गुरुवार, 18 अगस्त 2011

ग़ज़ल

जन्म लेलोंउ जों मिथिला मे त मैथिल छी          
कर्म केलोंउ जों मिथिला मे त मैथिल छी           

मीठ बोल जों सदिखन सबहक ठोर रहे        
पान मखान स स्वागत होए त मैथिल छी         

कपटी माय नै होए ये सदिखन याद राखु        
सीता सन जों माय भेटल त  मैथिल छी       

कवी कोकिलक गान स जों मधुर छलके      
उगना बनि भगवान् भेटल त मैथिल छी     

अपने मुंह नै करब बड़ाई जानी लिया 
मिथिला हमर गाम भेल त मैथिल छी  

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अपन मोनक भावना के एते राखु