
मिथिला रत्ना आ मैथिलि के प्रशिद्ध लोक गायक कुंज बिहारी मिश्र के ले आ तालबद्ध महाकवि विद्यापति के रचित गोसाउनी गीत जे मिथिला के राष्ट्र गान ये - जय जय भैरवी असुर भयाउनी के दमकोउया प्रस्तुति शुरू में ही दर्शक के ऐना बांध लेलक की ओ भोर तक अपन ठाम ही हिल नै सकल। एकर बाद श्री मिश्र जी पाहून सबहक स्वागत में - मंगलमय दिन आजू हे पहुना गाई के हुनकर स्वागत करलक।ओकर बाद ते बहुत पैघ संख्या में पहुंचल कलाकर सब अपन सुर आ संगीत से एहन समां बाँधलक की श्रोता सब मिथिला के रस में डुबकी लगाबय से अपना आप के रोक नै सकलखिन।
मिथिला के गौरव आ पहिल मैथिल फिल्म में अपन गीत दै बला स्व. महेन्द्र झा के गीत के साथ साथ विद्यापति के कठिन गीतों के भी अपन आवाज में पिरोय के गावेए वाला सुरेन्द्र प्रसाद यादव विद्यापति द्वारा रचित - माधव कट तोरा करब बड़ाई - के ऐना गौलक की लोग मंत्रमुग्ध भे गेल। ओकर बाद बारी आयल मिथिला में रफ़ी के नाम से प्रसिद्ध प्रेम सागर के धमाकेदार - दय दीअ बंगला गाड़ी हमरो शहर में - के प्रस्तुति श्रोता सब के ताली बजाबय पे मजबूर के देलक।
मिडिल स्कूल के विशाल मैदान में खचाखच भरल श्रोता के सामने अगला प्रस्तुति दय ले आयल महज पांच सालक छोट उमर से मैथिल समाज रहिका के मंच से अपन गायन कला के प्रस्तुति दय वाली १६ वर्षीय पूनम मिश्र विद्यापति के गीत - मोरा रे अंगनवा चनन केर गछिया, ताहि तर कुररय काग रे - के बाद मैथिलि झूमर - कोनो रे मासे राजा हेराईए गेलै ननदों - के झमकौआ प्रस्तुति श्रोता के नाचय पे मजबूर काय देलक।प्रसिद्ध हास्य कलाकार राम सेवक ठाकुर के संचालन में ई सांस्कृतिक समागम में राजनीत रंजन - जई ठाम सब दिन आ धन लक्ष्मी-प्रसिद्ध गीतकार आ कवी संकपिया के द्वारा रचित पैर धरती पर स उडी अम्बर छुबी रहल छै - के सफल प्रस्तुति देलका। तकर बाद ते मिथिला के पूत सब अपन अपन गायन के प्रस्तुति से लोगें सब के मन मोह लेलक, आ भोरका पहर तक श्रोता के उठय ले ने देलका।
कार्यक्रम के शुरू हुए से पहले रहिका के बीडीओ विजय कुमार के संस्था के सचिव शीतलांबर झाजी पाग आ दोपट्टा देय के सम्मानित कएलखिन।ओतय गायक सुरेन्द्र कुमार यादव के महेंद्र झाजी सम्मान प्रदान कएलखिन।कार्यक्रम के अध्यक्षता मैथिल समाज, रहिका के अध्यक्ष पूर्व मंत्री राज कुमार महासेठ कएलखिन आ स्वागत समारोह के संचालन संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष चंद्रकांत झा ललन जी कएलखिन।
ओना जे कहियो समय समय पर एहन कार्यक्रम मैथिल समाज में एकटा नबका जाग्रति लाबय ये एकटा नवचेतना सेहों फैलावे के साथ साथ ई सन्देश दए ये की मिथिला आ मैथिल के लिए लोग रात रात भैर चौराहा पर खड़ा भए सके ये। जय मिथिला- जय मैथिलि।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन मोनक भावना के एते राखु