९६- राजमोहन झा (आइ काल्हि परसू, कथा संग्रह)

१९९७- कीर्ति नारायण मिश्र (ध्वस्त होइत शान्तिस्तूप, पद्य)

१९९८- जीवकान्त (तकै अछि चिड़ै, पद्य)

१९९९- साकेतानन्द (गणनायक, कथा)

२०००- रमानन्द रेणु (कतेक रास बात, पद्य)

२००१- बबुआजी झा “अज्ञात” (प्रतिज्ञा पाण्डव, महाकाव्य)

२००२- सोमदेव (सहस्रमुखी चौक पर, पद्य)

२००३- नीरजा रेणु (ऋतम्भरा, कथा)

२००४- चन्द्रभानु सिंह (शकुन्तला, महाकाव्य)

२००५- विवेकानन्द ठाकुर (चानन घन गछिया, पद्य)

२००६- विभूति आनन्द (काठ, कथा)

२००७- प्रदीप बिहारी (सरोकार, कथा)

२००८- मत्रेश्वर झा (कतेक डारि पर, आत्मकथा)

२००९- स्व.मनमोहन झा (गंगापुत्र, कथासंग्रह)

२०१०-श्रीमति उषाकिरण खान (भामती, उपन्यास)



साहित्य अकादेमी मैथिली अनुवाद पुरस्कार


१९९२- शैलेन्द्र मोहन झा (शरतचन्द्र व्यक्ति आ कलाकार-सुबोधचन्द्र सेन, अंग्रेजी)

१९९३- गोविन्द झा (नेपाली साहित्यक इतिहास- कुमार प्रधान, अंग्रेजी)

१९९४- रामदेव झा (सगाइ- राजिन्दर सिंह बेदी, उर्दू)

१९९५- सुरेन्द्र झा “सुमन” (रवीन्द्र नाटकावली- रवीन्द्रनाथ टैगोर, बांग्ला)

१९९६- फजलुर रहमान हासमी (अबुलकलाम आजाद- अब्दुलकवी देसनवी, उर्दू)

१९९७- नवीन चौधरी (माटि मंगल- शिवराम कारंत, कन्नड़)

१९९८- चन्द्रनाथ मिश्र “अमर” (परशुरामक बीछल बेरायल कथा- राजशेखर बसु, बांग्ला)

१९९९- मुरारी मधुसूदन ठाकुर (आरोग्य निकेतन- ताराशंकर बंदोपाध्याय, बांग्ला)

२०००- डॉ. अमरेश पाठक, (तमस- भीष्म साहनी, हिन्दी)

२००१- सुरेश्वर झा (अन्तरिक्षमे विस्फोट- जयन्त विष्णु नार्लीकर, मराठी)

२००२- डॉ. प्रबोध नारायण सिंह (पतझड़क स्वर- कुर्तुल ऐन हैदर, उर्दू)

२००३- उपेन्द दोषी (कथा कहिनी- मनोज दास, उड़िया)

२००४- डॉ. प्रफुल्ल कुमार सिंह “मौन” (प्रेमचन्द की कहानी-प्रेमचन्द, हिन्दी)

२००५- डॉ. योगानन्द झा (बिहारक लोककथा- पी.सी.राय चौधरी, अंग्रेजी)

२००६- राजनन्द झा (कालबेला- समरेश मजुमदार, बांग्ला)

२००७- अनन्त बिहारी लाल दास “इन्दु” (युद्ध आ योद्धा-अगम सिंह गिरि, नेपाली)

२००८- ताराकान्त झा (संरचनावाद उत्तर-संरचनावाद एवं प्राच्य काव्यशास्त्र-गोपीचन्द नारंग, उर्दू)

२००९- भालचन्द्र झा (बीछल बेरायल मराठी एकाँकी-  सम्पादक सुधा जोशी आ रत्नाकर मतकरी, मराठी)

२०१०- डॉ. नित्यानन्द लाल दास ( "इग्नाइटेड माइण्ड्स" - मैथिलीमे "प्रज्वलित प्रज्ञा"- डॉ.ए.पी.जे. कलाम, अंग्रेजी)


