मंगलवार, 11 जून 2019
शुक्रवार, 15 दिसंबर 2017
जे छल सपना
|| जे छल सपना ||
सुन - सुन उगना ,
कंठ सुखल मोर जलक बिना |
सुन - सुन उगना ||
कंठ सुखल -----
नञि अच्छी घर कतौ !
नञि अंगना
नञि अछि पोखैर कतौ
नञि झरना |
सुन - सुन उगना ||
कंठ सुखल -----
अतबे सुनैत जे
चलल उगना
झट दय जटा सँ
लेलक झरना |
सुन - सुन उगना ||
कंठ सुखल -----
निर्मल जल सरि के
केलनि वर्णा |
कह - कह कतय सँ
लय लें उगना ||
सुन - सुन उगना ||
कंठ सुखल --
अतबे सुनैत फँसी गेल उगना
"रमण " दिगम्बर जे
छल सपना |
सुन - सुन उगना ||
कंठ सुखल -----
लेबल:
रेवती रमण झा "रमण"
शनिवार, 9 दिसंबर 2017
|| हमर मिथिला ||
हम त मैथिल छी , मिथिला लय जान दैत छी |
एहि अन्हरिया में , पूनम के चान दैत छी ||
जागू - जागू यौ मैथिल भोर भय गेल
हमर मिथिला केहन अछि शोर भय गेल
सूतल संध्या के जागल विहान दैत छी |
हम त मैथिल छी , मिथिला लय जान दैत छी ||
एहि बातक गुमान , हमर मिथिला धाम
जतय के बेटी सीता , लेने अयली राम
मिथिला नव जाग्रति अभियान दैत छी |
हम त मैथिल छी , मिथिला लय जान दैत छी ||
जतय सीनूर पीठारे ढोरल अड़िपन
गीत गाओल गोसाउनिक मुदित भेल मन
शुभ मंडप में पागे चुमान दैत छी |
हम त मैथिल छी , मिथिला लय जान दैत छी ||
कवि कोकिल विद्यापति चंदा झा छलैथ
गार्गी मंडन लखिमा अनेको भेलैथ
"रमण " पग - पग पर पाने मखान दैत छी |
हम त मैथिल छी , मिथिला लय जान दैत छी ||
रचनाकार -
रेवती रमन झा "रमण "
मो - 9997313751
हम त मैथिल छी , मिथिला लय जान दैत छी ||
एहि बातक गुमान , हमर मिथिला धाम
जतय के बेटी सीता , लेने अयली राम
मिथिला नव जाग्रति अभियान दैत छी |
हम त मैथिल छी , मिथिला लय जान दैत छी ||
जतय सीनूर पीठारे ढोरल अड़िपन
गीत गाओल गोसाउनिक मुदित भेल मन
शुभ मंडप में पागे चुमान दैत छी |
हम त मैथिल छी , मिथिला लय जान दैत छी ||
कवि कोकिल विद्यापति चंदा झा छलैथ
गार्गी मंडन लखिमा अनेको भेलैथ
"रमण " पग - पग पर पाने मखान दैत छी |
हम त मैथिल छी , मिथिला लय जान दैत छी ||
रचनाकार -
रेवती रमन झा "रमण "
मो - 9997313751
लेबल:
रेवती रमण झा "रमण"
बुधवार, 22 नवंबर 2017
विवाह - गीत
विवाह पंचमी के मंगल मय शुभकामना अछि ,
रेवती रमन झा "रमण "
|| विवाह - गीत ||
बाबा करियो कन्या दान
बैसल छथि , बेदी पर रघुनन्दन |
दशरथ सनक समधि छथि आयल
हुनकर करू अभिनन्दन ||
बाबा करियो ----
नयनक अविरल नोर पोछु
ई अछि जग के रीत |
बेटी पर घर केर अछि बाबा
