बुधवार, 11 दिसंबर 2013

Mithila Against BIHAR

 बीते 100 सालोँ मे मिथिला के प्रति बिहार का रवैया :

1. बिहार मेँ दो एयरपोर्ट गया और पटना मेँ, पूर्णियामे नाम
मात्र का एयरपोर्ट। जब बिहार मे किसी जगह एयरपोर्ट
नहीँ था उस समय दरभंगा मे था पर आज ? पटना एयरपोर्ट
पर उतरने वाले अधिकतर यात्री उत्तरी मिथिला केँ होते हैँ पर
उत्तरी मिथिला मे एक भी एयरपोर्ट नही जहां से लोग
यात्रा कर सकेँ, क्योँ ?

2. बिहार के राज्य गीत और राज्य प्रार्थना मेँ
   मिथिला को कोइ जगह नहीँ क्या मिथिला,बिहार मेँ नहीँ है ?

3. बिहार के गया और मोतिहारी मेँ नये केद्रीय
विश्वविद्यालय बनेँगेँ, क्या पूर्णिया/ मुजफ्फरपुर इस लायक
नहीँ हैँ ?

4. बिहार सरकार ने आजतक भारत सरकार से मिथिला मे
बाढ़ की समस्या को नेपाल के समक्ष उठाने
को नही कहा है, क्योँ ? उत्तरी मिथिला मेँ बाढ़ का निदान
नहीँ हो सका है, क्योँ ?

5. आजतक कोशी पर डैम नहीँ बन सका है अगर ये डैम बन
जाता तो मिथिला बिहार को 24 घंटे बिजली उपलब्ध
कराता! क्या ये नहीँ बनना चाहिये ?

6. बिहार के पटना, गया और हाजीपुर मेँ लो फ्लोर बसेँ
चलेँगी क्या दरभंगा/ भागलपुर/कटिहार इस लायक नहीँ हैँ ?

7. मैथिली बिहार की प्रमुख भाषा है, मैथिली बिहार
की एकमात्र क्षेत्रीय भाषा है जो भारतीय संविधान
की अष्टम अनुसूचीमे शामिल है तो फिर आज तक इसे बिहार
की दूसरी राजभाषा का दर्जा क्योँ नहीँ ? यहां ये
बताना जरुरी है की मैथिली नेपाल की द्वितीय
राष्ट्रभाषा है!

8. बिहार सरकार भोजपुरी फिल्मोँ को कर मेँ छूट देती हैँ पर
मैथिली फिल्मोँ को नहीँ, क्योँ ?

9. मिथिला मेँ आजतक प्रारंभिक शिक्षा मैथिली मेँ
देनी नहीँ शुरु की गयी,क्योँ ?

10. बिहार सरकार उर्दू, बांग्ला के
शिक्षकोँ की नियुक्ति कर रहीँ पर मैथिली के
शिक्षकोँ की नहीँ, क्योँ ?

11.  जो IIIT दरभंगा के लिए था उसे नीतीश कुमार छीन कर
बिहटा स्थानांतरित कराये, क्योँ ? 

12. 2008 के कोसी पीड़ितोँ को आजतक न्याय नहीँ मिल
सका है, क्योँ ? 

13. मिथिला क्षेत्र मे नये उद्योग धंधे लगाने की बात
तो छोड़िये जितने भी पुराने जूट मिल, पेपर मिल, चीनी मिल
आदि थे वे सारे क्योँ बंद हो गये ?

14. नीतीश कुमार मिथिला क्षेत्र मेँ होने वाले हर इक
सभा मेँ ये कहते हैँ की मिथिला के विकास के बिना बिहार
का विकास नहीँ हो सकता तो फिर उन्होँने मिथिला के
विकास के लिए अब तक क्या किया ?

   कितने कारण गिनाऊ, बिहार के मिथिला के प्रति उदासीन
के ? अब तो बिहार पर विश्वास ही नहीँ है, बीते 100
सालोँ मे धोखा, धोखा और सिर्फ धोखा!

     अब आप बताइये बिहारी मित्रोँ क्योँ न करु पृथक
मिथिला राज्य की मांग ?"

सोमवार, 2 दिसंबर 2013

जन्तर-मन्तरपर ५ दिसम्बर अयबाक अपील सन्दर्भमे:   




मिथिला लेल प्राइवेट मेम्बरकेर बिल - संसदमे!

जाहि लेल ५ दिसम्बर बेसी संख्यामे जुटबाक अनुरोध कैल जा रहल अछि तेकर भूमिका स्पष्ट करब जरुरी बुझाइछ। 

सरकार द्वारा कानून बनेबाक लेल जे विधेयक बहस करबा लेल संसदमे राखल जाइछ तेकरा गवर्नमेन्ट बिल कहल जाइछ (वेस्टमिन्स्टर सिस्टम - जेकरा भारतीय संविधानसेहो अनुसरण करैछ) आ जे कैबिनेटसँ इतर सरकारक सहयोगी वा विरोधी पक्षक सदस्य द्वारा राखल जाइछ तेकरा प्राइवेट मेम्बर बिल मानल जाइछ। १९४७ केर तुरन्त बाद जखन मिथिला राज्यक माँग भारतीय संसदमे पास नहि भेल आ फेर राज्य गठन आयोग द्वारा सेहो १९५६ मे आरो-आरो नव राज्य गठन होयबा समय सेहो एकरा नकारल गेल तेकर बादसँ आधिकारिक बहस भारतीय संसदमे एहिपर नहि भेल अछि। ताहि लेल दरभंगासँ भाजपा संसद कीर्ति झा आजाद एहि विषयपर गंभीरतापूर्ण संज्ञान लैत बौद्धिकतासँ भरल ऐतिहासिकता आ उपलब्ध दस्तावेज सबकेँ समेटने अपना दिशिसँ मिथिलाक अस्मिताक रक्षा लेल डेग उठौलनि आ एहि क्रममे हुनका द्वारा प्रस्तुत बिल "बिहार झारखंड पुनर्संयोजन विधेयक २०१३" (The Bihar Jharkhand Reorganization Bill, 2013) संसदमे बहस लेल प्रस्तावित कैल गेल अछि। विधान अनुरूप कोनो बिलपर बहस लेल राष्ट्रपतिक मंजूरी आवश्यक रहनाय आ फेर समुचित तारीख दैत एहिपर बहस केनाय आ यदि सदन एकरा मंजूर करैत अछि तँ संविधानमे प्रविष्टि केनाय - यैह होइछ प्राइवेट मेम्बर बिल।

