मंगलवार, 4 जनवरी 2011

"ललित बाबु मिथिला के चाँद"


'दिन बिन सूरज, राति बिन चान
ललित बिन मिथिला एक समान'

आय ललित बाबु नै ये हमर सबहक बिच मुदा हुनकर आदर्श, अओर हुनकर काज जे मिथिला के साथ-साथ देशो के विकाश के लेल ये अइयो ताजा ये | कोशी के ई उपेक्षित इलाका से निकैल के देश-विदेश में अपन आभा फैलावे वाला महापुरुष ये  ललित बाबु |
मिथिलांचल के विकाश लेल जे हुनी ३५ वर्षक पहिल जे लकीर खिचलखिन ओ पैमाना आइयो तक बनल ये |
ओ अपन जीवन कल में ओ मुकाम पे पहुँच गेल रहे जेतां पहुचे के लेल सहज बात नै ये|
नया साल के ख़ुशी मनावै के बाद जखन ३ जनवरी के हुनकर पुण्यतिथि आबैए ये ते सौंसे मिथिलांचल के आइंख नाम भ जाये ये, सबहक मों में उ १९७५ के ओ करिया दें उभेर जाय ये जखन की षड़यंत्रकारि के सोचल समझल साजिश के कारन युग पुरुष कोशी पुत्र, बिहार प्रेम से पूर्व रेलमंत्री स्व. ललित नारायण मिश्र के हत्या केर देल गेलाह रहे| हुनकर हत्या ओ समय में का देल गेल रहे जखन ओ बिहार के नव निर्माण में जुटल रहलखिन|
सुपौल जिला के बसावनपट्टी के मिश्र परिवार में हिनकर जनम ३ फरवरी १९२२ के वसंत पंचमी को अपन ननिहाल कुमार वाजितपुर में भेल रहे| कोशी के विनाश के चलते मिश्र परिवार के पूर्वज बलुआ बाज़ार में जा क बैस गेल रहे जते आइयो तक ओ मूल रूप से बसल ये| होनहार विरवान के होत चिकने पात के मूल रूप से चरितार्थ करैत ललित बाबु छात्र जीवन में ही स्वतंत्रता आंदोलन में भाग ला के स्वतंत्र भारत के राजनीती में अपन अलगे पहचान बनौलक आ संसद में कोशी बाबु के नाम आओर बिहार में कोशी पुत्र के नाम से  से प्रसिद्ध भेल|
अपन अगाध लोकप्रियता के कारण ही ललित बाबु पंडित जवाहर लाल नेहरु के प्रियजन आओर इंदिरा जी के विश्वासपात्र बैन गेलाह |
१९५२ ई. में प्रथम बेर दरभंगा- सहरसा सयुंक्त लोकसभा के संसद चुनल गेलाह | अपन ई कार्यकाल के बीच बिहार के शोक कोसी के विभीषिका से आक्रांत भेल लोगें के त्राण दिलावे के लेल पहिलुक प्रयास हिनिये करलखिन | आइयो तक हुनकर अंतिम वाणी में हम रही नै रही बिहार बैढ़कर रहते | बिहार से प्रेम करे वाला हरेक लोगें के लेल प्रेरणा के कम कैर रहल ये |
बिहार के साथ साथ भारत के निरंतर सेवा में लागल ललित बाबु के मानवीय, राजनितिक आऔर सामाजिक अ चारित्रिक गुण के
याद में बलुआ बाज़ार में हुनकर समाधी स्थल पे ०३ जनवरी के बलिदान दिवस के अवसर पे बड निक जोकां लोगेन सब इक्कठा होए के हुनकर सपना के साकार करबाक लेल वचन आ श्रद्धासुमन अर्पित करलक | ओना जे कहियो ललित बाबु मिथिला के ओ चमकैत सितारा रहलखिन जिनका कोई नै बिसर सके ये @@@@@ झाजी

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