बुधवार, 7 दिसंबर 2016

मैथिलि - हनुमान चालिसा


  ||  मैथिलि - हनुमान चालिसा  ||
     लेखक - रेवती रमण  झा " रमण "
                              ||  दोहा ||
गौरी   नन्द   गणेश  जी , वक्र  तुण्ड  महाकाय  ।
विघन हरण  मंगल कारन , सदिखन रहू  सहाय ॥
बंदउ शत - शात  गुरु चरन , सरसिज सुयश पराग ।
राम लखन  श्री  जानकी , दीय भक्ति  अनुराग । ।
               ||    चौपाइ  ||
जय   हनुमंत    दीन    हितकरी ।
यश  वर  देथि   नाथ  धनु धारी ॥
श्री  करुणा  निधान  मन  बसिया ।
बजरंगी   रामहि    धुन   रसिया ॥
जय कपिराज  सकल गुण सागर ।
रंग सिन्दुरिया  सब गुन  आगर  ॥
गरिमा गुणक  विभीषण जानल ।
बहुत  रास  गुण ज्ञान  बखानल  ॥
लीला  कियो  जानि  नयि पौलक ।
की कवि कोविद जत  गुण गौलक ॥
नारद - शारद  मुनि  सनकादिक  ।
चहुँ  दिगपाल जमहूँ  ब्रह्मादिक ॥
लाल  ध्वजा   तन  लाल लंगोटा  ।
लाल   देह  भुज  लालहि   सोंटा ॥
कांधे    जनेऊ    रूप     विशाल  ।
कुण्डल   कान   केस  धुँधराल  ॥
एकानन    कपि  स्वर्ण   सुमेरु  ।
यौ   पञ्चानन   दुरमति   फेरु  ।।
सप्तानन  गुण  शीलहि निधान ।
विद्या  वारिध  वर ज्ञान सुजान ॥
अंजनि  सूत सुनू  पवन कुमार  ।
केशरी   कंत    रूद्र     अवतार   ॥
अतुल भुजा बल ज्ञान अतुल अइ ।
आलसक जीवन नञि एक पल अइ ॥
दुइ   हजार  योजन  पर  दिनकर ।
दुर्गम दुसह  बाट  अछि जिनकर ॥
निगलि गेलहुँ रवि मधु फल जानि  ।
बाल   चरित  के  लीखत   बखानि  ॥
चहुँ  दिस   त्रिभुवन   भेल  अन्हार ।
जल , थल , नभचर सबहि बेकार ॥
दैवे   निहोरा  सँ   रवि   त्यागल  । 
पल  में  पलटि अन्हरिया भागल  ॥ 
अक्षय  कुमार  के  मारि   गिरेलहुं  ।
लंका   में  हरिकंप  मचयल हू ॥
बालिए अनुज अनुग्रह   केलहु  ।
ब्राह्ण   रुपे  राम मिलयलहुँ  ॥
युग  चारि  परताप  उजागर  ।
शंकर स्वयंम  दया के सागर ॥
सूक्षम बिकट आ भीम रूप धारि ।
नैहि  अगुतेलोहूँ राम काज करि  ॥
मूर्छित लखन  बूटी जा  लयलहुँ  ।
उर्मिला  पति  प्राण  बचेलहुँ  ॥
कहलनि  राम उरिंग  नञि तोर ।
तू तउ भाई भरत  सन  मोर   ॥
अतबे कहि  द्रग  बिन्दू  बहाय  ।
करुणा निधि , करुणा चित लाय ॥
जय  जय  जय बजरंग  अड़ंगी  ।
अडिंग ,अभेद , अजीत , अखंडी ॥
कपि के सिर पर धनुधर  हाथहि ।
राम रसायन सदिखन  साथहि ॥
आठो सिद्धि नो निधि वर दान ।
सीय मुदित चित  देल हनुमान ॥
संकट   कोन ने  टरै  अहाँ   सँ ।
के बलवीर  ने   डरै   अहाँ  सँ  ॥
अधम उदोहरन , सजनक संग ।
निर्मल - सुरसरि जीवन तरंग ॥
दारुण - दुख दारिद्र् भय मोचन ।
बाटे जोहि थकित दुहू  लोचन ॥
यंत्र - मंत्र  सब तन्त्र  अहीं छी ।
परमा नंद स्वतन्त्र  अहीं  छी  ॥
रामक काजे  सदिखन आतुर ।
सीता  जोहि  गेलहुँ   लंकापुर  ॥
विटप अशोक शोक बिच जाय ।
सिय  दुख  सुनल कान लगाय ॥
वो छथि  जतय , अतय  बैदेही ।
जानू  कपीस  प्राण  बिन देही  ॥
सीता ब्यथा  कथा सुनि  कान ।
मूर्छित अहूँ  भेलहुँ  हनुमान ॥
अरे    दशानन   एलो   काल  ।
कहि बजरंगी  ठोकलहुँ  ताल ॥
छल दशानन  मति  के आन्हर ।
बुझलक  तुच्छ अहाँ  के  वानर ॥
उछलि कूदी कपि लंका जारल ।
रावणक सब मनोबल  मारल  ॥
हा - हा  कार  मचल  लंका  में  ।
एकहि टा  घर बचल लंका में  ॥
कतेक कहू कपि की -,की कैल ।
रामजीक काज सब सलटैल  ॥
कुमति के काल सुमति सुख सागर ।
रमण ' भक्ति चित करू  उजागर ॥
               ||  दोहा ||
चंचल कपि कृपा करू , मिलि सिया  अवध नरेश  ।
अनुदिन अपनों अनुग्रह , देबइ  तिरहुत देश ॥
सप्त कोटि महामन्त्रे ,  अभि मंत्रित  वरदान ।
बिपतिक  परल पहाड़ इ , सिघ्र  हरु  हनुमान ॥

