शुक्रवार, 15 दिसंबर 2017

जे छल सपना

||  जे छल सपना  || 

सुन - सुन  उगना  , 
कंठ सुखल मोर  जलक बिना  | 
सुन - सुन  उगना  ||  
                    कंठ  सुखल -----
नञि  अच्छी घर कतौ  !
नञि अंगना 
नञि  अछि  पोखैर कतौ 
नञि  झरना  | 
सुन - सुन  उगना  ||
                   कंठ  सुखल -----
अतबे  सुनैत  जे 
चलल   उगना  
झट दय  जटा  सँ 
लेलक  झरना  | 
सुन - सुन  उगना  ||
                   कंठ  सुखल -----
निर्मल  जल सरि  के  
केलनि  वर्णा  |
 कह - कह  कतय सँ 
लय   लें  उगना  || 
सुन - सुन  उगना  ||
             कंठ  सुखल -- 
अतबे  सुनैत  फँसी  गेल  उगना 
"रमण " दिगम्बर  जे 
छल सपना | 
सुन - सुन  उगना  ||
                   कंठ  सुखल -----





कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपन मोनक भावना के एते राखु