गुरुवार, 15 सितंबर 2011

ग़ज़ल

एही दुनिया म अहाँक नै नोर पोछ्त कियो
काज जो निकैल जाएत नै घुरि देखत कियो

कुकर्मक इ राह पर लोग बढ़ि गेल एते
अहाँ कतबो घुरा लीअ नै घुरि सकत कियो

अपनहि आन स जे मान एता पाबय छैक
दोसरक मान अछि की नै बुझि सकत कियो

कलमक धार स त बहुतो लिखायत छैक
ज्ञनगर एही बात कए जुनी पढ़त कियो




शनिवार, 10 सितंबर 2011

अनंत चतुर्दशीक हार्दिक शुभकामना...

भाद्रपद मासक शुक्लपक्षक चतुर्दशी क अनंत चतुर्दशी कहल जाएत अछि। एही दिन अनंत भगवान् क पूजा कए के संकट स रक्षा करय बला अनंतसुत्र बान्हल जाएत अछि। शास्त्र क अनुसार एही व्रतक संकप आ पूजा नदी, सरोवर, वा तालाबक कात म करय क विधान अछि मुदा जो एहन संभव नै होए त घरक पूजा घर म सेहो अहन कए सकय छी। पूजा घर म जमीन पर कलश स्थापित करू आ कलश पर शेषनागक बिछौना पर लेटल भगवान् विष्णु क मूर्ति वा फोटो राखु। ओकर बाद चौदह गाँठ बला अनंतसूत्र राखु। एकर बाद 'ॐ अनंतायानमः' मंत्र स भगवान् विष्णु आ अनंतसुत्र क षोडशोपचार-विधि स  पूजा करू। पूजाक बाद अनंत सूत्र क मंत्र पढ़ी क पुरुष दाहिना हाथ आ स्त्री बामा हाथ म बाँध लीअ।

     
अनंन्तसागरमहासमुद्रेमग्नान्समभ्युद्धरवासुदेव। अनंतरूपेविनियोजितात्माह्यनन्तरूपायनमोनमस्ते॥ 
पूजाक बाद व्रत-कथा पढू आ सूनु। कथाक संक्षेप अछि - सतयुग म सुमन्तु नाम क एकटा मुनी छल। हुनका एकटा बेटी छल शीला जे अपन नामक अनुरूप बड़ सुशील रहे। सुमन्तु मुनी ओ कन्याक विवाह कौण्डिन्यमुनि स केलैथि। कौण्डिन्यमुनि अपन बेटीक लए क जखन सासुर स घर जा रहल रहे, तखन रस्ता म नदी कात म किछ स्त्रीगण भगवान् अनंतक पूजा करैत देखा पडल। ई देखि शीला ओता जाके अनंत-व्रत क कथा क सुनालक आ पूजन क बाद अनंतसुत्र बंधलक। एही कारण स हुनकर घर किछु दिन म ध्न्यधान स भरि गेल। एही सन्दर्भ म एकटा आर कथा अछि की जखन पांडव जुआ म अपन सब किछु हारी गेल रहे तखन भगवान् श्री कृष्ण क सलाह स ओ भगवान् अनंतक पूजा करलक आ हुनकर कृपा स किछु दिन बाद अपन राज पाट वापस पाबि लेलक। अनंतसूत्र बान्हले क बाद कोनो ब्रह्मण आ भोग देने क बाद सपरिवार प्रसाद ग्रहण करू।
हमरा तरफ स समस्त मिथिलावाशी क अनंत चतुर्दशीक हार्दिक शुभकामना। भगवान् विष्णु स अहाँक सुन्दर आ स्वस्थ शरीरक कामना करैत...जय मिथिला-जय मैथिली॥

सोमवार, 5 सितंबर 2011

कॉफ़ी हाउस में लागल मिथिलाक जमघट...