अतबे दिन केर छल प्रीत ||
मन मलान केर नञि अवसर ई
चलि कय करू गठबन्धन ||
बाबा करियो ----
जेहन धिया ओहने वर सुन्दर
जुरल अनुपम जोड़ी |
स्वपन सुफल सब आइ हमर भेल
बान्धू प्रीतक डोरी ||
आजु सुदिन दिन देखू बाबा
उतरि आयल अछि आँगन ||
बाबा करियो ----
हुलसि आउ सुन्दरि सब सजनी
गाबू मंगल चारु |
भाग्य रेख शुभ रचल विधाता
अनुपम नयन निहारु ||
"रमण " कृपा निज दीय ये गोसाउनि
कोटि - कोटि अछि बन्दन ||
बाबा करियो ----
लेबल:
रेवती रमण झा "रमण"
शनिवार, 11 नवंबर 2017
हम मूर्ख समाजक वाणी छी
|| हम मूर्ख समाजक वाणी छी ||
हम मुर्ख समाजक वाणी छी |
ज्ञाता जन छथि सदय कलंकित
हमहीं टा बस ज्ञानी छी ||
हम मुर्ख --- ||
रामचंद्र के स्त्री सीता
तकरो कैल कलंकित |
कयलनि डर सं अग्नि परीक्षा
भेला ओहो शसंकित ||
एक्कहि ठामे गना दैत छी
सुर नर मुनि जे ज्ञानी |
हम कलंकित सब के कयलहुँ
देखू पलटि कहानी ||
बुद्धिक-बल तन हीन भेल
बस आप नौने सैतानी छी |
हम मुर्ख ---||
बेटा वी. ए. बैल हमर अछि
हम फुइल कय तुम्मा |
नै केकरो सँ हम बाजै छी
बाघ लगै छी गुम्मा ||
अनकर बेटा कतबो बनलै
रहलै त अधलाहे |
अगले दिन उरैलहुँ हमहीं
कतेक पैघ अफवाहे ||
अपनहि मोने,अपने उज्ज्वल
बस हम सब परानी छी |
हम मुर्ख --- ||
बाहर के कुकरो नञि पूछय
गामक सिंह कहबी |
परक प्रशंसा पढ़ि पेपर में
मूँह अपन बिचकावी ||
सदय इनारक फुलल बेंग सन
रहलों एहन समाज |
आनक टेटर हेरि देखय लहुँ
अप्पन घोलहुँ लाज | |
अधम मंच पर बैसल हम सब
पंडित जन मन माणि छी |
हम मुर्ख --- ||
गामक हाथी के लुल्कारी
जहिना कुकर भुकय |
बाहर भले देखि कय हमर
प्रभुता पर में थुकय ||
अतय सुनैने हैत ज्ञाण की
वीघर छी कानक दुनू |
कोठी बिना अन्न केर बैसल
ओकर मुँह की मुनू ||
हम आलोचक पैघ सब सँ
हमहीं टा अनुमानी ||
हम मुर्ख --- ||
माली पैसथि पुष्प वाटिका
सिंचथि तरुवर मूल |
पंडित पैसथि पुष्प वाटिका
लोढथि सुन्दर फूल | |
लकरिहार जन लकड़ी लाबय
चूइल्ह जेमबाय गामें |
सूअर पैसय पुष्प वाटिका
विष्ठा पाबय ठामे ||
जे अछि इच्छु जकर तेहन से
दृष्टि ताहि पर डारय |
मूर्खक हाथ मणि अछि पाथर
ज्ञानी मुकुट सिधारय ||
"रमण " वसथु जे एहि समाज में
मर्दो बुझू जनानी छी |
हम मुर्ख समाजक वाणी छी
हम मुर्ख ---||
रचनाकार -:
रेवती रमन झा "रमण "
गाम- जोगियारा पतोंर दरभंगा ।
मो - 9997313751
लेबल:
रेवती रमण झा "रमण"
मंगलवार, 7 नवंबर 2017
अगहन मास
।। अगहन मास ।।
आयल अगहन सेर पसेरी
