शनिवार, 25 जून 2011

गणतंत्र दिवस पर बिहार के झांकी के थीम मिथिला के लोक-संस्कृति पर


हरेक साल के जेना एही बेर गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में आयोजित होए बला हरेक राज्य के झांकी में बिहार के झांकी के थीम मिथिला के लोक संस्कृति रहत। बिहार आ मिथिला के लेल ई बहुत ही नीक खबर अछि। एही बेर गणतंत्र दिवस के झांकी मे बिहार के तरफ से विश्व प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग आर बिहार के मधुबनी जिला मे बसल सौराठ मे होए बला सामूहिक विवाह के मशहूर प्रथा ' सौराठ सभा' के प्रदर्शन करल जाएत। बिहार के झांकी मे एही बेर मिथिला के तीन हज़ार साल पुरान संस्कृति के दर्शन हाएत, जाही मे मिथिला के पुरान लोक भाषा, पेंटिंग, हस्तकला, और नृत्य के मिश्रण हेतेय। ज्ञात हुए की एतोका माटिक देबार आ कपड़ा पर बनल मधुबनी पेंटिंग के भरि दुनिया मे पहचान भेटल ये। एही बेर के झांकी मे सौराठ सभा के भी प्रदर्शन हाएत जे पुरान समय मे एतोका लोगेन के लेल वियाह के एकटा अद्भुत परम्परा रहयसौराठ सभा मे मूल रूप से एकटा मेला के आयोजन होयत रहे जाही मे विवाह योग्य लड़का आ लड़की के लेल  हुनकर परिवार बला बिना कुनू दहेज़ के वर आ वधु ढूंढ़ि सकैत रहे। ई परंपरा ओना ते बंद भए गेल रहे मुदा मिथिला के किछु उत्साही लोग के कारण ई बेर फेर से ई परंपरा शुरू भेल जाही कारण से बिहार सरकार एकरा ऊपर ध्यान देलक आ एही बेर के गणतंत्र दिवस के परेड के थीम एकरे बनेलक ये। मिथिला आ मैथिल के लेल ओ समय बड़ा रोमांचकारी हाएत जखन दिल्ली मे इंडिया गेट के आगाँ ओ विश्व पटल पर अपन माटिक झांकी के देखत

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