शनिवार, 31 दिसंबर 2011

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)


ओष के अन्हरियॉ में भॅ गेल मुलाकॉत बुचियाँसँ 
नॅजॅर मिलल तॅ लागल सबटा गॅप भॅ गेल हुनकासँ
हुनका आँखी में छल एहन सुरमा कि हम कि कहू
हमर पुरा देह के रोंई क लेलक दिल्लगी हुनकासँ
वस्त्र छल किछु एहन ऊपर लिपिस्टिक के एहसास
आखिर धौला कुआं में क लेलो छेर-छार हुनकासँ
गाबैऽ लगलैन् हुनकर चुप्पी किछु सुन्दर गज़ल
समाँरल नै जै छलैन "मोहन जी" ख्याल हुनकासँ

गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)


गिरैतऽ अछी जखन नोर आँखी स 
झरऽ लागैत अछी दरद आँखी स
 
भाग्य में हुनका चाँद सुरज होय अछी
देखई में लागैत अछी जे फकीर आँखी स
 
खीच देता ओ आई अपन छाती पर
जिनगीक दरदकऽ अड्डा आँखी स
 
फेर नहीं जनि पायब, जायत कते जान
"मोहन जी" छोरी देता जौ तीर आँखी स

शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

पुरुषक माथक ललका पाग अछि स्त्री

काल्हि श्रीराम सेंटर खचाखच भरल छल, दर्शकक थपड़ी स श्रीराम सेंटरक हरेक कोन गुंजि रहल छल, एक बेर फेर गवाह बनल श्रीराम सेंटर मिथिलाक एकटा अद्भुत दृश्य केर, जी हाँ मौका छल मिथिलोत्सव २०११ क.
ओना त प्रकाश झा एही स पहिनो कैकटा नाटकक आ कर्यक्रमक सफल मंचन कए चुकल अछि मुदा एही उत्सव क देखैत इ कहल जाय सकय छी की हुनकर निर्देशन म दिन प्रतिदिन निखार आबी रहल छल
कार्यक्रमक शुरुवात भेल मंच संचालक सोम्या जीक मधुर आवाज सों, सोम्या जी एकटा मांजल कलाकार त छेबे करथिन संगे एकटा नीक मंच संचालिका सेहो, हुनकर मंच संचालन दर्शक म एकटा नव स्फूर्ति प्रदान करैत आयल। फेर मंच पर आयल नेहा वर्मा जिनकर नृत्य दर्शक केर दिल पर एकटा अमिट छाप छोरि देलक, दर्शक थपडी स रुकय क नाम नै लए रहल रहे।

आओर नृत्यक बाद शुरू भेल नाटक "ललका पाग" ;राजकलम चौधरी द्वारा लिखित एही कहानीक मंचन त पहिनो कैक बेर भ चुकल अछि मुदा राजकमल चौधरी क एहने प्रभाव अछि जे हरेक बेर इ नाटक एकटा नव आ नीक रूप म अबैत अछि। मैथिल स्त्रीक संस्कार आ हुनकर चरित्रक सम्पूर्ण विवरण अछि एही नाटक म, मैथिल स्त्री कोनाक अपन सासुर म रहय पडैत अछि कोनाक हुनका दुःख सहितो सासुर केर सेवा म लागय पड़य अछि, कोनाक अपन पतिक सुख लेल ओ सब किछुक त्याग क सकय अछि।

नाटकक रंग तखन आओर गहरिया गेल जखन एही म मुकेश जीक आ ज्योती जीक अभिनयक तड़का लागल। निश्चित कर्यक्रम म चार चाँद लगा देलक तिरु क रूप म ज्योती जीक अभिनय आ राधा चौधरीक अभिनय म मुकेश जी, दुनु गोटे मैलोरंगक मांजल कलाकार त अछिए संगे दुनु म अभिनय छमता कूट-कूट क भरल अछि, नाटकक अंत केर एकटा दृश्य मोन पडैत अछि जखन राधा चौधरी बनल मुकेशक कनबाक दृश्य छल, हुनक ओ भोकरी दर्शक द्रिघा म बैसल सब गोटेक हृदयक पार भ गेल, खुद मुकेश जीक उम्दा अभिनय जे बिना गिलिसरीन क हुनकर आंखि स नोर बहे लागल।