मूँसहुँ बीयरि धयने।
जन बनि हारक मोनमस्त अछि
लोरिक तान उठौने ।।
भातक दर्शन पुनि पुनि परसन
होइत कलौ बेरहटिया ।
भोरे कनियाँ कैल उसनियाँ
परल पथारक पटिया ।।
फटकि-फटकि खखड़ा मुसहरनी
खयलक मुरही चूड़ा ।
नार पुआरक कथा कोन अछि
वड़द ने पूछय गुड़ा ।।
चारु कात धमाधम उठल
जखनहि उगल भुरुकवा ।
साँझक साँझ परल मुँह फुफरी
तकरो मुँह उलकुटवा ।।
रचयिता
रेवती रमण झा "रमण"
मो - 9997313751
लेबल:
रेवती रमण झा "रमण"
शनिवार, 8 जुलाई 2017
हनुमंत - पचीसी
|| हनुमंत - पचीसी ||
ग्रह गोचर सं परेसान त अहि हनुमंत - पचीसी के ११ बार पाठ जरूर करि ---
शील नेह निधि , विद्या वारिध
काल कुचक्र कहाँ छी ।
मार्तण्ड तम रिपु सूचि सागर
शत दल स्वक्ष अहाँ छी ॥
कुण्डल कणक , सुशोभित काने
वर कच कुंचित अनमोल ।
अरुण तिलक भाल मुख रंजित
पाँड़डिए अधर कपोल ॥
अतुलित बल, अगणित गुण गरिमा
नीति विज्ञानक सागर ।
कनक गदा भुज बज्र विराजय
आभा कोटि प्रभाकर ॥
लाल लंगोटा , ललित अछि कटी
उन्नत उर अविकारी ।
वर बिस भुज रावण- अहिरावण
सब पर भयलहुँ भारी ॥
दीन मलीने पतित पुकारल
अपन जानि दुख हेरल ।
"रमण " कथा ब्यथा के बुझित हूँ
यौ कपि किया अवडेरल
-:-
-:-
|| दोहा ||
संकट शोक निकंदनहि , दुष्ट दलन हनुमान |
अविलम्बही दुख दूर करू ,बीच भॅवर में प्राण ||
|| चौपाइ ||
जन्में रावणक चालि उदंड |
यतन कुटिल मति चल प्रचंड ||
बसल जकर चित नित पर नारि |
जत शिव पुजल,गेल जग हारि ||
रंग - विरंग चारु परकोट |
गरिमा राजमहल केर छोट ||
बचन कठोरे कहल भवानी |
लीखल भाल वृथा नञि वाणी ||
रेखा लखन जखन सिय पार |
यतन कुटिल मति चल प्रचंड ||
बसल जकर चित नित पर नारि |
जत शिव पुजल,गेल जग हारि ||
रंग - विरंग चारु परकोट |
गरिमा राजमहल केर छोट ||
बचन कठोरे कहल भवानी |
लीखल भाल वृथा नञि वाणी ||
रेखा लखन जखन सिय पार |
वर विपदा केर टूटल पहार ||
तीरे तरकस वर धनुषही हाथ |
रने - वने व्याकुल रघुनाथ ||
मन मदान्ध मति गति सूचि राख |
नत सीतेहि, अनुचित जूनि भाष ||
झामरे - झुर नयन जल - धार |
रचल केहन विधि सीय लिलार ||
मम जीवनहि हे नाथ अजूर |
नञि विधि लिखल मनोरथ पुर ||
पवन पूत कपि नाथे गोहारि |
तोरी बंदि लंका पगु धरि ||
रचलक जेहने ओहन कपार |
दसमुख जीवन भेल बेकार ||
रचि चतुरानन सभे अनुकूल |
भंग - अंग , भेल डुमरिक फूल ||
गालक जोरगर करमक छोट |
विपत्ति काल संग नञि एकगोट ||
हाथ - हाथ लंका जरी गेल |
रहि गेल वैह , धरम - पथ गेल ||
अंजनि पूत केशरिक नंदन |
