सोमवार, 7 मार्च 2011

सरकारी अस्पताल में ईलाज क रहल ये रसोइया!

बिहार में जंगल राज ते ख़तम भ गेल ये मुदा अखनो किछु एहन घटना होए ये जाकर लेल हम सब सोचय ले मजबूर भ जाय चहिये, टटका उदहारण ये भागलपुर- जाकर पुलिस लाइन अस्पताल में एकटा रसोइया डॉक्टरक काज का रहल ये! डॉक्टरक कमी के चलते हुनका ओ काज देल गेल ये जाकर ओ निक जोंका निभाय रहल ये!
ओ डॉक्टर साहब छथिन विष्णुकांत मिश्र, पुलिस लाइंस में चतुर्थ वर्गक कर्मचारी सह रसोइया ये, मुदा डॉक्टर के आभाव में ओ मरीज के ईलाज क रहल ये!
विष्णुकांत जी मरीज़ के दवा के साथ साथ हुनकर महरम-पट्टी आओर
इंजेक्शनो देबै के काज करय ये. ओही ठाम मरीज को कुंनू दोसर विकल्प नै रहबाक कारण ओ सभ भी मजबूरी में हुनका सा इलाज करबाबै ये!

सप्ताह में पांच दिन डॉक्टर के भूमिका में रहै वाला विष्णुकान्त जी की दवाओं के नाम रटल ये! आ हुनका पुलिस लाइन के मेनू भी याद ये !

आब विष्णुकांत जी के की कही ओ ते सरकारक भूमिका से हैरान ये आ ओतेय ई जिम्मेदारी राज्यक पुलिस अस्पताल के खोलली व्यवस्था के कलई खोलै ये !

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