फेर शुरू भेल कर्यक्रम दोसर चरण जाही म सम्मान समारोहक आयोजन करल गेल छल, मैथिली रंगमंचक क्षेत्र म उत्कृष्ठ योगदानक लेल तीन गोटेक एही सम्मान स विभूषित करल गेल


ज्योतिरीश्वर सम्मान - रंगकर्मी दयानाथ झा
मैथिली नाटक मे दीर्घकालीन आ उत्कृष्ट सक्रियता क लेल हिनका इ सम्मान देल
गेलैनि। दयानाथ जीक जन्म २ जनवरी १९४० क मधुबनीक नगदाह गाम म भेलैनि अछि। तकनीकी पढाईक संग रविन्द्र भारती नाट्य संस्थान कोलकाता स सीनियर डिप्लोमा इन ड्रामा केलैनि अछि। कोलकाता म १९५६ स लगातार मैथिली रंगमंचीय गतिविधि स जुडल अछि। लगभग पचास टा मैथिली नाटक म अभिनय केलैनि अछि। आकाशवाणी कोलकाता क दस-बारह कार्यक्रम म सहभागिता। भारत आ नेपाल म कैकटा सम्मान स सम्मानित संगे चेतना समिति पटना स मिथिला विभूति सम्मान स सम्मानित। मैथिली रंग मंच म अपन जीवनपर्यंत योगदान देबाक लेल हिनका ई सम्मान देल गेल अछि।

श्रीकांत मंडल सम्मान -
रंगकर्मी मुकेश झा
मैथिली रंगपटल पर अभिनयक क्षेत्र म अपन उत्कृष्ट योगदान क लेल हिनका ई युवा सम्मान देल गेलैनि अछि
। मुकेश जी मूल रूप स बरहा, मधुबनी, बिहारक अछि, १२ अप्रेल १९८१ म जनमल एही युवा रंगकर्मी महाविद्यालयक समय स रंगमंच म सक्रिय अछि। स्नातकक बाद दिल्ली स्थित श्री राम सेंटर स रंगमंच म दू वर्षक डिप्लोमा केलैनि अछि। रंगमंच म अपन विशिष्ठ योगदानक लेल संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार स नॅशनल जूनियर फेलोशिप प्राप्त एही युवा रंगकर्मी क लगभग ३५ टा नाटक मे अभिनय आ ५० टा सा बेसी नाटक मे मंच पाश्व क विशेष अनुभव अछि हिनका। मेलोरंग रेपर्टरीक प्रमुख संगे नटरंग प्रतिष्ठानक प्रलेखन विभाग म कार्यरत।

प्रमिला झा सम्मान - रंगकर्मी सुधा झा
मैथिली रंगमंच म महिलाक सक्रियता क प्रोत्साहित करय क लेल एही वर्षक सम्मान मैथिली रंगमंचक सुप्रसिद्ध अभिनेत्री सुधा झा क देल गेल अछि
। सुधा जीक जन्म दरभंगा मे भेल अछि। नैनपन स मैथिली रंगमंच म अपन जोरदार उपस्थितिक संग प्रमिला जी बोकारो आ दरभंगाक कैकटा मैथिली आ हिंदी नाटक म अभिनय केलैनि अछि।  मैथिली, हिंदी, आ भोजपुरीक कैकटा फिल्म, सीरियल, आ विज्ञापन मे प्रमिला जी अभिनय क चुकलखिन अछि। सुधा जी मैलोरंग स लगातार जुडल अछि आ मैलोरंगक कैकटा नाटक म अपन योगदान द चुकल अछि।


