गुरुवार, 5 मई 2011

ऑफिस के बाबू ...

ऑफिस के बाबू

ऑफिस के एकटा बाबू मरल
सीधे जाय के नरक में गिरल
नै कोनो दुःख भेल
नै कोनो कष्ट
उलटे खुश भेल
भए गेल मस्त
खुश भए के नाचे लागल
नरक के देवता के गुण गाबए लागल
कहलक एताs हम कतेक शान ये
नरक के बनाबै बला कतेकs महान ये 
गोस्सायल,तमसायल प्रकट यमराज भेल
पुछलक ई दुःख में अहाँक कोन सुख भेट गेल
कहल ओ  ऑफिस के बाबु
अहाँक नै बुझायल छि
हम एताs सीधा
हिन्दुस्तान से आयल छि

सुरेश उपाध्याय के कविता दफ्तर के बाबु के मैथिल अनुवाद

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अपन मोनक भावना के एते राखु