शनिवार, 11 जून 2011

मिथिला दर्शन भाग -२

दरभंगा -

उत्तर बिहार में बागमती नदी के कोनटा पर बसल ई जिला मिथिला के लेल एकटा एतिहासिक आ मह्तवपूर्ण जिला अछि। दरभंगा शब्द के अर्थ संस्कृत भाषा के 'द्वार-बंग' या फारसी के भाषा 'दर-ए-बंग' यानी बंगाल के दरवाजा के मैथिली रूपांतरण ये। एहनो कहल जाय ये की मुग़ल काल में एकटा व्यापारी दरभंगी खान एही शहर के बसेलक रहे जाहि कारण से एकर नाम दरभंगा पड़ि गेल। दरभंगा शहर के विकाश सोलहवीं सदी में मुग़ल व्यापारी के ऐनाय से भेल। अपन प्राचीन आ बौधिक परम्परा के लेल एही शहर खूब प्रसिद्ध ये। एकर अलावा प्राचीन भारत के जानल मानल राजा लक्ष्मीश्वर सिंह, ललित नारायण आ कामेश्वर सिंह  के जन्म आ कर्मस्थल सेहो अछि। संगे एहिठाम के आम आ मखान मिथिला के साथ-साथ सोंसे देश में प्रसिद्ध अछि।

इतिहास -

दरभंगा शहर के विवरण महाभारत आ रामायण में भेटैत ये। वैदिक स्त्रोत के अनुसार एही शहर बिहार के सबसे पुरान शहर अछि। दरभंगा शहर १६ वीं सदी में दरभंगा राज के राजधानी छल।१८४५ ईस्वी में ब्रिटिस सरकार दरभंगा के सदर अनुमंडल बनाs देलक आ १७६४ ईस्वी में दरभंगा शहर नगर निकाय बनि गेल।
एही जगह पर पुरातन काल से ही राजा के शासन छल विदेह के राजा मिथि के बाद मगध के राजा मौर्या, शुंग, कण्व, आऔर गुप्त शासक के राज छल, १३वीं सदी में एही पर बंगाल के किछु मुसलमान शासक सेहो राज केलेन। जाही में बंगाल के शासक हाजी शमसुद्दीन इलियास एही क्षेत्र के मिथिला आ तिरहुत क्षेत्र में बाटि देलक
उत्तरी भाग जाही में दरभंगा, मधुबनी, आ समस्तीपुर जिला आयल तकर सत्ता राजा कामेश्वर सिंह के भेटल। तकर बाद राजा देवसिंह, शिवसिंह, पद्मसिंह, हरिसिंह, नरसिंहदेव, धीरसिंह, भैरवसिंह, रामभद्र, लक्ष्मीनाथ, कामसनारायण राजा भेल। एही काल के राजा कलाकार आ विद्वान के बेसी प्राथिमिकता दैत रहे। खास कए के पान, मखान, विद्या, आ मधुर बोल के कारन एही ठाम के एकटा प्रचलित श्लोक अछि,
पग-पग पोखर, पान मखान
सरस बोल, मुस्की मुस्कान
विद्या-वैभव शांति प्रतीक
ललित नगर दरभंगा थिक
अपन गौरवशाली अतीत आ अद्भुत संस्कृति के लेल प्रसिद्ध ई जिला आय राजनितिक कारण से उपेक्षित अछि।

भूगोल -
दरभंगा जिला के क्षेत्रफल २,२७९ वर्ग किलोमीटर अछि। दरभंगा के उत्तर में मधुबनी, दक्षिण में समस्तीपुर, पूरब में सहरसा आ पश्चिम में मुजफ्फरपुर आ सीतामढ़ी जिला ये। सोंसे जिला में समतल आ उपजाऊ जमीन अछि मुदा वनप्रदेश कोनो नै अछि। एही इलाका में हिमालय से बहय बला नदी के अधिकता अछि, एतौका पर्मुख नदी कमला, बागमती, कोशी, करेह आर अधवारा अछि। एही समस्त नदी हरेक साल एता बाढ़ी आनय ये जाही हरेक साल बहुत जान आ माल के हानि होए ये। एही ठाम औसत वर्षा ११४२ से ११४४ मिलीमीटर होए अछि।

जनसँख्या आ शिक्षा -  २००१ के जनगणना के अनुसार एही जिला के कुल जनसँख्या ३२,८५,४९३ छल जाही में शहरी क्षेत्र में २,६६,८३४ आ देहाती क्षेत्र में ३०,१८,६३९ छल। एही ठाम के साक्षरता दर ३५.४२% अछि जाही में पुरुष आ महिला के शिक्षा के प्रतिशत क्रमशः ४५.३२% आ २४.५८% अछि।

प्रशासनिक विभाग -

दरभंगा जिला में ३ टा अनुमंडल, १८ टा प्रखंड, ३२९ पंचायत, १.२६९ गाँव, आ २३ टा थाना छल।

