शनिवार, 12 मार्च 2011

रौशनी हो गर खुदा को मंजूर, आंधियो में भी चिराग जला करते हैं"


"रौशनी हो गर खुदा को मंजूर,
                                    आंधियो में भी चिराग जला करते हैं"
कहे छै जखन हौसला बुलंद हुए.प्रयास ईमानदार हुए, आ किछ कैर गुजरे के तमन्ना हुए ते, परिस्थिति चाहे कोनो हुए मंजिल हुनकर पांव छुए लय ये! ई गोप दोनों हाथ से विकलांग आनंद कुमार दास पर सटीक बैठे ये! आनंद इंटर के परीक्षार्थी ये आ मधुबनी के वाटसन विद्यालय में इंटर के परीक्षा देय रहल ये, ओ ई केंद्र पे मीडिया, शिक्षक, अभिभावक आ छात्रों सब के आकर्षक के केंद्र बनल ये आ प्रेरणा स्त्रोत ये ! जे भी हुनका देखय ये बरबस हुनकर मुंह से निकैल जाय ये वाह आनंद वाह! अहाँ के जवाब नए ये।
परीक्षा में बैसल दोसर परीक्षार्थी के साथ हुनकरो एके ते मिशन ये सौ फीसदी प्रश्न के समय सीमा में हल करनाय।
                        आनंद पडौल प्रखंड के नाव्हाद गाँव के निवासी अछि।ओ स्थानीय जे एन कालेज के इंटर कला के परीक्षार्थी ये। कपाडक दोष कहियो आ किस्मत आ विधि के विधान के १९९६ में हुनकर पिताजी के साया हुनकर कपाड से उठ गेल। ओकर वावजूद ओ अपन धैर्य नै खोलक,हिम्मत नै हारलक आ आपन पढाई कय जारी राखलक।पिताजी के गुजरै के सात सालक बाद २००३ में करेंट के चपेट में आयब जाय के कारन ओ अपन हाथ गवां बैठल। मगर हौसला बुलंद कुछ कैर गुजरै के तमन्ना के कारन अपन पढाई नै छोडलक आ २००८ में मैट्रिक के परीक्षा में द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण भेल। आ मधुबनी इंटर कालेज में इंटर कला के दाखिला लेलक।
                              
    हुनकर कहनाय ये जे ओ आगाँ बैढ़ के समाज के लेल आईना बनब।मुदा दुखद गोप ई ये की हुनकर मदद के लेल नै ते प्रशासन आगाँ आयब रहल ये ना ही समाज।

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