गुरुवार, 26 मई 2011

ग़ज़ल

दिल तोड़ि के जे हँसल हम घबरा गेलों  
फेर हँसि के जे
कानल हम घबरा गेलों   

एकतरफा प्यार में पड़ल रही दुनु गोटे   
जखन जानलों एही बात हम घबरा गेलों  

प्यार में बिकल घर-बार ते कोनो चिन्ता नाञ  
मुदा प्यारे जखन बिकल हम घबरा गेलों  
  
मुखचन्द्र देखि के फुसलाबैत रही दिल के  
ओ पराs गेल हमरा से ते हम घबरा गेलों  

ग़ज़ल हम लिखय रही ओकरा बिसारि के   
ओ याद जखन आएल ते हम घबरा गेलों   

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अपन मोनक भावना के एते राखु