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गुरुवार, 29 दिसंबर 2011
गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)
गिरैतऽ अछी जखन नोर आँखी स
झरऽ लागैत अछी दरद आँखी स
भाग्य में हुनका चाँद सुरज होय अछी
देखई में लागैत अछी जे फकीर आँखी स
खीच देता ओ आई अपन छाती पर
जिनगीक दरदकऽ अड्डा आँखी स
फेर नहीं जनि पायब, जायत कते जान
"मोहन जी" छोरी देता जौ तीर आँखी स
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