          ॥  दुख - मोचन  हनुमान   ॥ 

  जगत  जनैया  , यो बजरंगी  ।
  अहाँ  छी  दुख  बिपति  के संगी
  मान  चित  अपमान त्यागि  कउ ,
  सदिखन  कयलहुँ  रामक काज   । 
   संत  सुग्रीव  विभीषण   जी के,   
   अहाँ , बुद्धिक बल सँ  देलों  राज  ॥ 
   नीति  निपुन  कपि कैल  मंत्रना  
   यौ  सुग्रीव  अहाँ  कउ  संगी  
                   जगत  जनैया --- अहाँ  छी दुख ----

  वन अशोक,  शोकहि   बिच सीता  
  बुझि  ब्यथा ,  मूर्छित  मन भेल  ।
  विह्बल   चित  विश्वास  जगा  कउ
  जानकी     राम     मुद्रिका    देल  ॥
  लागल  भूख  मधु र फल खयलो  हूँ
  लंका   जरलों   यौ   बजरंगी   ॥
                   जगत  जनैया --- अहाँ  छी दुख ----

   वर  अहिरावण  राम लखन  कउ
   बलि प्रदान लउ  गेल  पताल  ।
   बंदि  प्रभू   अविलम्ब  छुरा कउ
   बजरंगी कउ  देलौ कमाल  ॥
   बज्र  गदा  भुज बज्र जाहि  तन 
   कत  योद्धा मरि  गेल  फिरंगी  , 
                   जगत  जनैया --- अहाँ  छी दुख ----

 वर शक्ति वाण  उर जखन लखन , 
 लगि  मूर्छित  धरा  परल निष्प्राण । 
 वैध   सुषेन  बूटी   नर  आनल  ,
 पल में पलटि  बचयलहऊ प्राण  ॥ 
 संकट   मोचन  दयाक  सागर , 
 नाम  अनेक ,  रूप बहुरंगी  ॥ 
             जगत  जनैया --- अहाँ  छी दुख ----

