गुरुवार, 18 अक्तूबर 2012

कतेक सत्य अछि मैथिली क ग्लोबलाइजेशन

भोजपुरी विकिपीडिया पर प्रमुखता स अपन जगह बना लेलक,मुदा मैथिली पछुआ गेल। इ मैथिल टेक-सेवी लेल चिंतन-मनन क विषय अछि संगहि सात करोड मैथिल क मुंह पर जबरदस्त थापर सेहो अछि जे एखनो धरि मैथिली कए आपसी द्वेष मतभेद स अंतरजाल पर जगह बनेबा स रोकि रहल छथि।
मैथिल एकरा लेल ओना सामूहिक प्रयास नहि करि सकलाह जेना भोजपुरी जगतक लोक केलक। अधिकतर मैथिल इन्टरनेटक प्रयोग मैथिली कए गरियेबा लेल आ क्षणभंगुर लोकप्रियता लेल करैत रहलाह अछि। एहन मे मैथिलीक ग्लोबलाइजेशन क सपना सपने रही सकैत अछि। किछु लोक जे एहि प्रयास मे छथि ओ सेहो थाकि हारि कए रहि जेताह। मैथिल क टांगघिच्चा प्रवृति स मैथिली क बंटाधार होइत आयल अछि आ इतिहास एक बेर फेर दोहरा गेल अछि।
इ’समाद किछु दिन पहिने राजेश रंजन, संगीता कुमारी आ हुनकर टीमक योगदान कए अहां सबहक समक्ष रखने छल। इ सब मैथिली मोजिल्ला क बीटा वर्जन बना इतिहास रचि देने छथि। राजेश रंजन सूचना प्रोद्यौगिकी मे मैथिली क स्थान क संबंध मे पूछला पर कहने छलाह जे मैथिली एप्लीकेशन क भविष्य एकर प्रयोक्ता पर निर्भर करैत अछि आओर प्रयोक्ता चाहत त एकर भविष्य उज्जवल आ अंधकारमय बना सकैत अछि। ओना गजेन्द्र ठाकुर सन प्रयोक्ता क योगदान कए सेहो उल्‍लेखनीय अछि, ओ लगातार विकिपीडिया स मैथिलीक विकासक लेल लडैत रहलाह अछि। मुदा एकटा सवाल अछि जे एना छिटपुट प्रयास स एतबा पैघ काज कोना भ सकत। आजुक समय मे ज्‍यों अंतरजाल पर एकटा सर्वे कराओल जाए जे कतेक प्रतिशत लोक अंतरजाल पर मैथिली एप्लीकेशन क प्रयोग करैत अछि त 70 प्रतिशत स बेसी क जवाब आउत “की मैथिली मे कोनो एप्लीकेशन छै?” प्रयोगक बात त छोडू। तिरहुत/मिथिलाक्षर क गप ज्‍यों छोडि दी तखनो देवनागिरी मे मैथिली लिखनिहार क प्रतिशत आंगुर पर गिनबा योग्य अछि। आब सवाल इ अछि जे हम एकर प्रचार-प्रसार पर ध्यान नहि द अनका गरियेबा मे किया लागल छी। अपन स्‍वार्थ लेल भाषाक उन्नति किया अवरुद्ध केने छी। साहित्य स ल कए सिनेमा तक, इतिहास स ल कए भूगोल तक, घर स ल कए बाजार तक आओर कलम स ल कए अंतरजाल तक मैथिली खाली अपन टांगघिच्चा प्रवृतिक शिकार भेल अछि। 2003 मे मैथिली कए संविधान क आठम अनुसूची मे शामिल कैल गेल, मुदा मैथिल एना चैन क निन्न सुतबा जेना लड़ाई ख़त्‍म भ गेल, जखन कि लडाई त शुरू भेल छल। लोक इ नहि बुझलक जे मैथिली एखन खाली अपन स्थान लेलक अछि, पहचान लेबा लेल बहुत काज बाकी अछि।
ओना कहबाक लेल त मैथिली, भोजपुरी स 800 साल पुराण अछि, हमर अपन लिपि अछि, साहित्य अछि, क्रमानुगत भाषाक विकास अछि आओर युग-युग स चलैत आबि रहल परम्परा अछि। मुदा जाहि प्रकार स हम चलि रहल छी की हम निरंतर रहि सकब, की हमर सतत यात्रा एहिना जारी रहत आकि हम मैथिली क टांगघिच्चा प्रवृति क शिकार भ बाट मे दम तोड़ी देब।
जाहि प्रकार स भोजपुरी दिन-दूना राति चौगुना तरक्की करि रहल अछि। फूहड़ गीत स एकटा वर्ग आ गंभीर लेखन स दोसर वर्ग मे पहुंच विश्व पटल पर छा रहल अछि, ओ करबा मे मैथिली पछुआ गेल अछि। मैथिली जतए गंभीर लेखन स अपना कए अलग करैत जा रहल अछि ओतहि तकनीकि रूप स सेहो काफी कमजोर भ रहल अछि। भोजपुरी गीत-संगीत आओर सिनेमा व्यवसायिकता क चरम पर अछि नित नब-नब चैनल, अखबार, पत्रिका आ वेबसाईट आबि रहल अछि आओर नब-नब प्रयोग क कए सबकए चौंका रहल अछि,मुदा मैथिली क गति बहुत धीमा अछि। मैथिलीक हाल एहन किया भेल। की हमर प्राचीन आ सुन्दर साहित्य खाली कागज क डिब्बा मे सिमैट कए रहि गेल अछि?
भिखारी ठाकुर क एकटा नाटक विदेसिया भारत क संगहि विदेश मे सेहो डंका बजा देलक, मुदा हम अखनो हरिनाथ झाक पाँच पत्र ल नेपाल स आगू नहि जा सकलहुं अछि। जखन कि मैथिल विश्व पटल पर छा गेल छथि। एकर एक मात्र कारण इ अछि जे हमर साहित्‍य स ल कए संगीत तक स्वार्थ सिद्ध करबाक साधन मात्र अछि। स्वार्थ सिद्ध लेल सब मैथिली क सेवक बनल छी।
आइ भोजपुरी विकिपीडिया पर प्रमुखता स आबि गेल, संविधान क आठम अनुसूची मे शामिल हेबा लेल प्रयासरत अछि , साहित्य आ संगीतक चर्चा अंतरराष्ट्रीय पटल पर भ रहल छै, किया त भोजपुरी अपना कए एकजुट रखने अछि। मैथिल मे प्रतियोगिता क बदला पर एक दोसर कए नीचा देखेबाक काज होइत अछि। भोजपुरी क एहि सफलता स उम्‍मीद कैल जाए जे सब नीक काज छोडि लोक कए गरियेबा मे लागल मैथिलक आंखि खुजत। कम स कम आब त अपन भाषाक सर्वांगीण विकासक गप सोचल जाएत। ओना ज्‍यों भाषा क विकास खाली कथा, कहानी, नाटक आ ग़ज़ल लिख देला स या साहित्य आकादमी स पुस्कार पाबि लेला स भ सकैत छल त बहुत भाषा संग मैथिली सेहो आइ आधुनिक भाषाक कतार मे देखाइत रहिते। भाषा क विकास तखने संभव अछि जखन हम अपन टांगघिच्चा प्रवृति कए छोडि, व्यक्तिगत स्वार्थ स ऊपर उठि, अपन भावी पीढ़ी लेल एकरा आधुनिक भाषा बनेबाक प्रयास करि। तखने मैथली ओ मुकाम पर पहुँचत जेकरा लेल ई वांछनीय छल।

साभार - इसमाद (www.esamaad.com) 

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