फेर शुरू भेल रंगारंग कार्यक्रमक सुरुवात भेल मैथिली रंग म रंगल एकटा छः वर्षक मिथिलाक बेटी "मैथिली ठाकुर" स जिनकर जय जय भैरवी स भेल शुरुवात दर्शकगण म एकटा नब उर्जाक संचार केलक, निश्चित कहल जाय सकय अछि जे मैथिली ठाकुर मिथिलाक उद्दीयप्मान  गायिका बनि क उभरत
। मैथिली ठाकुर सारेगामा लिट्ट्ल चेम्स म सेहो पार्टीसिपेट केने अछि आ हुनकर गायकी लाजवाब लागल

फेर एक एक कए क मंच पर रास गायक लोग एलेंन जाही म संजय झा जी जोगिया रूप हम देखलो गे माई, भाष्कर जीक हेरोउ उगना,  करुना जीक  दर्शन दिय माँ दुर्गा भवानी, आ पुष्पा जीक मोरा रे अंगनवा शामिल रहे
। सबहक गायिकी कुनू खास नै लागल एहेन बुझायल जे सब कियो जबरदस्ती मंच पर चढ़ी गेल होए

एही सबहक बीच मैथिलीक एकटा एहन सितारा रहे जिनकर बाट आय तीन मास स हुनकर संगीत प्रेमी जोह रहल रहे, जी हाँ हम गप कए रहल छी मैथिली संगीतक सुरमनी "अंशुमाला जी" ;
गंभीर बीमारी स ग्रस्‍त अंशु एक प्रकार स दोसर जन्‍म ल एक बेर फेर मंच पर देखि दर्शकगणक ताली स सोंसे श्रीराम सेंटर गुंजि गेल। पिया मोरा बालक आ झूमना बरद संग केर प्रस्तुति दर्शकक वाह वाह करय क लेल मजबूर क देलक। आब एकरा संयोग कहू आ की अंशुक इच्‍छा मुदा हिंदी आ मैथिली मंचक एहि युवा गायिकाक मंच पर वापसी मैथिली मंच स भेल, ताहि लेल हुनका अपनो गर्वक अनुभूति भ रहल रहे।

कुल मिलाक मिथिलोत्सव अपन एकटा अमिट छाप छोडेय म सफल रहल। दिल्ली म मिथिलाक एही धमक सोंसे उत्तर बिहार म सूना पड़य से माँ भगवती स कामना करैत आ रंगमंचक चर्चा करैत सब विदा भेल। निश्चित प्रकाश जी एकटा नीक निर्देशक संगे एकटा नीक लोग सेहो छथिन जे दिल्ली म मिथिलाक गूंज क समय समय पर गुंजायमान करैत रहैत अछि। आ दिल्ली म मिथिला क चमक क बरक़रार रखि रहल अछि ताहि लेल हुनका पुनः पुनः धन्यवाद।

मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

स्वाभिमान

एकटा गरीब सन बच्चा काल्हि कॉलेज गेट पर कही रहल रहे, "भाईजी हम अहाँक गाड़ी साफ़ कए दी"।
"भागली की नै, हमरा नै करेबाक अछि अपन गाडी साफ़, जो कतो आरो बाट ताक गे"  हुनका देखि बड़ा बेरुखी स ओ कहलक।
"भाईजी हम दू दिन स किछु नै खेलोंउ अछि।" बच्चा हकरैत बिहुसैत कहलक।
" ई ले दू टका आ किछु खाइ आ गे।" ओ दया से दू टकाक नोट दैत बाजलक।
" नै भाईजी, हमर बहिन हमरा जाने मारि दैत। ओ हमरा भीख मांगय स मना केलक अछि"।
। बच्चाक चेहरा स्वाभिमान स दमैक उठल, भाईजी विस्मित भए क हुनका ताकि रहल अछि।

सांझखन क हकार अछि चलू श्रीराम सेंटर

मैथिली नाटक कए समर्पित संस्‍था मैलोरंग क तत्‍वावधान मे मिथिलोत्‍सव 2011 क आयोजन कैल गेल अछि। मंगलवार सांझखन दिल्‍ली क मंडी हाउस स्थित श्रीराम सेंटरक सभागार मे अपने सब लोकनि कए संस्‍था दिस स हकार देल गेल अछि। एहि समारोह में नाटक स संबंधित तीनटा सम्‍मान देल जाएत। संगहि राजकमल चौधरीक प्रसिद्ध रचना ललका पाग क मंचन कैल जाएत। प्रकाश झा एही स पहिनो कैकटा नाटकक सफल मंचन कए चुकल अछि, एही बेर सेहो ललका पाग अपन उत्कृष्ठता में नज़र आयत। त सब काज छोरु आ चलू श्रीराम सेंटर।