नाग फास  में  बाँधी  दशानन  , 
राम   सहित  योद्धा   दालकउ । 
गरुड़  राज कउ   आनी  पवन सुत  ,
कइल    चूर    रावण   बल  कउ 
जपय     प्रभाते   नाम अहाँ  के ,
तकरा  जीवन  में  नञि  तंगी   ॥ 
                     जगत  जनैया --- अहाँ  छी दुख ----

ज्ञानक सागर ,  गुण  के  आगर  ,
शंक   स्वयम   काल   के  काल  । 
जे जे अहाँ  सँ  बल बति यौलक ,
ताही   पठैलहूँ   कालक  गाल   
अहाँक  नाम सँ  थर - थर  कॉपय ,
भूत - पिशाच   प्रेत    सरभंगी   ॥ 
                      जगत  जनैया --- अहाँ  छी दुख ---- 

लातक   भूत   बात  नञि  मानल ,
पर तिरिया लउ  कउ  गेलै  परान  । 
कानै  लय  कुल नञि रहि  गेलै  , 
अहाँक  कृपा सँ , यौ  हनुमान  ॥ 
अहाँक भोजन आसन - वासन ,
राम नाम  चित बजय  सरंगी  ॥ 
                 जगत  जनैया --- अहाँ  छी दुख ----

सील   अगार  अमर   अविकारी  ,
हे   जितेन्द्र   कपि   दया  निधान  । 
"रावण " ह्र्दय  विश्वास  आश वर ,
अहिंक एकहि  बल अछि हनुमान  ॥ 
एहि   संकट   में  आबि   एकादस ,
यौ   हमरो   रक्षा   करू   अड़ंगी  ॥ 
                    जगत  जनैया --- अहाँ  छी दुख ----

  ||  हनुमान  बन्दना  ||

जय -जय  बजरंगी , सुमतिक   संगी  -
                       सदा  अमंगल  हारी  । 
मुनि जन  हितकारी, सुत  त्रिपुरारी  -
                         एकानन  गिरधारी  ॥ 
नाथहि  पथ गामी  , त्रिभुवन स्वामी  
                      सुधि  लियौ सचराचर   । 
तिहुँ लोक उजागर , सब गुण  आगर -
                     बहु विद्या बल सागर  ॥ 
मारुती    नंदन ,  सब दुख    भंजन -
                        बिपति काल पधारु  । 
वर  गदा  सम्हारू ,  संकट    टारू -
                  कपि   किछु  नञि   बिचारू   ॥ 
कालहि गति भीषण , संत विभीषण -
                          बेकल जीवन तारल  । 
वर खल  दल मारल ,  वीर पछारल -
                       "रमण" क किय बिगारल  ॥ 

                ||  हनुमान - आरती  ||

आरती आइ अहाँक  उतारू , यो अंजनि सूत केसरी नंदन  । 
अहाँक  ह्र्दय  में सत् विराजथि ,  लखन सिया  रघुनंदन   
             कतबो  करब बखान अहाँ के '
            नञि सम्भव  गुनगान  अहाँके  । 
धर्मक ध्वजा  सतत  फहरेलौ , पापक केलों  निकंदन   ॥ 
आरती आइ ---  , यो  अंजनि ---- अहाँक --- लखन ---
          गुणग्राम  कपि , हे बल कारी  '
          दुष्ट दलन  शुभ मंगल कारी   । 
लंका में जा आगि लागैलोहूँ , मरि  गेल बीर दसानन  ॥ 
आरती आइ ---  , यो  अंजनि ---- अहाँक --- लखन ---
         सिया  जी के  नैहर  , राम जी के सासुर  '
         पावन  परम ललाम   जनक पुर   । 
उगना - शम्भू  गुलाम जतय  के , शत -शत  अछि  अभिनंदन  ॥ 
आरती आइ ---  , यो  अंजनि ---- अहाँक --- लखन ---
           नित आँचर सँ  बाट  बुहारी  '
          कखन आयब कपि , सगुण  उचारी  । 
"रमण " अहाँ के  चरण कमल सँ , धन्य  मिथिला के आँगन ॥ 
 आरती आइ ---  , यो  अंजनि ---- अहाँक --- लखन ---


