आब मनुखे मनुखक की देत
जे दए बला ये ओ गोसाँय देत
सुनबै ते सुनु सच के बोल केहन होए ये
झूठो को ई गोप लजाs देत
लोग से देखियो जिनगी के रंग की होए ये
हिनकर रूप अहाँक कनाय देत
नै पुछू हमरा से पियार की होए ये
दुश्मनों के ई गोप हिलाs देत
टूटल करेज सs आवाज़ नै होए ये
एही बात अहाँक बुझाय देत
ग़ज़ल के लेल कोनो साज नै होए ये
बिना आवाजो के ई मज़ाs देत
सुदर्शन फकीर के ग़ज़ल आदमी आदमी को क्या देगा का मैथिल अनुवाद
जे दए बला ये ओ गोसाँय देत
सुनबै ते सुनु सच के बोल केहन होए ये
झूठो को ई गोप लजाs देत
लोग से देखियो जिनगी के रंग की होए ये
हिनकर रूप अहाँक कनाय देत
नै पुछू हमरा से पियार की होए ये
दुश्मनों के ई गोप हिलाs देत
टूटल करेज सs आवाज़ नै होए ये
एही बात अहाँक बुझाय देत
ग़ज़ल के लेल कोनो साज नै होए ये
बिना आवाजो के ई मज़ाs देत
सुदर्शन फकीर के ग़ज़ल आदमी आदमी को क्या देगा का मैथिल अनुवाद
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अपन मोनक भावना के एते राखु