सोमवार, 19 दिसंबर 2011

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)


तरहथ्थी पर दिया जरौंने छी हम
सपना केऽरी ऐहन् सजौंने छी हम 
आहा आबू या नै आबू मर्जी आहके 
बहुत प्यार-स्नेह सँ बजेलो या हम 
लिखलो ओस स आहाक नाम लक
ओहे गीत आहा के सुनलो हन हम
जीवन में खुशी अही स मिलल या
अहि केरी नाम गुनगुनाबे छी हम
"मोहन जी"क नोर के बजह पूछैं छी
दर्द के छल तै बहा रहलो हन हम

शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)


सब तरहक रंग में हम फिट भ गेलो
नेता सब दुनियां में गिरगिट भ गेले
 
अफसर सब स ओ मिलत सिवाय जे
गेटकी पर लटकल होय चिट् भ गेले
 
चोर-डाकू और लफंगा-उचक्का सेहो सब
सब के सब संसद में परमिट भ गेले
 
"मोहन जी"हर युग में सदा सूली चढल
कातिल-झूठा के नारा मगर हिट भ गेले

बुधवार, 14 दिसंबर 2011

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)



सब त दारू के बोतल मुँह सऽ उठा क पिबै या /
"मोहन जी"  गिलास में कने पिलैथ त की भेल //
सब पर्दा में दुनियाँ के ठगे या और चोरी करे या /
हम कोनो लड़की के दिल चोरा लेलो त की भेल //
चोर सब चोरी के लेल राईत अन्हरिया मंगैत या /
हम प्यार करे के लेल ईजोरिया मंगलो त की भेल //
भगवान स दुनियाँ पाई-रूपया घर-दुआर मगैंत या /
हम सुंदर सुशिल सभ्य लड़की मंगलो त की भेल //
सब त दारू के बोतल मुँह सऽ उठा क पिबै या /
"मोहन जी"  गिलास में कने पिलैथ त की भेल //

शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011

ग़ज़ल

सजनी की रूप त कमाल भऽ गेलै
गामक सब छौड़ा भेहाल भऽ गेलै

देखलों जे अहाँक मुसकी सजन
अन्हारियो राति मs इजोर भऽ गेलै

छौड़ा त अपने जवानी मs मगन
बुढबो सब अ
नसम्हार भऽ गेलै

चलली जखन ओ ओढ़नी उड़ाए
सबके त जड़िया बोखार
भऽ गेलै

देखलक सुनील जे गामक हाल
पुछू नै हुनकर की हाल
भऽ गेलै




गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)

समय देत अगर साथ त हम जरुर मिलब /
होयत अगर दारू के भोज त हम फेर मिलब //


"मोहन जी"  ईजोरिया के लेल ओध्लो अन्हरिया /
ढैल जायत अनहरिया राईत त हम फेर मिलब // 


हमरा जरुरत नहीं या पुछबाक उत्तर केरी /
पुछल जायत सवाल त हम फेर मिलब // 


जितब अगर आहा त बाजी लगा लिय / 
देब आहा के सज्जा त हम फेर मिलब //            


           

बुधवार, 7 दिसंबर 2011

 जय माँ वनेश्वरी - अजय ठाकुर (मोहन जी)