रचनाकार -
रेवती रमण झा "रमण "
मो no - 91 9997313751

सोमवार, 25 जुलाई 2016

सत्य घटना पर आधारित मैथिली टेली फिल्म - बौका


माँ मिथला प्रोडक्शन  प्रजेंट्स -

सत्य घटना पर आधारित मैथिली टेली फिल्म  बौका (Bouka)

बिहार के मधुबनी जिलाक अंतर्गत झंझारपुर प्रखंडक़  भैरव स्थान थाना के अंतर्गत ई घटना - घटित अछि , जे निम्न प्रकार अछि , एक झलक देखल जाओ , आ अपन मार्ग- दर्शन देल जाओ  , आखिर कतेक -२  दिन तक  अहि रुपे बहिन - बेटी के घर उजरत देखव , आय  सम्पति के कारन , कइल दहेज़ के कारन , या फेर बेटा  नै भेल ताहि कारन , ई कतेक उचित अछि अपन समाज में  आखिर किया ?

youtube- link 

निर्माता - राहुल ठाकुर

छ्यांकन संकलन - मुकेश मिश्रा (Mukesh Mishra)

लेखक निर्देशन - काशी मिश्रा ( Kashi Mishra)

मुख्य कलाकार   -

काशी मिश्रा (Kashi Mishra

मदन कुमार  ठाकुर (Madan Kumar Thakur)

रौशन कुमार (Roushan Kumar)

पूजा भारती  

 सुनीता यादव (Sunita Yadav)

 राहुल ठाकुर.  

 गोविन्द मिश्रा (Govind Mishra)

म्यूजिक-  उत्तम सिंह

गीत -   आशिक दीवाना

गायक -  ज्योतिचन्द्र झा

आभार -  जगदम्बा ठाकुर    साथी

स्पेशल थैंक्स -   दहेज मुक्त मिथिला (दहेज़ मुक्त मिथिला)

स्पेशल थैंक्स -  मधुबनी आर्ट्स.ओर्ग

शनिवार, 26 मार्च 2016

मिथिला राज्य निर्माणक लेल 26-27 मार्च 2016 दिल्लीक जंतर-मंतर पर २ दिनक उपवास ....

मिथिला राज्य निर्माणक लेल 26-27 मार्च 2016 दिल्लीक जंतर-मंतर पर 
२ दिनक उपवास .... 



  मिथिलाक ऐतिहासिकताक संग भेल अन्याय के प्रतिकार अछि मिथिला राज्य निर्माणक मांग... 
छः करोड़ मिथिलावासीक सम्माऩ अछि अप्पन मिथिलाक पुनरोत्थान... गरीबी, बेकारी - बेरोजगारी, उद्योगविहीनता, बाढि-रौदी व सरकारी उदासीनताक समाधान अछि पृथक मिथिलाक स्थापना... जातिवादिताक मकड़जाल मे फसाओल गेल मिथिला समाजक एकसूत्रताक ऐलान अछि विश्वप्रसिद्ध मिथिलाक पुनर्गठन ।

अपने समस्त मिथिलावासीक
उपस्थितिक आकांक्षी .......
उपवासकर्त्ता :- मनोज झा ,
मिथिला राज्य आंदोलनकारी
8750605079

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2016

मैथिलि भाई - बंधू ध्यान देव


.
"मैथिल मंच " सँ जुड़य लेल सतत समर्थन लेल धन्यवाद

"मैथिल मंच" पुन: एहि बेर एकटा नव प्रयास प्रारंभ कय रहल अछि जहिमें हमसब समस्त मैथिलजन सँ सम्पर्क कय हुनका सबसँ किछु आग्रह करब जेना कि :

.
1.
एक दोसर सँ यथासंभव सदैव मैथिली भाषा में बात करी  .

