मंगलवार, 22 नवंबर 2011

हाथक लकीर मिटा दैत अछि दुनिया

प्यार करे के सजा बहुत नीक दैत अछी कनियाँ /
मैर जाउ त जिबै के दुआ दैत अछी दुनियां //
 
"मोहन जी" कोन सूरज छथि जे इलज़ाम नै सहतैथ /
मिथिला में पत्थर के भगवान बना दैत अछी दुनिया //
 
इ जख्म प्यार के देखब नै ककरो /
आनि क पूरा बाजार सजा दैत अछी दुनिया //
 
किस्मित पर नाज़ नै करू मिथिला वाशी /
हाथक लकीर मिटा दैत अछि दुनिया //
 
शादी के बाद मारे के उपाय करे अछी कनियाँ /
जिबे के उपाय सिखा दैत अछी दुनिया //
 रचनाकार :- अजय ठाकुर (मोहन जी)  

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