अनुमंडल - दरभंगा सदर, बेरौल, बेनीपुर ।
प्रखंड -  दरभंगा, बहादुरपुर, हयाघाट, हनुमाननगर, बहेरी, केवटी, सिंघवारा, जाले, मणिगाछी, ताराडिह, बेनीपुर, अलीनगर, बिरौल, घनश्यामपुर, कीरतपुर, गौरा-बौरम, कुशेश्वरस्थान, कुशेश्वरस्थान (पूर्व) अछि।
प्रमुख नदी - एहिठाम के प्रमुख नदी कमला, बागमती, कोशी, करेह आर अधवारा अछि।

पर्यटन स्थल -

दरभंगा राज परिसर एवं किला - दरभंगाक महाराज सब के कला, साहित्य आ संस्कृति के संरक्षक के रूप में गिनल जाय ये। स्वर्गीय महेश ठाकुर के द्वारा स्थापित दरभंगा राज किला-परिसर आब एकटा आधुनिक पर्यटक स्थल आ शिक्षा के केंद्र बनि चुकल ये। विशाल, भव्य, आ वाश्तुकला के शानदार नमूना से बनल एतोका महल आ मंदिर अखनो धैर प्राचीन काल के कला के कहानी कहैत ये। भिन्न-भिन्न महाराज के बनायल महल में नरगौना महल, आनंदबाग महल आ बेला महल मुख्य ये। राज के पुस्तकालय आ ललितनारायण मिथिला विश्वविद्यालय आ कैकटा आरो दोसर दोसर महल संस्कृत विश्वविद्यालय के लेल उपयोग में लैल जाए रहल ये।

महाराजा लक्ष्मिश्वर सिंह संग्रहालय  -   १६  सितम्बर १९७७ में दरभंगा के तत्कालीन जिलाधिकारी एही संग्रहालय के स्थापना केलखिन। एहिठाम अहाँक प्राचीन आ दुर्लभ कलाकृति के विशाल संग्रह भेटत। सोम दिन टा के छोडि के सप्ताह के हरेक दिन एही संग्रहालय खुलैत ये जाही में प्रवेश निः शुल्क अछि।

चंद्रधारी संग्रहालय - रंती-ड्योढी (मधुबनी) के स्वर्गीय चंद्रधारी सिंह के दान करल गेल कलात्मक आ दुर्लभ वस्तु के दरभंगा शहर के मानसरोवर झील के कात ७ दिसंबर १९५७ के एकटा संग्रहालय में राखल गेल। एहिठाम अहाँक के हाथी दाँत, सोना आ चाँदी के बनल हथियार आ दरभंगा महाराज के अद्भुत प्राचीन निशानी देखय ले भेटत। एही संग्रहालय के दुर्लभ वस्तु सब के ओकर उपयोग के अनुसार ११ टा कमरा में राखल गेल ये। ई संग्रहालय में प्रवेश निःशुल्क अछि।

श्यामा मंदिर - दरभंगा स्टेशन से करीब १ किलोमीटर दूर पर बसल मिथिला विश्वविद्यालय के अंगना में बनल एही मंदिर कला के अद्भुत नमूना अछि। सन १९३३ ईस्वी में एही काली मंदिर के दरभंगा के राजा बनोलक रहे। एही मंदिर के निर्माण दरभंगा राज परिवार के निजी कब्रिस्तान पर काएल गेल ये। एतोका लोग में एही मंदिर के बड़ आस्था अछि कहल जाय ये एता पूजा केने से अहाँक मनोवांछित फल भेटत।

होली रोजरी चर्च - 
दरभंगा रेलवे स्टेशन से १ किलोमीटर उत्तर में स्थित एही चर्च इसाई पादरी के प्रसिक्षण के लेल बनल रहे। १८९७ में आयल भूकंप से एही चर्च के काफी नुकसान पहुंचल छल आ जाही लेल एही में प्रार्थना सेहो बंद भए गेल रहे, बाद में एकर पुनर्निर्माण भेल आ २५ दिसंबर१९९१ से एही चर्च में पुनः प्रार्थना शुरू भए गेल। चर्च के बाहर ईसा मसीह के एकटा प्रतिमा सेहो बनल छल जे बहुत ही मोहक आ करुणामय लागय छल। एही जगह हरेक साल ७ अक्टूबर के एकटा विशाल मेला के आयोजन सेहो होए अछि जे आनंद मेला के नाम से प्रसिद्ध ये।

मस्जिद एवं मकदूम बाबा की मजार-  दरभंगा रेलवे स्टेशन से २ किलोमीटर दूर दरभंगा टावर के पास बनल मस्जिद शहर के मुसलमान के लेल सबसे पैघ पूजा के स्थल अछि। एइ के पास एकटा सूफी संत मकदूम बाबा के मजार सेहो छल जे हिन्दू आ मुसलमान दुनु के लेल आदरणीय अछि। शुक्र दिन एहिठाम अहाँ भरी संख्या में भीड़ देखि सके छी।