जेना ई बुझल अछि जे मिथिला राज्यक माँग भारतक स्वतंत्रता व ताहू सँ पूर्वहिसँ कैल जा रहल अछि - कारण बस एकटा जे "मिथिला अपना-आपमे परिपूर्ण इतिहास, भूगोल, संस्कृति, भाषा, साहित्य, संसाधन, समाजिकता आ सब आधारपर राज्य बनबाक लेल औचित्यपूर्ण अछि" आ भारतीय गणतंत्रमे राज्य बनबाक जे आधार छैक तेकरा पूरा करैत अछि.... दुर्भाग्यवश अंग्रेजक समयमे प्रान्त गठन करबा समय मिथिला लेल पूरा अध्ययनक बावजूद बस किछेक खयाली कल्पनासँ एकरा मिश्रितरूपमे 'बिहार' राज्य संग राखि देल गेल छल, मुदा बिहारसँ पहिले उडीसाक मुक्ति (१९३६) आ फेर झारखंडक मुक्ति (२०००) मे कैल गेल यद्यपि मिथिलाक माँग ताहू सबसँ पुरान रहितो एहिठामक लोकसंस्कृतिक संपन्नता आ लोकमानसक सहिष्णुताकेँ कमजोरी मानि बस सब दिन संग रहबाक लेल अनुशंसा कैल गेल... परञ्च जे विकास करबाक चाही से नहि कैल गेल, जे पोषण करबाक चाही सेहो नहि कैल गेल... उल्टा जेहो पूर्वाधार एहिठाम विकसित छल तेकरो धीरे-धीरे मटियामेट कय देल गेल। बिहारक शासनमे सब दिन मिथिला क्षेत्र उपेक्षित रहि गेल। एक तऽ प्रकृतिक प्रकोप जे बाढिक संग-संग सूखाक दंश, ऊपरसँ कोनो वैज्ञानिक वा विकसित प्रबंधन नहि कय बस दमन आ उपेक्षाक चाप थोपि मिथिलाक लोकमानसकेँ आन-आन राज्य जाय सस्ता मजदूरी आ चाकरीसँ जीवन-यापन करबाक लेल बाध्य कैल गेल। परिणामस्वरूप एहि ठामक विकसित आ सुसभ्य परंपरा सब सेहो ध्वस्त भेल, लोकसंस्कृतिक मृत्यु होमय लागल आ आब मिथिला मात्र रामायणक पन्नामे नहि रहि जाय से डर बौद्धिक स्तरपर स्पष्ट होमय लागल। तखन तऽ जे विधायक (जनप्रतिनिधि) एहिठामसँ चुनाइत छथि आ केन्द्र व राज्यमे जाइत छथि हुनकहि पर भार रहल जे मिथिलाकेँ कोना संरक्षित राखि सकता - लेकिन जाहि तरहक नीतिसँ मिथिलाकेँ विकास लेल सोचल गेल ताहिसँ उपेक्षा आ पिछडापण नित्यदिन बढिते गेल। हालत बेकाबू अछि, लोकपलायन चरमपर अछि, शिक्षा, उद्योग, कृषि, प्रशासन सब किछु चौपट देखाइत अछि। बिना राज्य बनने कोनो तरहक सुधारक गुंजाइश न्यून बुझाइछ।

हलाँकि भारतमे लगभग ३०० सँ ऊपर प्राइवेट मेम्बर बिल आइ धरि आयल, ताहिमे सँ बिना बहस केने कतेक रास गट्टरमे फेका गेल तऽ लगभग १४ टा विधानक रूपमे सेहो स्वीकृति पौलक। एहि बिलक भविष्य जे किछु होउ से फलदाता बुझैथ, लेकिन एक सशक्त-जागरुक चेतनशील मैथिलक ई कर्तब्य बुझापछ जे अपन राजनैतिक अधिकार लेल एना हाथ-पर-हाथ धेने नहि बैसैथ आ अपन अधिकार लेल आवाज धरि जरुर उठबैथ। यदि भारतीय गणतंत्रमे मिथिलाक मृत्यु तय छैक तऽ भारतक भविष्यनिर्माता सब जानैथ, लेकिन एक "मैथिल" लेल अपन भागक कर्तब्य निर्वाह करबाक जरुरत देखैत अपील कैल जा रहल अछि जे जरुर बेसी सऽ बेसी संख्यामे जन्तर-मन्तरपर ओहि बिलकेर समर्थन लेल राजनैतिक समर्थन जुटेबाक उद्देश्यसँ आ मिथिला राज्य संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा राखल गेल धरनामे सद्भाव-सौहार्द्रसंग सहभागिता लेल सेहो हम सब पहुँची। अपन अधिकार लेल संघर्ष करहे टा पडैत छैक, बैसल कतहु सँ कोनो सम्मान वा स्वाभिमान प्राप्त नहि भऽ सकैत छैक, ई आत्मसात करैत हम सब एकजुटता प्रदर्शन करी।

याद रहय - ५ दिसम्बर, २०१३, स्थान जन्तर-मन्तर, समय दिनक १० बजेसँ।

शनिवार, 30 नवंबर 2013

चलो जन्तर-मन्तर पर! ५ दिसम्बर, २०१३



चलो जन्तर-मन्तर पर! 

