बुधवार, 18 अप्रैल 2012

बोधिसत्व क कविताक मैथिली अनुवाद

बहुचर्चित कवि बोधिसत्व क एही कविता एकटा ब्लॉग पर पढने छी ( नाम याद नै आबि रहल अछि), एतेक नीक लागल जे एकर मैथिली अनुवाद करय लेल विवश भए गेलहुं। अहूँ पढू किछु सोचय पर विवश के दैत एही कविता अहाँक.

दशरथ केर एकटा बेटी छलीह,
नाम छलीह शांता
लोग कहैत अछि
जहिया ओ जनमल छल
अयोध्या मे अकाल पडल
बारह बरख तक
धरती धुल भए गेल!

चिंतित राजा क सलाह देल गेल
की हुनकर बेटी अछि एही अकाल क कारण!

राजा दशरथ अकाल दूर करबाक लेल
श्रृंगी ऋषि क दान दए देलक अपन बेटी!

ओकर बाद शांता
कहियो नै आयल अयोध्या
लोग कहैत अछि
दशरथ डरैत रहे
हुनका बजाबै स!

बहुत दिन तलक सुन रहल अवध क आँगन
फेर ओही शांता क पति श्रृंगी ऋषि
दशरथ क करेलक पुत्रेष्टि यज्ञ!

दशरथ बनल चारि टा बेटा क बाप
संतति क अकाल मेटा गेल!

शांता बाट तकैत रहे
अपन भाई सबहक
मुदा कियो नै आयल हुनकर अंगना
नै हुनका आनय लेल
नै हुनकर हाल जानय लेल


मर्यादा पुरूषोत्तमो ना,
शायद ओ सेहो डरैत रहे
रामराज्य मे अकाल पड़य स
जबकि बन जाएत काल
राम
शान्ता क आश्रम से भए क गुजरल रहे
मुदा भेंट करय लेल नै गेल


शांता जखैन तक छलीह
बाट तकैत रहलीह अपन भाई क
की आयत राम-लखन
आयत भरत-शत्रुघ्न

बिना बुलावा क आबय लेल
ओ राजी नै छल
कियाकि सती क कथा ओ
ओ सुनि चुकल छल बचपन मे
दशरथ से!