शंकर सुवन जगत दुख भंजन ||
अतिमहा अतिलघु बहु रूप |
जय बजरंगी विकटे स्वरूप ||
कोटि सूर्य सम ओज प्रकश |
रोम - रोम ग्रह मंगल वास ||
तारावलि जते तत बुधि ज्ञान |
पूँछे - भुजंग ललित हनुमान ||
महाकाय बलमहा महासुख |
महाबाहु नदमहा कालमुख ||
एकानन कपी गगन विहारी |
यौ पंचानन मंगल कारी ||
सप्तानान कपी बहु दुख मोचन |
दिव्य दरश वर ब्याकुल लोचन ||
रूप एकादस बिकटे विशाल |
अहाँ जतय के ठोकत ताल ||
अगिन बरुण यम इन्द्राहि जतेक |
अजर - अमर वर देलनि अनेक ||
सकल जानि हषि सीय भेल |
सुदिन आयल दुर्दिन दिन गेल ||
सपत गदा केर अछि कपि राज |
एहि निर्वल केर करियौ काज ||
|| दोहा ||
जे जपथि हनुमंत पचीसी
सदय जोरि जुग पाणी |
शोक ताप संताप दुख
दूर करथि निज जानि ||
-;-
रचल केहन विधि सीय लिलार ||
मम जीवनहि हे नाथ अजूर |
नञि विधि लिखल मनोरथ पुर ||
पवन पूत कपि नाथे गोहारि |
तोरी बंदि लंका पगु धरि ||
रचलक जेहने ओहन कपार |
दसमुख जीवन भेल बेकार ||
रचि चतुरानन सभे अनुकूल |
भंग - अंग , भेल डुमरिक फूल ||
गालक जोरगर करमक छोट |
विपत्ति काल संग नञि एकगोट ||
हाथ - हाथ लंका जरी गेल |
रहि गेल वैह , धरम - पथ गेल ||
अंजनि पूत केशरिक नंदन |
शंकर सुवन जगत दुख भंजन ||
अतिमहा अतिलघु बहु रूप |
जय बजरंगी विकटे स्वरूप ||
कोटि सूर्य सम ओज प्रकश |
रोम - रोम ग्रह मंगल वास ||
तारावलि जते तत बुधि ज्ञान |
पूँछे - भुजंग ललित हनुमान ||
महाकाय बलमहा महासुख |
महाबाहु नदमहा कालमुख ||
एकानन कपी गगन विहारी |
यौ पंचानन मंगल कारी ||
सप्तानान कपी बहु दुख मोचन |
दिव्य दरश वर ब्याकुल लोचन ||
रूप एकादस बिकटे विशाल |
अहाँ जतय के ठोकत ताल ||
अगिन बरुण यम इन्द्राहि जतेक |
अजर - अमर वर देलनि अनेक ||
सकल जानि हषि सीय भेल |
सुदिन आयल दुर्दिन दिन गेल ||
सपत गदा केर अछि कपि राज |
एहि निर्वल केर करियौ काज ||
|| दोहा ||
जे जपथि हनुमंत पचीसी
सदय जोरि जुग पाणी |
शोक ताप संताप दुख
दूर करथि निज जानि ||
-;-
रचित -
रेवती रमण झा " रमण "
ग्राम - पोस्ट - जोगियारा पतोर
आनन्दपुर , दरभंगा ,मिथिला
मो 09997313751
लेबल:
मैथिलि - हनुमान चालिसा
बुधवार, 7 दिसंबर 2016
मैथिलि - हनुमान चालिसा
लेखक - रेवती रमण झा " रमण "
|| दोहा ||
गौरी नन्द गणेश जी , वक्र तुण्ड महाकाय ।
विघन हरण मंगल कारन , सदिखन रहू सहाय ॥
बंदउ शत - शात गुरु चरन , सरसिज सुयश पराग ।
राम लखन श्री जानकी , दीय भक्ति अनुराग । ।
|| चौपाइ ||