५ दिसम्बर, २०१३   

   
(जन्तर-मन्तरपर विशाल धरना प्रदर्शन - मिथिला राज्यके समर्थनमें - संसदमें रखे गये बिलपर सकारात्मक बहसके लिये राजनीतिक शक्तियोंसे सामूहिक अनुरोध के लिये।)

वैसे तो मिथिला राज्यका माँग स्वतंत्रता पूर्वसे ही किया जा रहा है, स्वतंत्रता उपरान्त भी यह माँग देशकी प्रथम संविधान सभाके सत्रोंसे लेकर राज्य पुनर्गठन आयोग तक मंथनका विषय बननेके बावजूद राजनीतिपूर्वक किसी न किसी बहानेमे नकारा गया और मैथिली सहित मिथिलाके भविष्यको पहचानविहीनताकी रोगसे आक्रान्त किया गया जो निसंदेह किसी गणतंत्रात्मक प्रजातांत्रीक मुल्कके सर्वथा-हितमे नहीं हो सकता है। फलस्वरूप अब मिथिलाका वो स्वर्णिम समय दुबारा भारतको शास्त्र-महाशास्त्रके साथ आध्यात्मिक दर्शनकी पराकाष्ठापर पहुँचा सके, हाँ आज इतना तो जरुर है कि मिथिलाके मिट्टी और पानीसे सींचित व्यक्तित्व न केवल राष्ट्रमे बल्कि समूचे ग्लोबपर अपनी उपस्थिति ऊपरसे नीचेतक हर पद व स्थानपर महिमामंडित करते हैं, लेकिन मूलसे बिपरीत आज सामुदायिक कल्याण निमित्त नहीं होता - बस व्यक्तिगत विकास केवल लक्ष्य बनकर पहचानविहीनताके रोगसे मिथिला-संस्कृति विलोपान्मुख बनते जा रहा है। ऐसेमें यदि अब स्वतंत्रताका लगभग ७ दशक बीतने लगनेपर भी मिथिलाको स्वराज्यसे संवैधानिक सम्मान नहीं दिया गया तो मिथिलाका मरणके साथ भारतकी एक विलक्षण संस्कृतिका खात्मा तय है।

           भारतमे विभिन्न नये राज्य बनानेकी परिकल्पना आज भी निरंतर चर्चामें रहता ही है। संसदसे सडकतक इस विषयपर नित्य विरोधसभा और संघर्ष कर रही है यहाँकी जनता, खास करके जिनका पहचान समाप्तिकी दिशामे बढ रहा है और उपनिवेशी पहचानकी बोझसे अधिकारसंपन्नताकी जगह विपन्नता प्रवेश पा रहा है वहाँपर नये राज्योंकी सृजना अनिवार्य प्रतीत होता है। बिहार अन्तर्गत मिथिला हर तरहसे पिछड गया, ना बाढसे मुक्ति मिल सका, ना पूर्वाधारमें किसी तरहका विकास, ना उद्योग, ना शिक्षा, ना कृषिमें क्रान्ति या आत्मनिर्भरता, ना भूसंरक्षण या विकास, ना जल-प्रबंधन और ना ही किसी तरहका लोक-संस्कृतिकी संवर्धन वा प्रवर्धन हुआ। बस नामके लिये सिर्फ मिथिलादेश अब मिथिलाँचल जैसा संकीर्ण भौगोलिक सांकेतिक नामसे बचा हुआ है। राजनीति और राजनेताके लिये मिथिलाका पिछडापण मुद्दा तो बना हुआ है लेकिन वो सारा केवल कमीशनखोरी, दलाली, ठीकेदारी, लूट-खसोट और अपनी राजनैतिक लक्ष्यतक पहुँचने भर के लिये। मिथिला भारतीय गणतंत्रमें मानो दूधकट्टू संतान जैसा एक विचित्र पहचान 'बिहारी' पकडकर मैथिली जैसे सुमधुर भाषासे नितान्त दूर 'बिहारी-हिन्दी'की भँवरमें फँसकर रह गया है।

                जिस बलसे मिथिला कभी मिथिलादेश कहा जाता रहा, जिस तपसे जहाँकी धरासे साक्षात् जगज्जननी स्वयं सिया धियारूपमे अवतार लीं, जहाँ राजनीति, न्याय, सांख्य, तंत्र, मिमांसा, रत्नाकर आदि सदा हवामें ही घुला रहा... उस मिथिलाको पुनर्जीवन प्रदान करने के लिये स्वराज्य देना भारतीय गणतंत्रकी मानवृद्धि जैसा होगा ‍- अत: मिथिला राज्यकी माँगवाली विधेयक काफी अरसेके बाद फिरसे भारतीय संसदमें बहसके लिये आ रही है। किसी एक नेता या किसी खास दलका प्रयास भले इसके लिये ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो, लेकिन जरुरत तो सभी पक्षों और राष्ट्रीय सहमतिका है जो इस माँगकी गंभीरताको समझते हुए वगैर किसी तरहका विद्वेषी और विभेदकारी आपसी फूट-फूटानेवाली राजनीति किये न्यायपूर्ण ढंगसे मिथिला राज्यको संविधान द्वारा मान्यता प्रदान करे। इसमें कहीं दो मत नहीं है कि नेतृत्वकी भूमिकामें जितने भी संस्था, व्यक्ति, समूह, आदि भले हैं, पर मुद्दा तो एकमात्र 'मिथिला राज्य' ही है और इसके लिये एकजुटता प्रदर्शनके समयमें हम सब मात्र मिथिला राज्यका समर्थक भर हैं और मिथिलाकी गूम हो रही अस्मिताकी संरक्षणके लिये, मिथिलाकी चौतरफा विकासके लिये, मिथिलाकी खत्म हो रही लोक-संस्कृति और लोक-पलायनको नियंत्रित रखने के लिये अपनी उपस्थिति जरुर दिल्लीके जन्तर-मन्तरपर और भी अधिक लोगोंको समेटते हुए जरुर दें। तारीख ५ दिसम्बर, समय १० बजेसे, स्थान जन्तर-मन्तर, संसद मार्ग, नयी दिल्ली!


