मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

ग़ज़ल

गामक इयाद पिया मोन पडाय ये।
बड़ रहलो शहर चलू घुरि चलू

शहरक इजोत नीक नै बुझाय ये।
लालटेन दिस आब चलू घुरि चलू॥

पिज्जा, कोला, बर्गर सों मोन अघाय ये।
मकई के रोटी लेल चलू घुरि चलू॥

हिप-होप, रैप, नै चित्त क सोहाय ये।
गामक ढोलीबा लग चलू घुरि चलू॥

दिल्ली सों आब सुनील मोन डराय ये
गामक दिस लौट चलू, चलू घुरि चलू॥

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