जय हनुमंत दीन हितकरी ।
यश वर देथि नाथ धनु धारी ॥
श्री करुणा निधान मन बसिया ।
बजरंगी रामहि धुन रसिया ॥
जय कपिराज सकल गुण सागर ।
रंग सिन्दुरिया सब गुन आगर ॥
गरिमा गुणक विभीषण जानल ।
बहुत रास गुण ज्ञान बखानल ॥
लीला कियो जानि नयि पौलक ।
की कवि कोविद जत गुण गौलक ॥
नारद - शारद मुनि सनकादिक ।
चहुँ दिगपाल जमहूँ ब्रह्मादिक ॥
लाल ध्वजा तन लाल लंगोटा ।
लाल देह भुज लालहि सोंटा ॥
कांधे जनेऊ रूप विशाल ।
कुण्डल कान केस धुँधराल ॥
एकानन कपि स्वर्ण सुमेरु ।
यौ पञ्चानन दुरमति फेरु ।।
सप्तानन गुण शीलहि निधान ।
विद्या वारिध वर ज्ञान सुजान ॥
अंजनि सूत सुनू पवन कुमार ।
केशरी कंत रूद्र अवतार ॥
अतुल भुजा बल ज्ञान अतुल अइ ।
आलसक जीवन नञि एक पल अइ ॥
दुइ हजार योजन पर दिनकर ।
दुर्गम दुसह बाट अछि जिनकर ॥
निगलि गेलहुँ रवि मधु फल जानि ।
बाल चरित के लीखत बखानि ॥
चहुँ दिस त्रिभुवन भेल अन्हार ।
जल , थल , नभचर सबहि बेकार ॥
दैवे निहोरा सँ रवि त्यागल ।
पल में पलटि अन्हरिया भागल ॥
अक्षय कुमार के मारि गिरेलहुं ।
लंका में हरिकंप मचयल हू ॥
बालिए अनुज अनुग्रह केलहु ।
ब्राह्ण रुपे राम मिलयलहुँ ॥
युग चारि परताप उजागर ।
शंकर स्वयंम दया के सागर ॥
सूक्षम बिकट आ भीम रूप धारि ।
नैहि अगुतेलोहूँ राम काज करि ॥
मूर्छित लखन बूटी जा लयलहुँ ।
उर्मिला पति प्राण बचेलहुँ ॥
कहलनि राम उरिंग नञि तोर ।
तू तउ भाई भरत सन मोर ॥
अतबे कहि द्रग बिन्दू बहाय ।
करुणा निधि , करुणा चित लाय ॥
जय जय जय बजरंग अड़ंगी ।
अडिंग ,अभेद , अजीत , अखंडी ॥
कपि के सिर पर धनुधर हाथहि ।
राम रसायन सदिखन साथहि ॥
आठो सिद्धि नो निधि वर दान ।
सीय मुदित चित देल हनुमान ॥
संकट कोन ने टरै अहाँ सँ ।
के बलवीर ने डरै अहाँ सँ ॥
अधम उदोहरन , सजनक संग ।
निर्मल - सुरसरि जीवन तरंग ॥
दारुण - दुख दारिद्र् भय मोचन ।
बाटे जोहि थकित दुहू लोचन ॥
यंत्र - मंत्र सब तन्त्र अहीं छी ।
परमा नंद स्वतन्त्र अहीं छी ॥
रामक काजे सदिखन आतुर ।
सीता जोहि गेलहुँ लंकापुर ॥
विटप अशोक शोक बिच जाय ।
सिय दुख सुनल कान लगाय ॥
वो छथि जतय , अतय बैदेही ।
जानू कपीस प्राण बिन देही ॥
सीता ब्यथा कथा सुनि कान ।
मूर्छित अहूँ भेलहुँ हनुमान ॥
अरे दशानन एलो काल ।
कहि बजरंगी ठोकलहुँ ताल ॥
छल दशानन मति के आन्हर ।
बुझलक तुच्छ अहाँ के वानर ॥
उछलि कूदी कपि लंका जारल ।
रावणक सब मनोबल मारल ॥
हा - हा कार मचल लंका में ।
एकहि टा घर बचल लंका में ॥
कतेक कहू कपि की -,की कैल ।