मिथिलावासी एक हो! एक हो!! एक हो!!

एकमात्र संकल्प ध्यानमे!
मिथिला राज्य हो संविधानमे!!

भीख नहि अधिकार चाही!
हमरा मिथिला राज्य चाही!!

जय मिथिला! जय जय मिथिला!!

शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

मिथिला राज्य किऐक?

मिथिला राज्य किऐक?

Pravin Narayan Choudhary


* संवैधानिक अधिकार सम्पन्नता लेल 
* संस्कृति आ सभ्यताक संरक्षण लेल
* विशिष्ट पहिचान 'मैथिल' केर संरक्षण लेल 
* पलायन आ प्रवासक खतरा सँ मिथिलाक रक्षा लेल
* आर्थिक पिछडापण आ उपेक्षा विरुद्ध स्वराज्यसम्पन्न विकास लेल
* स्वरोजगार संयंत्र - उन्नत कृषि - औद्योगिक विकास लेल

* बाढिक स्थायी निदान लेल
* शिक्षाक खसैत स्तर में सुधार लेल
* मुफ्त शिक्षा आ शत-प्रतिशत साक्षरताक लेल
* गरीबी उन्मुलन - हर व्यक्ति लेल रोजी, रोटी आ कपडा लेल
* जातिवादिताक आइग सँ जरि रहल समाजमें सौहार्द्रता लेल
* ऐतिहासिक संपन्नताकेर द्योतक धरोहरकेर संरक्षण लेल

* पर्यटन केन्द्रकेर स्थापना, विकास व संरक्षण लेल
* यात्रा संचार के लचरल पूर्वाधारमें ललित विकास लेल
* जल-स्रोत केर समुचित दोहन लेल
* मिथिला विशेष कृषि उत्पाद केर व्यवसायीकरण लेल
* जल-विद्युत परियोजना - जल संचार परियोजना लेल
* मिथिला विशेष शिक्षा पद्धति (तंत्र ओ कर्मकाण्ड सहित अन्य विधाक) अध्ययन केन्द्र लेल

* पौराणिक मिथिलादेश समान आर्थिक संपन्नता लेल
* पौराणिक न्याय प्रणाली समान उन्नत सामाजिक न्याय व्यवस्था लेल
* जन-प्रतिनिधि द्वारा वचन आ कर्म में ऐक्यता लेल
* भ्रष्ट आ सुस्त-निकम्मा प्रशासन तथा जनविरोधी शोषणके दमन लेल
* लचरल स्वास्थ्य रक्षा पूर्वाधार में नितान्त सुधार लेल
* मुफ्त बिजली, पेयजल, शौच, गंदगी बहाव व्यवस्थापन लेल

स्वराज्य सदैव आमजन हितकारी होइछ। मिथिलाक गरिमा अपन स्वतंत्र अस्तित्व १४म शताब्दीक पूर्वार्द्ध धरि कायम रखलक। बादमें विदेशी शासककेर चंगूलमें फँसैत अपन गरिमासँ क्रमश: दूर भेल। एकर समुचित प्रतिकार लेल भारतीय गणतंत्रक विशालकाय शरीरमें आबो यदि राज्यरूपमें संवैधानिक मान्यता नहि पायत तऽ मिथिलाक सांस्कृतिक मृत्यु ओहिना तय अछि जेना एकर अपन लिपि, भाषा ओ समृद्ध लोक-परंपरा-संस्कृति आदि लोपान्मुख बनि गेल। बिना राजनीतिक संरक्षण आ समुचित प्रतिनिधित्वक प्रत्यक्ष प्रमाण ६५ वर्षक घोर उपेक्षा सोझाँमें अछि। अत: राष्ट्रीयता आ राष्ट्रवादिताक सशक्तीकरण संग-संग क्षेत्रीय संपन्नता आ सभ्यताक संरक्षण लेल मिथिला राज्य बनेनाय परमावश्यक अछि। 

बुधवार, 6 मार्च 2013

दरभंगा क होली ( आशीष झा )

साजिश रचलथि मुकुंद बाबू, महरानीजीक संग, महराजक गुलाल बिकायल, बांटल गेल सब रंग,,,योगिरा साराररररररररररररररररररर


कतए गेलहुं हउ ललित बाबू, देखू जग्‍गूक राज, अहिंक चिता पर बैस केलथि ओ कुकर्मी सब काज, जोगिरा सारारररररररररररररररररर

शुभू बाबू छलाह कुमार, दर्शन मे नहि छल व्‍यवधान, हुनकर बेटा सबस उपर, छथि द्वितियाक चान, जोगिरा साराररररररररररररररररर


सुमन जी संसद मे कविता लिखलथि अछि सदिखन, आ कीर्ति बाबू क टीवी पर संसद स बेसी दर्शन, जोगिरा सारारररररररररररररररर

घोंटू भांग हराही में आब, दिग्धि में घोलू आब रंग, लोकतंत्र छै दरभंगा में, करू खूब हुडदंग, जोगिरा सारारररररररररररररररररररररररर

नाली सबटा जाम करू, कहिं भांग बहा ल जाए, शहरक चिंता करब किया यउ, संजय हम्‍मर भाई,जोगिरा साराररररररररररररररररररर

शमसानो मे रामधुन आब सुनबा लेल अछि भीड, भांग धथूर ज्‍यों पीने रहितहुं फूटिते नहि तकदीर, जोगिरा सारारररररररररररररररररर

