भैया खुश ये, बहिना खुश ये
नबका सासुर, पहुँना खुश ये
सिरको में ओ काँपैत रहला
गरीब बिना ओछोना खुश ये
तोशको ग़द्दा नींद नै लाबेए
गरीब बिना बिछोना खुश ये
सुनिलक ग़ज़ल रास नै आबए
तइयो जहिना-तहिना खुश ये
नबका सासुर, पहुँना खुश ये
सिरको में ओ काँपैत रहला
गरीब बिना ओछोना खुश ये
तोशको ग़द्दा नींद नै लाबेए
गरीब बिना बिछोना खुश ये
सुनिलक ग़ज़ल रास नै आबए
तइयो जहिना-तहिना खुश ये
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अपन मोनक भावना के एते राखु