भीख सलामी मजार - दरभंगा रेलवे स्टेशन से १ किलोमीटर दूर गंगासागर के किनार पर बसल एही मजार मुसलमान आ हिन्दू दुनु के लेल आस्था के प्रतीक अछि। रमजान के दिन एही ठाम १२ से १६ दिन के विशाल मेला लगय ये।

कंकाली मंदिर - दरभंगा रेलवे स्टेशन से दू किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित ई मंदिर दरभंगा महाराज के किला में क्षेत्र में बनल ये। खास कए के ई मंदिर शक्ति आ सिद्धि से जुडल लोग के लेल ये।

मनोकामना मंदिर - विश्विद्यालय परिसर के ठीक पाछा बनल एही मंदिर नौरंग पेलेस में ये। संगमरमर से बनल एही मंदिर में छोट मुदा अद्भुत आ अतुलनीय भगवान् बजरंगबली के मूर्ति स्थापित अछि। मंगल दिन एता बेसी भीड़ रहय ये।

सती स्थान - दरभंगा महाराज पुल से एक किलोमीटर पश्चिम में बनल ई स्थान एकटा सम्शान में स्थित अछि। महाराजा रामेश्वर सिंह जे खुद भी एकटा पैघ तांत्रिक रहे रोज राति के ओ एहिठाम तंत्र सिद्धि ले जाए रहे। एहिठाम पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा के पिताजी हिरानंदन मिश्रा के समाधी सेहो अछि। लोग हरेक शुक्र आ सोम दिन एही ठाम पूजा पाठ लए आबए ये।

नवादा दुर्गा स्थान - मजकोरा नवादा रोड पर बसल एही मंदिर में दुर्गा जी के विशाल प्रतिमा अवस्थित ये। हरेक दिन एही मंदिर में कम से कम सौ टा लोग जरुर आबय ये दुर्गा पूजा में एही जगह के रौनक देखय बला रहय ये।

नेवारी - बेरैल से १३ किलोमीटर दूर ई जगह राज लोरिक के प्राचीन किला के लेल प्रसिद्द अछि।

महिमा महादेव स्थान छपरार - दरभंगा से १० किलोमीटर दूर ई जगह कमला नदी के कात में बसल ये। एता कमला नदी के कात में एकटा शिव मंदिर बनल ये जतय कातिक आ माघ महिना में बड़ा जबरदस्त मेला लगय ये।

कुशेश्वरस्थान शिवमंदिर एवं पक्षी विहार - समस्तीपुर-खगड़िया रेललाईन पर हसनपुर रोड से २२ किलोमीटर दूर कुशेश्वर स्थान अछि जतय रामायण काल के एकटा शिव-मंदिर सेहो छल। एही मंदिर हिन्दू के आस्था के प्रतीक अछि। कुशेश्वर स्थान के आस-पास ७०१९ एकड़ जलप्लावित क्षेत्र के वन्यजीव सरंक्षण अधिनियम के तहत पक्षी अभ्यारण घोषित कए देल गेल ये। एही क्षेत्र में स्थानीय पक्षी के संगे साईबेरियाई, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, आ अफगानिस्तान जैसन पडोसी देश के पक्षी के तादात बहुत बेसी छल। एही जगह मुख्य रूप से ललसर, दिघौच, माइल, नकटा, गैरी, गगन, अधानी, हरियल, चाहा, करन, रतवा, गैबर जैसन पक्षी एता देखि सकय छी, मुदा आब पक्षी के अवैध तस्करी आ शिकार के कारण आब एकर संख्या काफी घटल ये। एही ठाम के अहाँक के कैकटा एहन पक्षी देखाय जाएत जे अंतर्राष्ट्रीय पक्षी संरक्षण निदेशालय के अनुसार पूरा विश्व में काफी कम अछि।

अहिल्यास्थान  -  जाले प्रखंड में कमतौल रेलवे स्टेशन से ३ किलोमीटर दक्षिण में स्थित ई स्थान त्रेता युग के निशानी थीक। कहल जाय ये की अयोध्या जाय के काल में भगवान् श्रीराम पत्थर से बनल शापग्रस्त अहिल्या के उद्धार एही स्थान पर कैलक रहे। हरेक साल रामनवमी (चैत) आ विवाह पंचमी ( अगहन) के एता जबरदस्त मेला लागय ये जाही में रामलीला के साथ साथ कैकटा अन्य प्रकार नाटक के आयोजन होए ये।

गौतमस्थान -  कमतौल से ७ किलोमीटर दूर ब्रह्मपुर के गौतम ऋषि के स्थान मानल जाए ये। एही ठाम गौतम सरोवर आ संगे एकटा मंदिर सेहो बनल अछि। संगे ब्रह्मपुर गाम खादी के लेल भी काफी प्रसिद्ध अछि एही ठाम अहाँ विभिन्न तरह के खादी के वस्त्र किनी सकय छी।

मरकंडा - मैनगाछी रेलवे स्टेशन से ५ किलोमीटर दक्षिण में बसल एही गाम एकटा प्राचीन मंदिर के लेल प्रसिद्ध अछि जकर नाम बानेश्वरनाथ अछि।

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