शुक्रवार, 20 मई 2011

जीवनधारा

सागर मs हम पलैत छी
सूर्यताप सs जलैत छी
सरिता बैन भूमि पर आs
बनि मेघ नभ म चलैत छी
पर्वत हम्मर बाधा यs
निर्मल निर्झर से बहैत छी
फेर सागर मs ही मिलैत छी

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अपन मोनक भावना के एते राखु