 वनेश्वरी (बिना) माता, दरभंगा जिला के भंडारिसम और मकरंदा गाँव केरी बीच मे छथी, ई कहानी बहुत पूरण अछी जखन अग्रेज के शाशन छल !  अग्रेज हिनका स् बियाह करऽ चाहेत छलैनी ताही लकऽ हिंकार बाबूजी(वाने) बहुत दुखी रहेत छलखिन ई बात जखन वनेश्वरी केरी मालूम परिलैन तऽ वनेश्वरी कहलखिन की बाबूजी आहा  चिंता ज़ूनी करू हम ही आहा के चिंता के कारण छी ने हम आहाक चिंता दूर क देब ! 
एक दिन बिना अपन भतीजा के कोरा मे लकऽ बैशल छली तहीने अग्रेज अपन शेना के  लकऽ अबी गेल,  ई देख वनेश्वरी गाँव के बाहर एक टा पोखेर या त्लिखोरी  ओतऽ चलीऽ गेली और ओही पोखेर मे जा कऽ कूद गेली आ अपन प्राण दऽ देलखीन कुछ साल बीतलाक बाद ई  डमरू पाठक नाम केऽरी परीवार मे स्वप्न देलखीन, की हम त्लिखोरी पोखैर मे छी हमरा एते स निकालु !  डमरू पाठक के परिवार अपना गाँव में सब के स्वप्न वला बात कहलखिन, ई बात सुनी क सब हका-बका रही गेलाह और ओही पोखेर में सऽ निकले के विचार में जुईट गेला !
गाँव केरी पांच टा ब्राम्हण गेला और ओही पत्थर रूपी प्रतिमा के बाहर निकालैथ  जे की ओ प्रतिमा ४.५" छल, और ओही वानेश्वरी के प्रतिमा के एक टा पीपर गाछ के निचा राखल गेल बहुत दिन तक ओही गाछ के निचा में पूजा भेल, ग्राम चनोर के रजा लक्ष्मेषवर  के पुत्र नहीं होए छलनी तऽ ओ ओही वानेश्वरी माँ के दरबार में गेला और कोबला केला की हमरा जे पुत्र होयत त हम आहाके मंदिर बनायब !   एक -दु शाल में हुनका ओत् पुत्र जन्म लेलखिन, मगर ताहि के बाद रजा लक्ष्मेषवर बिसैर गेला कोबला वला, फेर हुनका बेटा के तब्यत खराब भेला के बाद याद भेल त ओ मंदिर बनोलैथ ! आब ओत् रामनमी, दुर्गा पूजा सेहो मनायल जायत या ! 
अखन त ओत् बहुत सुंदर मंदिर और धर्मशाला बनी गेल अछी, और मंदिर के चारु तरफ छहरदेवाली भ गेल अछी !  


ओतुका पुजगरी छथि डमरू पाठक, सचिव रुनु झा (नुनु), कार्य कर्ता, कमलेश, नित्यानंद, फुलबाबु, कनक मिश्रा,          



 जय माँ वनेश्वरी.....जय मैथिल............जय मिथिला...........  

मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)

जीवन जिबाक अछी बहुत जरुरी
ठण्ड में बियर आधा, रम होय पुरी  

चाहलो जेकरा पेलो नहीं ओकरा
शाधना "मोहन जी" क रहल अधूरी

मोनक बात सच नै भ पैल
किस्मत के छल नहीं मंजूरी  

ह्रदय फटल देखलो हम नोर
कियो देखलैथ नै मज़बूरी        

  

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)

हम त बैन बैशलो शराबी की करू / 
और कनियाँ स जुदा हम कि रहु //

जिन्दगी बाकी या आब त थोरे दिन / 
दुनू तरप जरैत देह अछी की करू //

कनियाँ ल क आबी गेलैथ हन शीशा /
लेकिन हम खुदस हारल छी की करू // 

छल कहाँ नाव दुबाबे के गप्प  / 
हम त अंधी के हवा छी की करू // 

टुकरा में बैट गेल हमर के पहचान / 
हम त टुटल शीशा छी की करू //  

सोमवार, 5 दिसंबर 2011

फेंकलो गुगली मारलैथ - अजय ठाकुर (मोहन जी)

अक्का बक्का तीन तलक्का,
फेंकलो गुगली मारलैथ छक्का, 
दर्शक भ गेलैथ हक्का-बक्का, 

करता बन्दन हाथ-जोरी आजू, 
नेता हमर देशक लाज, 
भगवान हिनका भेज्लैथ हन, 
कऽरे लेल धरती पर राज, 