साहित्य अकादेमी मैथिली बाल साहित्य पुरस्कार


२०१०-तारानन्द वियोगीकेँ पोथी "ई भेटल तँ की भेटल"  लेल
२०११- ले.क. मायानाथ झा "जकर नारी चतुर होइ" लेल

प्रबोध सम्मान


प्रबोध सम्मान 2004- श्रीमति लिली रे (1933- )

प्रबोध सम्मान 2005- श्री महेन्द्र मलंगिया (1946- )

प्रबोध सम्मान 2006- श्री गोविन्द झा (1923- )

प्रबोध सम्मान 2007- श्री मायानन्द मिश्र (1934- )

प्रबोध सम्मान 2008- श्री मोहन भारद्वाज (1943- )

प्रबोध सम्मान 2009- श्री राजमोहन झा (1934- )

प्रबोध सम्मान 2010- श्री जीवकान्त (1936- )

प्रबोध सम्मान 2011- श्री सोमदेव (1934- )



यात्री-चेतना पुरस्कार



२००० ई.- पं.सुरेन्द्र झा “सुमन”, दरभंगा;

२००१ ई. - श्री सोमदेव, दरभंगा;

२००२ ई.- श्री महेन्द्र मलंगिया, मलंगिया;

२००३ ई.- श्री हंसराज, दरभंगा;

२००४ ई.- डॉ. श्रीमती शेफालिका वर्मा, पटना;

२००५ ई.-श्री उदय चन्द्र झा “विनोद”, रहिका, मधुबनी;

२००६ ई.-श्री गोपालजी झा गोपेश, मेंहथ, मधुबनी;

२००७ ई.-श्री आनन्द मोहन झा, भारद्वाज, नवानी, मधुबनी;

२००८ ई.-श्री मंत्रेश्वर झा, लालगंज,मधुबनी

२००९ ई.-श्री प्रेमशंकर सिंह, जोगियारा, दरभंगा

२०१० ई.- डॉ. तारानन्द वियोगी, महिषी, सहरसा

२०११ ई.-  डॉ. राम भरोस कापड़ि भ्रमर (जनकपुर)


भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता

युवा पुरस्कार (२००९-१०) गौरीनाथ (अनलकांत) केँ मैथिली लेल।


भारतीय भाषा संस्थान (सी.आइ.आइ.एल.) , मैसूर रामलोचन ठाकुर:- अनुवाद लेल भाषा-भारती सम्मान २००३-०४ (सी.आइ.आइ.एल., मैसूर) जा सकै छी, किन्तु किए जाउ- शक्ति चट्टोपाध्यायक बांग्ला कविता-संग्रहक मैथिली अनुवाद लेल प्राप्त।  रमानन्द झा 'रमण':- अनुवाद लेल भाषा-भारती सम्मान २००४-०५ (सी.आइ.आइ.एल., मैसूर) छओ बिगहा आठ कट्ठा- फकीर मोहन सेनापतिक ओड़िया उपन्यासक मैथिली अनुवाद लेल प्राप्त।



विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी सम्मान

१.विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी फेलो पुरस्कार २०१०-११ 
२०१० श्री गोविन्द झा (समग्र योगदान लेल)
२०११ श्री रमानन्द रेणु (समग्र योगदान लेल)
२.विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी पुरस्कार २०११-१२ 