शोध पढाई छोडि करैत अछि सबटा देखू काज, विश्‍वविद्यालय भेटत एहन नहि, करू किया हम लाज, जोगिरा सारारररररररररररररररर

बेंटली गाडी खेत मे धंसल देखलहुं हम यउ यार, रमनजी कहलथि मामा किनलथि विदेश मे जगुआर, जोगिरा सारारररररररररररररररर

शैल्‍य चिकित्‍सा भेल जरूरी दरभंगा लेल भाई, रंगक लेप लगाउ तन पर, भांग पीयू खूब आई, जोगिरा साराररररररररररररररररररररर

वैशाली जा बसला कियो, कियो बसलाह गुडगांव, इटली वाला मामा कहलथि मोन पडैत अछि गांव, जोगिरा सारारररररररररररररररररर

अग्रवाल कए विद्यापति बनि तकैत छी हम आइ, उडन खटोला देखा गेलाह ओ कोना हम बिसरब भाई, जोगिरा साराररररररररररररररर

बिजली आउत हमर घर केना, भोर सांझ दुपहरिया कए, एहन प्रेम छल लालटेन स जे बिसरल शहर बेरौलिया कए, जोगिरा साराररररर

पीएम, सीएम सब जेबी मे, की कहू खुरखुर भाई, कहबा लेल रिपोर्टर छथि ओ बताह लगैत छथि आई, जोगिरा सारारररररररररररररर

फेसबुक पर खूब भेटैत अछि विद्वानक अज्ञान, धरती पर देखबा लेल चलू अपन मिथिला धाम, जोगिरा सारारररररररररररररररररररररर

गप कहता दरभंगा बचायब, दारू पीब बहेता नोर, कहबैन जे किछु करू यउ भाई, अउता बेच जमीन ओ थोड, जोगिरा साराररररररररररर

रमन, मदन, आशीष भ पागल, कुमुद, विकास, दीपेशक संग, सांझ पराती गाबि रहल छथि, बजाल रह मृदंग, जोगिरा साराररररररररर

भांग दिय हमरा आइ एतबा, नशा हुए कहियो नहि भंग, होश भेला पर देखि शहर कए नोर होएत बदरंग, जोगिरा सारारररररररररररररर

माइग्रेट हमहु भ गेलहुं, बदलि लेलहु हम मदरटंग, कियो नहि चिन्‍हे दरभंगाक छी, एतबा थोपू रंग, जोगिरा साराररररररररररररररररर

आशीष झा

मंगलवार, 5 मार्च 2013

दहेज मुक्त मिथिलाक सफलतम २ वर्ष पूरा



दहेज मुक्त मिथिलाक सफलतम २ वर्ष पूरा


दहेज मुक्त मिथिला: तेसर वर्षमें प्रवेश(विशेष प्रतिवेदन)
दहेज मुक्त मिथिला आइ ३ मार्च २०१३ तेसर वर्षमें प्रवेश पौलक - विगत दू वर्षमें उपलब्धि सामान्य सऽ सेहो निचां रहल जेना हमर अनुभूति कहि रहल अछि। असफलता-सफलताक द्वंद्वमें फँसबाक लेल नहि, लेकिन आत्मनिरिक्छण लेल ई जरुरी जे दुनू विन्दुपर समीक्छा जरुर कैल जाय।

सफलता आ असफलताक सूची:सफलता १. सौराठ सभागाछी पुन: उत्थान हो ताहि लेल सार्थक सहकार्य। २०११ व २०१२ दुनू वर्ष।
  
असफलता १. बहुतो युवा द्वारा गछलाके बादो सभामें नहि आबि चोरा-नुका के विवाह करब घोर असफलता आ शायद आरोपके सिद्ध करयवाला जे कहयकाल मात्र दहेजके परित्याग लेल शपथ लेल गेल लेकिन विवाह घडी चोरा-नुका कार्य करब याने अवश्य किछु संदेहास्पद व्यवहार तरफ इशारा करैत अछि।
  
सफलता २. दहेज मुक्त मिथिला लेल पूर्ण प्रजातांत्रिक चुनाव अनलाइन सभा द्वारा करैत एक कार्यकारिणीक गठन।
  
असफलता २. मैथिलक आम स्वभाव जे आपसमें मेलके कमी, व्यक्तिवादी बनैत मुद्दाके दरकिनार करैत केवल आपसमें घमर्थनबाजी करब तेकर खुलेआम प्रदर्शन आ विभिन्न बहाने पलायनवादी मानसिकताक प्रदर्शन। एकजूटतामें कमी, अभियानक गतिमें शिथिलता।
  
सफलता ३. दहेज मुक्त मिथिला लेल वेबसाइटके निर्माण, फीचर व फेसिलिटी पर सुन्दर समझदारीक संग कार्य संचालन सँ एक कीर्तिमान स्थापित कैल गेल।
  
असफलता ३. उपरोक्त वेबसाइट के समय-समयपर स्थिति-परिस्थिति अनुरूप बदलैत आम जन लेल उपयोगी बनेबाक छल, लेकिन वेब एडमिनिस्ट्रेटर राजीव झा'क व्यक्तिगत व्यस्तता वा अन्य कारणे आवश्यक आश्वासनक बावजूद कोनो कार्य पूरा नहि होयब बहुत पैघ असफलताक द्योतक, एकर समाधान लेल समुचित सहकार्य के पूर्ववत् राखब जरुरी या नहि तऽ नव वेबसाइट निर्माण लेल कदम उठेबाक आवश्यकता।
  