आब नहीं कहियोंन चोर-उचक्का, 
अक्का-बक्का तीन तलक्का,

हिनकर छैईन अपन मज़बूरी, 
मुँह में राम बगल में छुरी, 
देश लैद क चल-लैथ पीठ पर,
"मोहन जी" बढबैत हिनका स दुरी,

वोट करु बस हिनकर पक्का, 
अक्का-बक्का तीन तलक्का,  

शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

गुंजल मैथिलि विश्व में - अजय ठाकुर (मोहन जी)

गुंजल मैथिलि विश्व में, 

सपना भेल साकार, 

राष्ट्र संघ के मंच स, 

मिथिलि केऽरी जयकार,

मिथिलि केऽरी जयकार, 

मिथिला-मैथिलि में बाजल,

देखऽक मिथिलाऽक प्रेम, 

विश्व अचरज से डोलल,

मेम के ममता टुटल, 

मिथलांचल माँ भेल धन्य, 

स्नेह की सरिता फुटल

कहलैथ "मोहन जी" कविराज  !

गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

हास्य कथा - अजय ठाकुर (मोहन जी)

 प्रभाकर चौधरी डॉक्दरी के परीक्षा उत्रिन्न भेला के बाद ओ अपन दोस्त सब के खुब  भोजन करोलैथ ! और ओहे संगे एक टा मुर्गा खुब तेल में लाल कैल और एक बोतल देशी दारू सेहो लक भाल्पट्टी गाँव के मुखिया जी लम पहुचला ! प्रभाकर चौधरी मुखिया जिक आगा हाथ जोरी क ठाड़ भ गेला और बजला मालीक  इ हमरा तरप एक छोट-छीन भेट स्वीकार करियों !
 मुखिया जी वाह बहुत नीक  सुनलो हन आहा डॉक्दरी के परीक्षा उत्रिन्न भेलो हन, प्रभाकर चौधरी जी मालीक,  मुखिया जी अपन नोकर के आवाज़ देलखिन और नोकर एलेन और ओ समान ल जै लगलैन, मुखिया जी बुझ्लैथ इ नोकर बहुत चलाक या एकरा कोन तरहे समझैल जे !
 मुखिया जी बजला रओ ओही कपरा में बंद एक टा चिरैई छै और ओ बोतल में जहर  छै, ताहि लक् तु रस्ता में ओ कपरा नहीं खोलिहे बुझलही, नोकर जी मालीक हम आहा के बात बुझी गेलो !  नोकर समान लक् आगा बढल और एक कात कोंटा में चुपचाप अपन सबटा मुर्गा खा  लेलक और दारू सेहो पीबी लेलेक और मचान पर जा क सूती रहल ! मुखिया जी दाँत मजेत, सुंदर सागर पोखेर स नेहेने आबी गेला और अपन कनियाँ स बजला हे यै सुनैत छी हमरा सकरी बजार जै के अछी ताहि दुआरे आहा हमरा किछु  जलपान द दिय ! कनियाँ बजलेंन अखन कनी समय लगत कने रुकी जउ !
मुखिया जी अच्छा ओ छोरु नोकर जे देलक से द दिय ओहे काफी या जलपान जोकरक ! कनियाँ बजलेंन नोकर हमरा कहा किछु देलक हन ओ जे एक भोर गेल से अखन तक  नजरीओ कहा परल या, इ सुनी क मुखिया जिक तामस माथ और नोकर के ताकअ लगला,  ओ देखे छथि सीधी के निचा में सुतल छल मुखिया जी एक लात मारी क उठेला और पुछलखिन त नोकर बजलेंन यऊ मालीक हम लक् आबी रहल छलो त रस्ता में एक  आँधी आयल और ओ कपरा उरी गेल जाही में स ओ चिरैई उरी गेल ताहि के डरे हम  ओ जहर पी लेलो और हम सूती क मौत के इंतज़ार क रहल छी !