शनिवार, 19 मार्च 2011

की अहाँ के पता ये........

आय जब समूचा देश होली के तैयारी में व्यस्त अछि ओही ठाम बहुते कम लोग जानेत ये हेबेय की बिहार के पूर्णिया जिले के बनमनखी प्रखंड के सिकलिगढ़ में अखनो तक ओ स्थान सुरक्षित ये जतय होलिका प्रहलाद के आपन गोद में बैसाय के जड़ेत चिता में बैस गेल रहे आ तखने ओतय भगवन नरसिंह के अवतार भेल रहे। जाही के बाद ओ हिरण्यकश्यप के संहार करलखिन रहे।

प्राचीन कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप के महल में भक्त प्रहलाद के रक्षा के लेल एकटा खम्भा से भगवान नरसिंह प्रकट भेलखिन रहे। भगवान नरसिंह के अवतार से जुडल ओ खंभा [माणिक्य स्तम्भ] आयों ओतेय मौजूद ये। कहल जाय ये जे ई स्तंभ के कएक बेर तोड़ए के कोशिश करल गेल मुदा ई झुक ते गेल लेकिन टूट नै सकल।

हिन्दू के धार्मिक पत्रिका 'कल्याण' के ३१वें वर्षक संस्करण में सिकलिगढ़ के विशेष रूप से विवरण देल गेल ये आ बतायल गेल ये की ई भागन नरसिंह के अवतार स्थल अछि।एतय अहाँ के बतेय दी की याह जगह से हिरन नामक नदी बहय ये। आ माणिक्य स्तंभ में जे छेद ये ओय में एकटा कंकर डालने से ओ ई हिरन नदी में आयब के गिरय ये।याह जगह पर भीमेश्वर महादेव के विशाल मंदिर ये। मानल जाय छै की हिरन्यकश्यप एतय बैस के पूजा करेत रहे।

प्रहलाद स्तंभ सेवा के लेल बनायल गेल प्रहलाद स्तंभ विकाश ट्रस्ट के अध्यक्ष बद्री प्रसाद शाह बताबय ये जे ई स्तंभ के जिक्र भगवत पुराण में भी ये।ई जगह के खाश विशेषता ई ये की एतय राख आ मिटटी से होली खेलल जाय ये कियाकि जखन होलिका जैर गेल रहे आ प्रहलाद चिता से सकुशल वापस आयब गेल रहे तखन सब लोग राख आ मिटटी एक दोसरा के लगाय के ख़ुशी मनोलक रहे तखने से होली के उत्सव प्रारंभ भेल।

ट्रस्ट के सचिव संजीव जे कहैत ये जे होलिका दहन के समय ४० से ५० हजार लोग एतय जमा होए ये आ जमके राख आ मैट से होली खेलेय ये। अखनो तक मिथिला में लोग रंग के साथ साथ मैट से होली खेलय ये।एतय पर महान संत मेंही दास के पैतृक निवास स्थान भी ये।

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