सफलता ४. २०११ अगस्तमें विराटनगरमें संकल्प दिवस भव्यताक संग मनायल गेल - सैकडों जनसमूह दहेजक कूप्रथा विरुद्ध शपथ लेलाह। नेपालक विभिन्न एफ-एम पर अभियानक जोर-शोर सँ आवाज भेटब - हिन्दुस्तान, प्रभात खबर, जागरण लगायत नेपालक विभिन्न पत्र-पत्रिकामें अभियान प्रमुखता सँ जगह पेलक जेकर सार्थक संवाद सँ लाखों जनसमूह लाभान्वित भेल। 
  
असफलता ४. २०११ में दिल्लीमें राष्ट्रीय अधिवेशन करबैत सगर मिथिलामें दहेज विरुद्ध शंखघोषके महा-योजना विफल। कारण अनेक - दिल्लीमें संगठनके कोनो मजबूत रूप नहि, जे संग वैह द्रोही... आ कतेको अन्य कारण। फलस्वरूप कार्यकारिणीमें आपसी कलह आ टूट-फूट, एक नव संस्थामें एहि तरहक व्यवहार सँ कमजोरी आयब स्वाभाविक।
  
सफलता ५. २०११ के दुर्गा पूजामें गाम-गाम भ्रमण आ अभियानक प्रचार।

असफलता ५. अभियानमें अपेक्छा सभ सदस्य सँ रहितो बहुतो गाम पधारल सदस्य द्वारा कोनो व्यक्तिगत प्रयास नहि कयला सँ हतोत्साहके प्रसार।

सफलता ६. २०११ दिसम्बरमें विराटनगरक अन्तर्राष्ट्रीय मंच सँ जनसमूह द्वारा दहेज मुक्त मिथिलाक अभियान प्रति समर्थन हेतु सहयोग के आह्वान, नेपालमें दमुमि निर्माण लेल करुणाजी द्वारा प्रतिबद्धता आ सफलतापूर्वक संस्थाक पंजियन कार्य पूरा। 

 असफलता ६. आन्तरिक राजनीति आ आरोप-प्रत्यारोप सँ पुन: आपसी विश्वासमें ह्रास, पंजियन उपरान्त सोचल कार्य में देरी। 
  
सफलता ७. सौराठ सभामें जानकी नवमी मनयबाक कार्य पूरा।
  
असफलता ७. जाहि तरहक विचार गोष्ठी करेबाक नियार छल ताहिमें घोर कमी - पुन: आपसी विश्वासमें कमीके कारण तथा अनावश्यक शंका तथा गैर‍-जरुरी राजनीतिक हस्तक्छेप सँ अभियानकेँ हतोत्साहित कैल गेल। खर्चक बावजूद आवश्यक उपयोगितामें अकाल।
  
सफलता ८. सौराठ सभा २०१२ में दू दिन सफलतापूर्वक सहभागिता।
  
असफलता ८. सौराठ सभा २०१२ में राजनीति हस्तक्छेपके कारण शिथिलता।
  
सफलता ९. दुर्गा पूजा २०१२ में पुन: गाम-भ्रमण आ सौराठ धरोहर के पुनरुत्थान संग माँगरूपी दहेजक प्रतिकार लेल प्रत्येक गाममें एक समिति निर्माण लेल अनुरोध। आगामी सौराठ सभा २०१३ तक एकर प्रतिवेदन प्रकाशन करबाक नियार।

असफलता ९. हरेक कार्य करबाक लेल समूहगत प्रयासके सार्थकता बुझबा में अधिकांश सदस्य असमर्थ आ बस केवल आपसी कट्टी-फट्टी खेल में महत्त्वपूर्ण कार्य करबा तरफ किनको ध्यान नहि होयब।

सफलता १०. राष्ट्रीय स्तर केर पंजियन लेल समस्त कागजी कार्य पूरा - दिल्लीमें आवेदन जमा। पंजियनक प्रक्रिया निरंतरतामें।

सफलता ११. सौराठ सभा २०१२ सँ दू दूल्हाक दहेज मुक्त विवाह करबाक कारणे सम्मान कार्यक्रम विराटनगर के अन्तर्राष्ट्रीय मंच सँ नेपालक उप-प्रधान तथा गृहमंत्री विजय कुमार गच्छदार द्वारा प्रशस्ति पत्र तथा उपहार प्रदान करबाक कार्यक्रम दहेज मुक्त मिथिला (नेपाल) - अध्यक्छा श्रीमती करुणा झा आ सहकार्य मैथिली सेवा समिति - विराटनगर।

असफलता ११. मधुबनीमें औझके दिन तेसर वर्षगांठ मनयबाक लेल अन्तर्विद्यालय स्तरीय वाद-विवाद प्रतियोगिता सँ युवा-पीढीक मानसिकता ऊपर आवश्यक प्रेरणा-स्थापना पर परीक्छा आ संयोजकक अनावश्यक भय तदोपरान्त पलायनवादी मानसिकताक कारणे विफलता।

आगामी योजना:

१. अप्रील २०१३ में मधुबनीमें ‌प्लस २ स्तर के परीक्छा देल छात्र-छात्रा द्वारा दहेज विषय पर वृहत् वाद-विवाद प्रतियोगिताक आयोजन।


२. कम से कम एको गाम में ५ गरीब छात्राक पढाई करेबाक लेल संस्था द्वारा गोद लेबाक प्रक्रिया।


३. नेपालमें प्रत्येक महीना विद्यालय-महाविद्यालय स्तरीय युवा-युवती द्वारा वैचारिक आदान-प्रदान तथा सी-एफएम राजविराज द्वारा रेडियो प्रसारण।


४. जानकी नवमी मनेबाक लेल दरभंगा जिलामें कार्यक्रम। सौराठ सभा तर्ज पर वैवाहिक योग्य युवा-युवतीक लेल सभा आयोजन पर समूह-बहस कार्यक्रम।


५. हरेक जिलामें किछु न किछु कार्यक्रम करबाक नियार। संयोजन लेल स्थानीय कार्यकर्ता व संरक्छक के खोज निरंतरतामें।


एवं बहुतो अन्य! 