२०११ मूल पुरस्कार- श्री जगदीश प्रसाद मण्डल (गामक जिनगी, कथा संग्रह)
२०११ बाल साहित्य पुरस्कार- ले.क. मायानाथ झा (जकर नारी चतुर होइ, कथा संग्रह)
२०११ युवा पुरस्कार- आनन्द कुमार झा (कलह, नाटक)
२०१२ अनुवाद पुरस्कार- श्री रामलोचन ठाकुर- (पद्मा नदीक माझी, बांग्ला- माणिक वन्दोपाध्याय, उपन्यास बांग्लासँ मैथिली अनुवाद)
ई व्यंग पूर्णतः काल्पनिक अछि। एकर पात्र, घटना वा परिस्थितिसँ कोनो लेना-देना नै अछि। जँ कोनो पात्र वा घटना किनकोसँ मिलैत छन्हि तँ एकरा मात्र संयोग बूझल जाए। एहि अपीलकेँ बाबजूदो जँ केओ एहि व्यंगक घटनाकेँ अपनासँ जोड़ैत छथि तँ ओ महाशय " स्वामी चूतियानंद" क उपाधि पेबाक जोगर छथि।........ अथ श्री-श्री 108 स्वामी अनचिन्हारानन्द विरचित कलन्किया कथा प्रथमोध्याय प्रारम्भ:------ ओकर धूर्ताक खिस्सा सगरो पसरल छल। प्रवाद तँ एहन छलै जे कलंकिया नामक जंतु अपनो सर-समांगकेँ नै छोड़ै छै। मुदा ई बात सत्य छै जे खराप काज बेसी दिन नै चलै छै। आ ताहूमे कलंकियाक पापक घैल भरि गेल छलै। कलंकिया जखन बुढ़ारी दिस जा रहल छल तखने एकटा महिला संग भेल अनाचारक भंडाफोर भए गेलै। सगरो सनकपुरमे हाहाकार मचि गेलै। आ अंतमे सभ मीलि कलंकियाकेँ निर्वासन दंड सुना देलकै। किछु सुयोग्य व्यक्ति द्वारा कलंकियाकेँ मूँहमे हरदि-चून-कारी लगा नग्रक दक्षिण दिशामे भगा देल गेलै।भागैत-भागैत कलंकिया दक्षिण-पश्चिम दिशाक सिल्ली नामक जगहकेँ अपन कुकर्मक अड्डा बनौलक। प्रथमोध्याय समाप्तम। अथ श्री-श्री 108 स्वामी अनचिन्हारानन्द विरचित कलन्किया कथा द्वितीयध्याय प्रारम्भ: ऐ दुनियाँमे बहुत तरहँक लोक होइत छै। कलंकिया सिल्ली तँ आबि गेल। मुदा ओकर मोन लगिते नै छलै।मुदा एकटा कहबी छै जे ब्रम्हाण्ड असीम छै सभ प्रश्न आ ओकर उत्तर एहीठाम प्राप्त भए जाइत छै। तखन कलंकियाकेँ संगी-संघाती कोना नै भेटौक। आ एहने समयमे कलंकियाकेँ अन्हार झासँ भेँट भेलै। अन्हार झाक पछिला रिकार्ड तँ अन्हारेमे छै मुदा वर्तमान इजोतमे कारण कलंकिया एहन सुयोग्य गुरूक प्रशिक्षणमे अन्हार झा कुकर्मक सभ सफलता अपना नाम कए लेलक। आ अन्हार झा आब अपने गुरु जकाँ महिला सभकेँ बहला-फुसला यथा योग्य काज करैत अछि। आ एहि काज सभमे अन्हारक संगी छै बुड़िलेश झा। किछु दिनक बाद कुकर्म करबामे ई सभ तेहन "प्रवीण" भए गेल जे हिनक नाम सगरो 'रोशन" भए गेल। आ हिनकर काजमे बड़का-बड़का गुरूघंटाल जेना की " दानव-चंकर-पुरान' आ " घृणित फसाद" सभ सेहो सहयोग देबए लागल। द्वितीयध्याय समाप्तम। अथ श्री-श्री 108 स्वामी अनचिन्हारानन्द विरचित कलन्किया कथा तृतीयध्याय प्रारम्भ: अन्हार झा अपन कुकर्मसँ जगत-विदित भए गेल। हरेक दिन किछु ने किछु उक्ठ्ठी बला काज करिते छल। आ एहन काज करबामे ओकरा " आनंद" अबै छलै। जाहि दिन किछु नै कए पाबैत छल ताहि दिन ओ अपन घरेमे कए लैत छल। अपन घरक जनानी धरिकेँ नै बखसैत छल। मारि-पीटसँ लए कए गारि धरि ओ अपन घरक जनानी सभकेँ दैत छल। नाना प्रकारक "ललित"गर गारि ओकरा मूँहसँ "रिषी" महर्षि जकाँ निकलैत छल। धीरे-धीरे अन्हार झा नारी-उत्पीरणमे " प्रवीण" भए गेल। आ सेहो एहन प्रवीण जे ओकर संगी सभ ओहने होबए चाहै छल। ओहि कलाकेँ अपन घरमे प्रयोग कए रीवीजन करए लागल। एक दिन जखन अन्हार झाकेँ बाहरमे दंद-फंद नै सुतरलै तखन ओ अपन घरमे जा जनानी सभकेँ मारि-गारि देबए लागल। आ ताहि समयमे हुनक किछु संगी सेहो ई सभ देखि रहल छल। ई सभ खत्म होइते अन्हारक संगी सभ अन्हारक प्रशंसा करए लागल जे की संक्षिप्त रुपे एहि ठाम देल जा रहल अछि----- १) टाष्कर झा--------वाह अन्हार जी वाह।