शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

नबका औधोगिक निति आनत बिहार में निवेशक बाढ़ि

बिहार में ओधोगिक विकास के रास्ता साफ़ भए रहल ये। आधारभूत संरचना के तेजी से विकास भए रहल ये, एता कच्चा माल आसानी से भेट जाए ये, विधि व्यवस्था पर पूरा नियंत्रण अछि आ मानव संसाधन के ते कमिये नै ये सबसे पैघ बात जे राज्य सरकार ओधोगिक निति कए प्रोत्साहित कए रहल ये। अपन पहिल कार्यकाल में ही बिहार सरकार औधोगिक निति २००६ आनने छल आ एही साल ओकर किछु त्रुटी कए दूर करैत एकरा में संशोधित केलैथि आ नबका औधोगिक निति २०११ आनलक जे पहिल जुलाई २०११ से लागू हाएत। ई गप सुचना भवन में संवाददाता सम्मलेन में  उधोग मंत्री श्रीमती रेणु कुशवाहा कहलक ये
नबका औधोगिक निति में जमीन क्रय पर लागय बाला रजिस्ट्री शुल्क आ स्टाम्प शुल्क पर माफ़ी भेटत
। एही सम्मलेन में ओ राज्य सरकार के फ़ूड प्रोसेसिंग निति (विजन डाक्यूमेंट) के बारे में भी बतेलक। एही निति पर चर्चा करैत प्रधान सचिव सी.के.मिश्रा बतेलक जे एही निति के चारि टा अध्याय ये। पहिला अध्याय में प्री प्रोडक्शन फैसिलिटी जाही में रेजिसट्रेशन शुल्क/स्टाम्प रियायत लीज डीड, री-इम्बर्शमेंट आ मार्टगेज भूमि पर भी छुट दए बात भेल ये दोसर अध्याय में पोस्ट प्रोडक्शन फैसिलिटी जाही में डीपीआर, तकनिकी जानकारी,तकनिकी प्रशिक्षण, कार्बन क्रेडिट प्रोत्साहन राशि, ५ करोड़ रुपया के केपिटल सब्सिडी(फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के छोडि के ), बिजली सुलभता लेल कैप्टिव पावर जेनेरेटिंग सेट पर ५० प्रतिशत छुट, गैर पारम्परिक उर्जा स्त्रोत संस्थापन पर ६० प्रतिशत छुट आदि के उल्लेख ये। एहिना तेसर अध्याय में वैल्यू ऐडेडटैक्सेशन आर चोथा ईकाई में सबसे अहम् जानकारी ये की एही में अनुसूचित जाति/जनजाति, महिला आ निःशक्तजन के द्वारा स्थापित ईकाई पर विशेष छुट देल जाएत
उधोग विभाग के दरियादिली देखि कए ते लागय ये की एक समय एहन आएत जे बिहार के पास जमीन कम आ उधोगपति के प्रस्ताव बेसी रहत। कृषि प्रधान राज्य होए के लेल फ़ूड प्रोसेसिंग के भी निवेश में लोग बेसी रूचि देखाय रहल ये। आब बिहार सचमुच बदलत एही में कुनू दू राय नै

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