देहरी के टांट पर जौं पानक लत्ती होए
ते बुझियोक मिथिला छैक...
दलानक मचान पर जौं तिलकोकर छत्ती होए
ते बुझियोक मिथिला छैक...
जतेय मैटक करेज सों वैदेही जनमैय ये
जतेय याज्ञवल्क्य कमंडल से अमृत छाल्कैत ये,
पान-मखान से पाहुँनक स्वागत होए
जतेय याज्ञवल्क्य कमंडल से अमृत छाल्कैत ये,
पान-मखान से पाहुँनक स्वागत होए
ते बुझियोक मिथिला छैक...
गामक गोप से जौं मधुर छलके
ते बुझियोक मिथिला छैक...
जतेय माछक झोर से सोजन लगय ये
जतेय चक्का,तिलकोर से भोजन सजय ये
पग-पग पर जौं पोखरी होए
ते बुझियोक मिथिला छैक ...
घोर-घोर में जौं चौखरी होए
ते बुझियोक मिथिला छैक ...
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अपन मोनक भावना के एते राखु