2. समस्त मैथिल संस्था सँ अनुरोध जे अपन संस्थाक लोगो कार्यक्रम में बेसी सँ बेसी मिथिला पेंटिंग के प्रयोग करी   गूगल सँ मिथिला पेंटिंग फ्री में नहि लय कोनो ने कोनो कलाकार सँ बनबाबी कलाकार के यथासंभव आर्थिक मदद उचित सम्मान करी


"मिथिला पेंटिंग" सँ जुड़ल कोनो मदद लेल "मैथिल मंच" सदैव मदद लेल तत्पर अछि कोनो तरहक आवश्यकता पर manchmaithil@gmail.com पर मेल वा 9871687391 पर सम्पर्क कय सकय छी।
.
3. "मैथिल मंच" के सदस्य सबसँ आग्रह जे कम सँ कम एकटा वस्त्र मिथिला पेंटिंग सँ बनल जरुर खरीदी ताकि कलाकार के  मंच के तरफ सँ मदद भय सकय। समस्त मैथिल संस्था सँ सेहो अनुरोध जे मंच के अनुसरण करी एहि कार्यक्रम में। मिथिला पेंटिंग सँ बनल टी-शर्ट, कुर्ता, साड़ी, दुपट्टा, कुर्ती अनेको समान हमसब उपलब्ध करा सकय छी। उपलब्धता हेतु manchmaithil@gmail.com या 9871687391 पर Whatsapp कय सकय छी
.
4. समस्त मैथिलजन सँ आग्रह जे एकटा पाग एकटा मिथिला पेटिंग अपन-अपन घर में जरुर राखी दोसर के सेहो प्रेरित करी "मैथिल मंच" हर तरह के हर कीमत के मिथिला पेंटिंग आहां तक पहुंचाबय लेल प्रतिबद्ध अछि  

.5. मैथिलजन जे सब इंटरमीडिएट पास कय कोनो ने कोनो कारणबस पढ़ाई छोड़ि अपन रोजगार में लागि गयलौ वा आगा  नहि पढ़ि सकलौ, हुनका सब लेल "मैथिल मंच", मैथिली भाषा लय स्नातक तक के सुगम पढाई के व्यवस्था लेल प्रतिबद्ध अछि मंच के मार्गदर्शकगण एहि प्रयास के नीक समर्थन कय थहल छथि इच्छुक सदस्य के लेल सब तरहक मदद लेल तैयार छथि। सदस्यगण सँ आग्रह जे आगा बढ़ू अपन आसपास के भाई-बहिन के सेहो प्रेरित करी



6. "मैथिल मंच", मैथिली साहित्य सँ जुड़ल एकटा प्रयास करय जा रहल अछि जहि में मंच आगा सँ मिथिला पेंटिंग के साथे "मैथिली साहित्य" के प्रदर्शनी सेहो लगायत सतत प्रयासरत रहत अपन साहित्य लेल किछु ने किछु नव प्रयास करी। इच्छुक गण मैथिल मंच सम्पर्क कय सकय छी अपन पुस्तक प्रदर्शनी में जोड़य लेल।
.
"मैथिल मंच" के आगा बढ़ाबय लेल आहांसबके सुझाव आपेक्षित अछि हर तरहक सुझाव लेल manachmaithil@gmail.com पर मेल कय सकय छी वा 9871687391 पर Whatsapp पर मैसेज कय सकय छी वा www.maithilmanch.com   साईट पर जा कय Contact Us में जा अपन विचार दय सकय छी। आहां सबहक विचार हमरासब लेल बहुत महत्वपूर्ण अछि  

.जय मिथिला
जय जय मैथिल