बुधवार, 19 अक्तूबर 2011

हार पर विजय

हार गिरे तब धार करे
जब धार करे तब वार करे
जब वार करे संहार करे
हुंकार भरे हुँकार भरे
ग्लानी कुंठा को जगह नहीं अब
तज स्वाभिमान और आडम्बर को
कृतग्य भाव से अमूल्य समय का सत्कार करे
विविधा नहीं दुविधा नहीं
बाधाओं को आने दो
बन अंधकार के बादल मंडराने दो
प्रतिकार करे प्रतिकार करे
जो घात करे प्रतिघात करे
सहश्त्र भानु पर विजय करे
क्यों चंद्रकला को भ्रमित हो
श्रम हमारा रथ होगा धैर्य हमारी ढाल
द्रिढता को तलवार करे
अटल युद्ध पर अडिग हों
हर मुश्किल को हम पार करे
हार गिरे तब धार करे
जब धार करे तब वार करे
जब वार करे संहार करे
c.Jha

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अपन मोनक भावना के एते राखु