बहुत नीक। टेक्नीकसँ भरपूर छल अपनेक ई एक्ट। हस्त-चालनक संग अहाँक मूँहसँ जे गारि निकलैए से अद्भुत। आजुक जमानामे एहने मल्टी-टेलेन्टेड लोककेँ जरूरति छै। हमहूँ अहाँसँ सीखए चाहैत छी आ सीखि अपन घरमे प्रयोग करए चाहैत छी। हमरा अहाँक आशीर्वाद चाही। २) बुड़िलेश झा------वाह गुरू जी। आब हमहूँ एहने करब। 3) सौतन तृष्णा----- वाह की बात छै। काश हमहूव एना कए पबितहुँ। 4) छिनार मगन----- वाह। एहनाहिते एक बेर फेर अपन जनानी सभ पर लात-पत्रकेँ प्रयोग करू।what a unique style of slang word... 5) लाष्कर लष्ट------वाह अन्हार जी वाह। उत्तम। अथ श्री-श्री 108 स्वामी अनचिन्हारानन्द विरचित कलन्किया कथा समाप्तम। Umesh Mandal जातिवादी रंगमंचक http://www.facebook.com/prakash.pikkoo आ ओकर संगी साथी http://www.facebook.com/amitesh.monu आ http://www.facebook.com/tesuashish । ऐ मेसँ एकटा आशीष झा जे एकटा कृष्ण (नाम बदलल) केँ ढेर रास टाका देलकै कनियाँकेँ प्राइज दियाबै ले आ डाइरेक्टर बनै ले, से लात जुत्ता खा कऽ मृत्युक कगार पर पहुँचि गेल जखन ओ कृष्ण (नाम बदलल) ओकरा पिटलकै। तखन ई शेर (कागजी) प्रकाश झा एक कदम पाछू हटलै। फेर ई आशीष झा हॉस्पीटलमे भर्ती भेल, तखन ओ शेर (कागजी) प्रकाश झा घुमि गेल आ पड़ा गेल। आ ई अमितेश कुमार ..नीचाँमे देखू Prakash Jha Like · · Share · about an hour ago · Vinit Utpal likes this. 1 share Umesh Mandal Amitesh Kumar this is theatre forum. plz mind it and post only thetre related news.. 29 minutes ago Like Requests Umesh Mandal YOU DO NOT HAVE ANY KNOWLEDGE OF THEATRE Mr. Amitesh Kumar, Your comment that this is theatre forum and posts should be only thetre related news.. is ridiculous and casteist. LOOK INTO NEWS Mr. Amitesh Kumar.. the news is about the dramatists getting the award. 23 minutes ago Like Requests Amitesh Kumar then post a title that a dramatist got award..and how it is castist ? mujhe hansane dijiye... after all this is not "theatre" related news...but explain how it is castist...in actually yo are looking and behaving as castist.. 19 minutes ago Like Requests Umesh Mandal Amitesh Kumar then post a title that a dramatist got award..and how it is castist ? mujhe hansane dijiye... after all this is not "theatre" related news...but explain how it is castist...in actually yo are looking and behaving as castist.. 17 minutes ago Like Requests Umesh Mandal .,,but casteist theatre personnel- anti-woman like you won't understand it 17 minutes ago Like Requests Umesh Mandal ANTI WOMAN..Ashish Jha इंद्र मोहन जी, कोर्ट क धमकी हमर मित्र कए नहि दे जाए। विनीत हमर मित्र छथि ओ अनीता जी (बदलल नाम) क संबंध में बहुत रास गप हमरो कहने छथि। पार्क मे घंटा घंटा ओ सब संग बैसेत छलथि। अनीता जी कए वेव साइट लेल त विनीत एकटा मैथिल... See More 15 minutes ago Like Requests Umesh Mandal CASTEIST THEATRE..पूनमजी सावधान !!! by Prakash Jha on Wednesday, June 6, 2012 at 4:57pm Requests पूनम जी नमस्कार ! एक बेर फेर अहाँ मोन पड़लहुँ अछि. शंका व्याप्त भेल जे अहाँ एकबेर फेर अपन रीपोर्टिंगमे किछु गलती नै क’ बैसी. दिल्ली वा कि कतौ भ’ रहल मै... See More 14 minutes ago Like Requests Umesh Mandal CASTEIST..Amitesh Kumar poonam ji ke o repoer ke link diyuaa aita

