शनिवार, 10 सितंबर 2011

अनंत चतुर्दशीक हार्दिक शुभकामना...

भाद्रपद मासक शुक्लपक्षक चतुर्दशी क अनंत चतुर्दशी कहल जाएत अछि। एही दिन अनंत भगवान् क पूजा कए के संकट स रक्षा करय बला अनंतसुत्र बान्हल जाएत अछि। शास्त्र क अनुसार एही व्रतक संकप आ पूजा नदी, सरोवर, वा तालाबक कात म करय क विधान अछि मुदा जो एहन संभव नै होए त घरक पूजा घर म सेहो अहन कए सकय छी। पूजा घर म जमीन पर कलश स्थापित करू आ कलश पर शेषनागक बिछौना पर लेटल भगवान् विष्णु क मूर्ति वा फोटो राखु। ओकर बाद चौदह गाँठ बला अनंतसूत्र राखु। एकर बाद 'ॐ अनंतायानमः' मंत्र स भगवान् विष्णु आ अनंतसुत्र क षोडशोपचार-विधि स  पूजा करू। पूजाक बाद अनंत सूत्र क मंत्र पढ़ी क पुरुष दाहिना हाथ आ स्त्री बामा हाथ म बाँध लीअ।

     
अनंन्तसागरमहासमुद्रेमग्नान्समभ्युद्धरवासुदेव। अनंतरूपेविनियोजितात्माह्यनन्तरूपायनमोनमस्ते॥ 
पूजाक बाद व्रत-कथा पढू आ सूनु। कथाक संक्षेप अछि - सतयुग म सुमन्तु नाम क एकटा मुनी छल। हुनका एकटा बेटी छल शीला जे अपन नामक अनुरूप बड़ सुशील रहे। सुमन्तु मुनी ओ कन्याक विवाह कौण्डिन्यमुनि स केलैथि। कौण्डिन्यमुनि अपन बेटीक लए क जखन सासुर स घर जा रहल रहे, तखन रस्ता म नदी कात म किछ स्त्रीगण भगवान् अनंतक पूजा करैत देखा पडल। ई देखि शीला ओता जाके अनंत-व्रत क कथा क सुनालक आ पूजन क बाद अनंतसुत्र बंधलक। एही कारण स हुनकर घर किछु दिन म ध्न्यधान स भरि गेल। एही सन्दर्भ म एकटा आर कथा अछि की जखन पांडव जुआ म अपन सब किछु हारी गेल रहे तखन भगवान् श्री कृष्ण क सलाह स ओ भगवान् अनंतक पूजा करलक आ हुनकर कृपा स किछु दिन बाद अपन राज पाट वापस पाबि लेलक। अनंतसूत्र बान्हले क बाद कोनो ब्रह्मण आ भोग देने क बाद सपरिवार प्रसाद ग्रहण करू।
हमरा तरफ स समस्त मिथिलावाशी क अनंत चतुर्दशीक हार्दिक शुभकामना। भगवान् विष्णु स अहाँक सुन्दर आ स्वस्थ शरीरक कामना करैत...जय मिथिला-जय मैथिली॥

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