रामजीक काज सब सलटैल ॥
कुमति के काल सुमति सुख सागर ।
रमण ' भक्ति चित करू उजागर ॥
|| दोहा ||
चंचल कपि कृपा करू , मिलि सिया अवध नरेश ।
अनुदिन अपनों अनुग्रह , देबइ तिरहुत देश ॥
सप्त कोटि महामन्त्रे , अभि मंत्रित वरदान ।
बिपतिक परल पहाड़ इ , सिघ्र हरु हनुमान ॥
॥ दुख - मोचन हनुमान ॥
मान चित अपमान त्यागि कउ ,
जगत जनैया , यो बजरंगी ।
अहाँ छी दुख बिपति के संगीमान चित अपमान त्यागि कउ ,
सदिखन कयलहुँ रामक काज ।
संत सुग्रीव विभीषण जी के,
अहाँ , बुद्धिक बल सँ देलों राज ॥
नीति निपुन कपि कैल मंत्रना
यौ सुग्रीव अहाँ कउ संगी
जगत जनैया --- अहाँ छी दुख ----
वन अशोक, शोकहि बिच सीता
बुझि ब्यथा , मूर्छित मन भेल ।
विह्बल चित विश्वास जगा कउ
जानकी राम मुद्रिका देल ॥
लागल भूख मधु र फल खयलो हूँ
लंका जरलों यौ बजरंगी ॥
जगत जनैया --- अहाँ छी दुख ----
वर अहिरावण राम लखन कउ
बलि प्रदान लउ गेल पताल ।
बंदि प्रभू अविलम्ब छुरा कउ
बजरंगी कउ देलौ कमाल ॥
बज्र गदा भुज बज्र जाहि तन
कत योद्धा मरि गेल फिरंगी ,
जगत जनैया --- अहाँ छी दुख ----
वर शक्ति वाण उर जखन लखन ,
लगि मूर्छित धरा परल निष्प्राण ।
वैध सुषेन बूटी नर आनल ,
पल में पलटि बचयलहऊ प्राण ॥
संकट मोचन दयाक सागर ,
नाम अनेक , रूप बहुरंगी ॥
जगत जनैया --- अहाँ छी दुख ----
नाग फास में बाँधी दशानन ,
राम सहित योद्धा दालकउ ।
गरुड़ राज कउ आनी पवन सुत ,
कइल चूर रावण बल कउ
जपय प्रभाते नाम अहाँ के ,
तकरा जीवन में नञि तंगी ॥
जगत जनैया --- अहाँ छी दुख ----
ज्ञानक सागर , गुण के आगर ,
शंक स्वयम काल के काल ।
जे जे अहाँ सँ बल बति यौलक ,
ताही पठैलहूँ कालक गाल
अहाँक नाम सँ थर - थर कॉपय ,
भूत - पिशाच प्रेत सरभंगी ॥
जगत जनैया --- अहाँ छी दुख ----
लातक भूत बात नञि मानल ,
पर तिरिया लउ कउ गेलै परान ।
कानै लय कुल नञि रहि गेलै ,
अहाँक कृपा सँ , यौ हनुमान ॥
अहाँक भोजन आसन - वासन ,
राम नाम चित बजय सरंगी ॥
जगत जनैया --- अहाँ छी दुख ----
सील अगार अमर अविकारी ,
हे जितेन्द्र कपि दया निधान ।
"रावण " ह्र्दय विश्वास आश वर ,
अहिंक एकहि बल अछि हनुमान ॥
एहि संकट में आबि एकादस ,
यौ हमरो रक्षा करू अड़ंगी ॥
जगत जनैया --- अहाँ छी दुख ----
|| हनुमान बन्दना ||
जय -जय बजरंगी , सुमतिक संगी -
सदा अमंगल हारी ।
मुनि जन हितकारी, सुत त्रिपुरारी -
एकानन गिरधारी ॥
नाथहि पथ गामी , त्रिभुवन स्वामी
सुधि लियौ सचराचर ।
तिहुँ लोक उजागर , सब गुण आगर -
