शुक्रवार, 24 जून 2011

आईआईटी-आईआईएम् से केलेंन पढाई खेती में देलेन लगाई...

सुशासन के आगाज बिहार में देखाय पड़ि रहल ये। जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय आ विदेश से पढाई केलाs के बाद बिहार के बहुत युवक खेती के अपन रोजगार बनेलक आ अपन माटि के लेल जे किछु करय के जज्बा होए ये ओकर धरातल पर आनलक।  आई. आई एम् से पढला के बाद बिहार के कोशलेन्द्र सब्जी के ऑर्गेनिक खेती आ मार्केटिंग कए एकटा नव आयाम देलक ये। पटना में ए.सी ठेला पर सब्जी हुनके पहल अछि।
बिहार में एहन लोग के कमी नै अछि जे कैकटा पैघ संस्थान से पढाई आ नौकरी के बाद भी अपन राज्य आ गाँव में खेती के अपन रोजगार चुनलक ये। ओ कहलक जे ई क्रांति बिहार के लेल एते आसन नै रहे। कतेक युवक हुनका सबहक खेती के काज करैत देख तंज कसलक मुदा ओ अपन काज पर इमानदारी से डटल रहल आ आखिरकार गाँव बला के साथ-साथ सरकारों हिनकर साथ दिए लागल। आईआईटीयन शशांक आ मनीष के कहनाय ये की कामयाबी मिलय तक हुनका गाम से बहुत ताना सुनय ले भेटेल। वैशाली जिला के ई दुनु लाल गाँव के किसान के गहुम के बदला राजमा उगाबै के लेल प्रेरित करलक आ हुनका सभ के कामयाबी के शिखर पर पहुंचेलक। ई दुनु गोटे मई में आईआईएम् बेंगलुरु में आठ देशक प्रतिनिधि के बीच भारत के प्रतिनिधित्व सेहो करलक रहे।
जे.एन. यु. से पोस्ट ग्रेजुएशन केलाक बाद पश्चिमी चंपारण के सुशील कुमार सुंगधित धान के लुप्त होए प्रजाती के बचाबै में लागल ये। दून-बासमती हुनकर अभियान के सफलता के किस्सा कहि रहल ये।
एहन बात नै ये की बिहार में प्रतिभा के कमी ये मुदा पहिने सरकार के नीति आ आन-आन राजनैतिक आ सामाजिक कारण से ओ सभ अपन अपन प्रतिभा के दोसर-दोसर राज्य वा देश में लगाबै रहे। सुशासन के एला के बाद एही प्रतिभा के पलायन रुकल आ लोग के अपन माटि पानि से लोग के रुझान बेसी बढ़ल ये।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपन मोनक भावना के एते राखु