महत्त्वपूर्ण नोट:१. दहेज मुक्त मिथिला कोनो एनजीओ नहि छी - ई स्वस्फूर्त एवं स्वयं-सहयोगी युवा ताहू में अपन पैर पर ठाड्ह ओहेन युवा शक्ति जिनकामें किछु सार्थक कार्य करबाक लेल त्याग करबाक संग समर्पित रहबाक प्रतिबद्धता सेहो छन्हि। ताहि हेतु शुरुएमें पहाड ढाहय के सपना देखब अतिश्योक्तिपूर्ण अपेक्छा करब होयत। स्पष्ट करी जे आइ धरि लगभग लाख में खर्च कैल गेल अछि जे मात्र जनमानसमें ई चर्चा शुरु करा सकल अछि जे दहेज मुक्त मिथिला नामक अभियान जमीनपर उतरल अछि, आ जखन नामक चर्चा शुरु भेल तऽ अवश्य एकर शीघ्र सार्थक प्रभाव सेहो देखय में आयत। लेकिन दिल्ली एखनहु एहि लेल दूर अछि जे आन्दोलनमें जुडनिहार लोकके संख्या लगभग नगण्य अछि। २०१३ ई. एहि सपना के पूरा करत तेकर पूर्ण तैयारी अछि। 

२. दहेज प्रथा आ सम्बन्धित अनेको बात लेल समाजमें बहुतो तरहक भ्रम-भ्रांति पसरल अछि, ताहि सभके समाधान लेल हमरा लोकनिक शोध कार्य निरन्तरतामें अछि। एहि सभ के अध्ययन लेल निम्न लिंक सभ पर जरुर विजीट करी।
  

  
  

(उदाहरणार्थ: दहेज ओ नहि जे लडकीवालाक माँग विरुद्ध माँग कैल गेल हो, बल्कि समस्त माँग जे लैंगिक विभेद उत्पन्न करैत हो आ आपसी विश्वास व स्वेच्छाचारिताक विरुद्ध हो। आदर्श विवाह केहेन हो। दहेज पर भारतीय संविधान कि कहैत अछि। समूहमें कोन लडका वा लडकी अपन विवाह दहेज मुक्त करय लेल चाहैत छथि। एहेन बहुत तरहक तथ्यांक व सैद्धान्तिक निरूपण करबाक निरन्तर प्रयास करबाक लेल हम सभ दृढ-प्रतिग्य छी।)

दहेज मुक्त मिथिला कार्यालय (भारत): ई -७५, सोम बाजार, नन्हे पार्क,नयी दिल्ली ११० ०५९,भारत।
फोन: ०९९१०६०७७२० (संतोष नारायण चौधरी ) एवं ०९३१२४६०१५० (मदन कुमार ठाकुर )।




कार्यालय (नेपाल):राजविराज - ७, सप्तरी, नेपाल।फोन: ००९७७-३१-५२२८३०.

शनिवार, 12 जनवरी 2013

युवा मैथिल भेल पृथक मिथिला राज्य के लेल आगू ( डेल्ही जंतर - मंतर -22 मार्च से 25 मार्च - 2013)


 युवा मैथिल भेल पृथक  मिथिला राज्य के  लेल  आगू ( डेल्ही जंतर - मंतर -22 मार्च से 25 मार्च - 2013)    
    प्रीय मैथिल,
मिथिला राज्यक लेल चारि दिनक अनशन एहि बातक घोतक अछि जे,सार्थक्ता आब एहि आंदोलन सँ जुड़ि रहल अछि। ई कोनो साधारण निर्णय नहि अछि अपितु,पांडित्य आ परीधीक आवरण तोरि आब आंदोलन अपन सार्वभौमिकताक दीश अग्रसर बुझना जाइत अछि।एहि मे कोनो शंका नहि अछि जे,दशियों सँ काबिल आ कर्मठ लोक मैथिली आ मिथिलाक आंदोलनक आधुनिक स्वरूप के संरक्षन दैत रहलाह मुदा आब एहि स्वरूप के परीधीक दायरा सँ बान्हल नहि राखल जा सकैत अछि आ तैं हम पुर्ण रूपें एहि अनशन के समर्थन करैत छी। इश्वर हुनका एहि कठिन निर्णयक काल मदद करैथि।प्रवीण जी, अहिंक पोस्ट सँ हमरा ई समाचारक ग्याँत भेल तैं हुनकर नाम जानबाक इक्षा हमरा जरूर अछि।
एहन बहुतो लोक छथि जे,सक्षम छथि मिथिलाक एतिहासिक दृष्टिपटल पर अवतरित होयबाक लेल।सूचना क्रांतिक एहि दौर मे हमरे अहाँ के हिनका आगू बढेबाक साधन तैयार करय पड़त आ तखने ओहि परीधी आ परिसीमा सँ हम एहि आंदोलन के बाहर निकालि सकैत छी।हमर मन्तव्य सँ ई तातपर्य नहि होयबाक चाही जे,कियो ओहि परीधीक निर्माणक दोषी छथि मुदा एहि काल मे सबहक सहभागिकताक जरूरत अछि आ एहि समय हम व्यापकतताक विरोधी नहि भय सकैत छी।
हम याद दियाबी जे,८ जनवरीक कमला नेहरू लाइब्रेरीक मिथिलांचल विकास सेनाक कार्यक्रम के ओहि ठामक मिडिया अधिक रास सराहना कैलन्हि अछि।ई खुशीक गप्प अछि जे मिडियो तत्पर छथि एहन तरहक आंदोलन के अमली जामा पहिरेवाक लेल। एहि मे रत्नेशवर झा जीक,मिथिला मुक्ति मोर्चाक सरोज झा जीक,प्रवीण जीक ओ सनेस जे आदित्य जीक माध्यम सँ प्रसारित भेल आ खास क हम सब सँ बेसी प्रभावित भेलहुँ आदित्य जीक नैन्ह कालक तेज आ कर्मठता सँ। आदित्य जी हमर बेटाक तुरिया छथि ओ १२वीं मे छथि मुदा हुनकर अदम्य शाहस आ विद्दुता समस्त मिथिलांचलक मष्तक के गौरवान्वित कय सकैत अछि। मुदा हमरो अहाँक कर्तव्य अछि जे एहि नव पौध के संरक्षण प्रदान करी।
हम समस्त मैथिल चाहे ओ कोनो संगठन वा संस्था सँ जुड़ल छी अपन मात्रीभूमिक रक्षार्थ आगू आयल छी। ककरो कम आ बेसी योगदान सँ जतेक एहि लड़ाई के नहि लड़ल जा सकैत अछि ताहि सँ बेसी समस्त मैथिलक समानैतिक सोच आ सम-भाव सँ। तैं हम समस्त मैथिल सँ आग्रह करब जे कवि एकांत जीक अनशन के समर्थन करी आ आदित्य जी सन मैथिल पुत्र के प्रतिभाक अवलोकन जरूर होयबाक चाही। हमरा गर्व अछि जे हम मैथिल छी आ माँ जानकी सँ ऎह कामना जे,हमर अनेको जन्म एहि मा्त्रीभूमिक सेवा मे समर्पित होयबाक प्रेरणा सँ ओत-प्रोत हो। जय मिथिला,जय मैथिली।