बहु विद्या बल सागर ॥
मारुती नंदन , सब दुख भंजन -
बिपति काल पधारु ।
वर गदा सम्हारू , संकट टारू -
कपि किछु नञि बिचारू ॥
कालहि गति भीषण , संत विभीषण -
बेकल जीवन तारल ।
वर खल दल मारल , वीर पछारल -
"रमण" क किय बिगारल ॥
|| हनुमान - आरती ||
आरती आइ अहाँक उतारू , यो अंजनि सूत केसरी नंदन ।
अहाँक ह्र्दय में सत् विराजथि , लखन सिया रघुनंदन
कतबो करब बखान अहाँ के '
नञि सम्भव गुनगान अहाँके ।
धर्मक ध्वजा सतत फहरेलौ , पापक केलों निकंदन ॥
आरती आइ --- , यो अंजनि ---- अहाँक --- लखन ---
गुणग्राम कपि , हे बल कारी '
दुष्ट दलन शुभ मंगल कारी ।
लंका में जा आगि लागैलोहूँ , मरि गेल बीर दसानन ॥
आरती आइ --- , यो अंजनि ---- अहाँक --- लखन ---
सिया जी के नैहर , राम जी के सासुर '
पावन परम ललाम जनक पुर ।
उगना - शम्भू गुलाम जतय के , शत -शत अछि अभिनंदन ॥
आरती आइ --- , यो अंजनि ---- अहाँक --- लखन ---
नित आँचर सँ बाट बुहारी '
कखन आयब कपि , सगुण उचारी ।
"रमण " अहाँ के चरण कमल सँ , धन्य मिथिला के आँगन ॥
आरती आइ --- , यो अंजनि ---- अहाँक --- लखन ---
रेवती रमण झा "रमण "
मो no - 91 9997313751
लेबल:
मैथिलि - हनुमान चालिसा
सोमवार, 25 जुलाई 2016
सत्य घटना पर आधारित मैथिली टेली फिल्म - बौका
माँ मिथला प्रोडक्शन प्रजेंट्स -
सत्य घटना पर आधारित मैथिली टेली फिल्म बौका (Bouka)
बिहार के मधुबनी जिलाक अंतर्गत झंझारपुर प्रखंडक़ भैरव स्थान थाना के अंतर्गत ई घटना - घटित अछि , जे निम्न प्रकार अछि , एक झलक देखल जाओ , आ अपन मार्ग- दर्शन देल जाओ , आखिर कतेक -२ दिन तक अहि रुपे बहिन - बेटी के घर उजरत देखव , आय सम्पति के कारन , कइल दहेज़ के कारन , या फेर बेटा नै भेल ताहि कारन , ई कतेक उचित अछि अपन समाज में आखिर किया ?
youtube- link
निर्माता
- राहुल ठाकुर
छ्यांकन व संकलन - मुकेश मिश्रा (Mukesh Mishra)
लेखक व निर्देशन - काशी मिश्रा ( Kashi Mishra)
मुख्य कलाकार -
काशी मिश्रा (Kashi Mishra)
मदन कुमार ठाकुर (Madan Kumar Thakur)
रौशन कुमार (Roushan Kumar)
पूजा भारती
सुनीता यादव (Sunita Yadav)
राहुल ठाकुर.
गोविन्द मिश्रा (Govind Mishra)
म्यूजिक- उत्तम
सिंह
गीत
- आशिक दीवाना
गायक
- ज्योतिचन्द्र झा
आभार
- जगदम्बा ठाकुर व साथी
स्पेशल थैंक्स - दहेज मुक्त मिथिला (दहेज़ मुक्त मिथिला)
स्पेशल
थैंक्स
- मधुबनी आर्ट्स.ओर्ग
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