बुधवार, 16 नवंबर 2011

नाक हमर नकेल हुनकर



तेल हुनकर फुलेल हुनकर
 
हुनकर महफिल में खेल हुनकर
 
दूर स जे देख रहल छी गुलदस्ता
 
दरशल तालमेल हुनकर
 
चाहे ओ ओ पाले या शिकार करथि
 
हुनकर बगरा गुलेल हुनकर
 
ऐ तरहक तालमेल हुनकर
 
की करू बंधी गैलो प्यार में
 
नाक हमर नकेल हुनकर
 
   
      
रचनाकार :- अजय ठाकुर (मोहन जी)

 

शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

सुंदर सागर पोखेर में मेहँदी क


प्रिय प्रीतम के आँखि में प्यार के चमक अखनो छैन
 
मगर हुनका हमर मोहब्त पर सक आइयो छैन

 
नाँव में बैस क धोने छलैथ हाथ ओ कहियो
 
सुंदर सागर पोखेर में मेहँदी के गमक आइयो छैन

 
प्रिय प्रीतम के छु नहीं पैलो प्यार स कहियो
 
लेकिन हमर होँट पर हुनकर होँट के झलक आइयो छैन

 
सब बेर पुछै छथि हमर चाहत के सवाल
 
ओनाहिये प्यार के परखनाय आइयो छैन

 
नै रैह पौती प्रिय प्रीतम हमरा बिना
          दुनू तरप प्यार के धध्क आइयो आछि         



रचनाकार :- अजय ठाकुर (मोहन जी)
 

शनिवार, 5 नवंबर 2011

शराब नैन स पिया दैतो


 भोरे-भोरे उठी क शराब पीनाय कैलो हँन चालु
 
प्रभाकर जी आहा कहु जे इ पैग में कते पैन डालु

 
आहा ठंडा पैन स अपन आँखी धो क लाली त हटाबु
 
फ्रिज में स नबका बैगपेपर (दारू) के बोतल त पकराबु

 
रोज राति क सपना में हम ठेका पर जय छी
 
सबटा खेत और घरारी भरना लगा दैत छी

 
खेत और घरारी कखनो हम भरना नहीं लगैतो
 
आहा जे एक बेर अपन शराबी नैन स पिया दैतो

 
मानलो हम आहा के बहुत दूख-दर्द देलो
 
मुदा आहु त हमरा स पूरा प्रेम नहीं केलो

 
मानलो की आहा सुंदर-सुशिल हमर कनिया भेलो
 
मुदा आहा स ज्यदा हम दारू स प्रेम केलो

 
आब नहीं सताबु आबी जाऊ अपन घरे में रहब
 
भले दारू छोरी , दोस्त छोरी आहा के मारी सहब 

रचनाकार :- अजय ठाकुर (मोहन जी)