काल्हि साँझ क दिल्ली स्थित कनाट पैलेसक 'कॉफ़ी हाउस' म एहन लागि रहल रहे जेना मिथिला एते उतैर आयल अछि, जिम्हर देखियो मैथिल आ मैथिलीक आवाज सुना रहल रहेमिथिलाक एहन जमघट बगैर कोनो सांस्कृतिक कर्यक्रमक हमरा पहिल बेर नज़र आयल, मौका रहे 'वोइस ऑफ़ मिथिला' क तरफ स मिथिला अ मैथिली क दशा आ दिशा पर परिचर्चा। पहिल बेर मैथिलक एहन भीड़ देखि अचके हमरा मोन पड़ा गेल ई पांति...
मानि गेलोंउ जे मिथिला नै बांचल अछि भूगोल म।
बचा क रखना छी हम जकरा अपन मायक बोल म।।
लगनी, झरनी, जट, जट्टिन आ साँझक सगोर राति म।
एक-एक मिथिला राज्य बसल छैक एक एक मैथिल छाति म।।
निश्चित मिथिला अखन भूगोल म नै अछि बाँटल तखनो जे मिथिलावासीक एही तरहक उत्साह आ जोश नजैर आयल, ओ अविस्मर्णीय रहे। मैथिलीक शंखनाद सोंसे कनाट पैलेस गुंजायमान भ रहल छले। कार्यक्रमक अध्यक्षता सर्वसम्मती स आदरणीय श्री संतोष जी क सौपल गेल आ अध्यक्ष पद क निर्वहण कोना करल जाय अछि ई हुनका स हम नीक जोंका सिखलों। परिचर्चाक शुरुआत म संतोष जी सर्वसम्मति एकटा ऐतिहासिक फैसला लेलैथि जे एही मंच क हम सब राजनैतिक मंच नै बनायब आ कुनू भी तरहक स्वार्थ आ राजनैतिक भावना स ऊपर उठ क एकरा चलायब आ मिथिला आ मैथिलीक लेल एकटा अनुकरणीय योगदान देब आ एकरा मैथिलीक इतिहास म अमर करायब। फेर परिचर्चाक आगाँ बढ़ल आ मैथिल आ मैथिलीक दशा आ दिशा पर विचार भेल। तय भेल ज मिथिलाक लेल अखन बहुत किछु काज करय क अछि मुदा कियो भी एक गोटा सभ काज नै कए सकत त, सार्वजनीक रूप स ई तय भेल की वोटिंग करायल जाओ आ जेहि काजक लेल बेसी मत पड़त ओही पर पहिने काज होएत। मुदा एकर मतलब ई नै जे हम दोसर बिंदु पर विचार नै करब,आ ओकरा बिसैर जायब एहन नै, एकटा काजक सफलताक बाद हम दोसर-दोसर बिंदु पर सेहो अपन काज करब आ विचार राखब। फेर सबहक विचार भेल आ पाँच टा जे मुख्य समस्या आयल मिथिला आ मैथिलीक ओ क्रमशः ऐना अछि -:शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य, रोजगार,आ  दहेज़। सबहक विचार देखैत शिक्षा सबसे पैघ आ गंभीर समस्या लागल जे लगभग सभ समस्याक जड़ छल। फेर सर्वसम्मति स विचार करल गेल जे एकटा एहन विद्यालयक निर्माण करल गेल जाही म विद्यार्थी सबके 'सोफ्ट स्किल' क ट्रेनिग देल जाएत, संगे जाही म मिथिलाक्षर/तिरहुता एकटा अनिवार्य विषय रहत। जाही स हुनकर कम्युनिकेशन स्किल म सुधार होए संगे मैथिली लिखय क प्रति लोग बाग़ म जागरूकता सेहो आबय। दोसर बिंदु रहल मिथिलाक ओहन उपेक्षित लेखक क खोजल जाए जिनका म रचनाक शैली आ लेखनक कला त अछि मुदा अर्थाभाव म ओ अपन रचना क सही दिशा नै दए पाबि रहल अछि। ओहन लेखक क खोज करल जाए हुनकर रचना क प्रकाशित करायल जाए आ ओ प्रकाशित रचनाक रोयल्टी हुनका प्रदान करल जाए जाही स हुनकर आस्था आ विश्वास त मिथिलाक लेल बढ़बे करे संगे आन आन जे मैथिलीक लेखक आभाव या कोनो आन कारण स मैथिली म अपन भविष्य नै खोजि पाबि रहल अछि, हुनका जोश आबय आ मिथिला आ मैथिलीक लेल किछु करे।
परिचर्चाक अंत म आदरणीय कौशल जी समस्त आयल मैथिल क धन्यवाद ज्ञापन करलैथ आ परिचर्चा सम्पतिक घोषण एही सपथ क संग काएल गेल जे हम मिथिलाक लोग मिथिला आ मैथिली क लेल अपन समग्र योगदान देब। परिचर्चा म दिल्ली म रहनिहार रास-रास मैथिल पहुंचल रहे जाही म आनंद झा, जयनाथ झा, संतोष झा, कौशल जी, मुकेश मिश्रा, चित्रान्शु कर्ण, सितांशु जी, नीरज पाठक, सोनू मिश्रा, संगे अनेक गणमान्य आ विशिष्ठ लोग आयल छल।