घर- घरमें चूल्हि जरय हर हाथके काज चाही
अप्पन सरकार हो, हमरा मिथिला राज चाही

डोम-चमार-पासवान,मुसहर-सोनार-मुसलमान
मैथिल- अभिमान युक्त सर्वहारा समाज चाही

धर्म कर्म मर्म ज्ञान , हम बांटि देलहुं दुनियाके
पूजा पाठ अजान संग तिरहुतिया नमाज चाही

पूरब पच्छिम दलान, उत्तर दक्खिन मचानसं
देश-संसदमें गूंज हो ,जोर मैथिल आवाज चाही

------------------भास्कर झा 



एक युवा मिथिला राज्यलेल कैल जा रहल माँग हेतु धरनामें तीन बेर सहभागी बनैत छथि आ हुनका हृदयमें जागृति जगैत अछि जे हमहुँ किछु करी - एवम् प्रकारेन ओ निर्णय करैत छथि जे ४ दिन के अनशन करब। कतेक पैघ बात भेलैक! एहि बात के लेल हुनका आशीर्वाद आ सहयोग के बात नहि कय हजारो तरहक प्रश्न सँ घेरघार कैल जाय, केओ अनुभवहीन कहि अपन अक्खडवादी विचार सँ बेधैथ तऽ केओ औकात सऽ बेसी खोंखी करैत कहैथ जे फल्लाँ रहता तऽ हम या हमर संस्था सहयोग नहि देत, आदि-आदि!

तहिना दोसर युवा जे देखैत छथि बदतर हालत आ दयनीय अवस्था सँ निकैल रहल मिथिला राज्य लेल धरना प्रदर्शन, लेकिन गप देखैत छथि गंभीरादेवी के जितैत तऽ हुनको मन में उद्वेग लैत छन्हि जे धू! ई किदैन-कहाँदैन भऽ रहल अछि आ वास्तविकत लडाई नहि बस सांकेतिक नाममात्र लेल आन्दोलन चलि रहल अछि। तऽ कि मिथिला राज्य सचमें चाही, आ कि बस धूरखेल भऽ रहल अछि? हिनकर जिग्यासा के सेहो शान्त करबाक लेल बेईमानी आ धूरखेल बन्द करैत एक गंभीर प्रयास के आवश्यकता छैक। कहियो युवावस्थामें शुरु कैल मिथिला-मैथिली लेल लडाई आब वृद्ध हड्डी बनि के रहि गेल छथि, लेकिन मिथिला राज्य के माँग कतेक दूर धरि सफलता पौलक तेकर कोनो लेखा-जोखा किनकहु लग नहि। बात बुझू! आम मैथिल तक कोनो आन्दोलन के चर्चो तक नहि पहुँचल। बहुत बात छैक। आत्ममंथन करय वाला बात थिकैक ई सभ। मिथिला राज्यके मजाक जुनि बनाउ। मिथिलाक अस्मिता के जोगेबाक लेल शीघ्रातिशीघ्र किछु करबाक बात टा करू। तकनीकी बात सभ अहाँ सभक मुँह सँ शोभा नहि पबैछ। दुनियामें जेकरा अपन इज्जत के खयाल छैक से संगठित भऽ के लडलकैक आ तदोपरान्त न्याय पेलकैक। अहुँ सभ न्याय लेल लडू। जनता नहि बुझि रहल अछि ताहि लेल जे मोन में अबैत अछि से कय लैत छी आ नाम दऽ दैत छियैक जे धरना केलहुँ..... से युवा में जे कर्मठ विचारधाराके अछि तेकरा सभके नीक नहि लगैत छैक। काज करय पडत। आब अहाँ सभ युवा के आगू राखि के काज करू आ देखियौक जे कतेक जल्दी मौसममें परिवर्तन अबैत छैक।

जखन ठानि लेलहुँ किछु खास करब
तऽ मानि जाउ किछु भऽ के रहत!
बड भेल धूरखेल सँकेत लडाइ
आब अन्तिम बेर कर जोडैत छी!
सहिष्णु मैथिल शान्तिक पूजारी
जुनि क्राँति शाँति सँ खूनी बनय!
चलय कलम सदिखन मानव
लेकिन मैथिलक पहचान बनय!
राज्य मिथिलाक बस एक उपाय
जे बनि के रहय, जे बनि के रहय!