खाड़ भए सपना नै देखबाक चाही
सुरज से आँखि नै मिलबाक चाही
टूटय ये भरम तs बड़ दरद होए ये
अहाँक एही बात बुझबाक चाही
सुरज से आँखि नै मिलबाक चाही
टूटय ये भरम तs बड़ दरद होए ये
अहाँक एही बात बुझबाक चाही
बिजली के लेल आखिरकार लोग के गोस्सा सड़क पर उतरि गेल। कैsक दिन से बिजली-पानी के लेल तरैस रहल लोग के गोस्सा फुटि पड़ल आ मुजफ्फरपुर के भोला चौक पर निकैल गेल हाथ में तख्ती आ बैनर लाs के, सब गोटे विभाग के खिलाफ जमि के नारेबाजी कएलखिन आ टायर जलाय के अपन गोस्सा के प्रकट केलाह।

चलूँ मीत आब लौट चलूँ
पश्चिमी सभ्यता के रंग में रंगल आय हम भारतवासी आय हम बिसैरी गेलों की आजुके दिन हम हिंदी साहित्य के ओ महान विभूति कए जिनकर योगदान सों आय सोंसे बिहार ही नै सोंसे भारत नेहाल ये जी हाँ हम गोप कए रहल छि मिथिला के शान,बिहार के मान,आर देश के जान फणीश्वर नाथ रेणु के जिनकर साहित्य में अमूल्य योगदान के हम कहियो नै बिसैर सकब, एता हम पाठक के लेल हुनकर संक्षिप्त जीवनी डे रहल छि...
हुनकर दिवंगत आत्मा के चिरशांति आ दुःख के ई घडी में हुनकर परिजन के धैर्य धारण करय के क्षमता प्रदान करय के लेल इश्वर से प्रार्थना करल गेल।महाकवि के आत्मा के शांति के लेल कैकटा विद्वान् आ नेता हुनकर घोर पहुंचल। महाकवि आचार्य जानकीवल्लभ शाश्त्री जी जन्म 5 जनवरी सन 1916 के औरंगाबाद के मैगरा गाम मे भेल छलन्हि. करीब सत्तर साल पहिने मुजफ्फरपुर अएला के बाद एहिठाम बसि गेलखिन्ह. एहिठाम रामदयालु सिंह कॉलेज,आरडीएस कॉलेज हिन्दी के विभागाध्यक्ष सेहो रहलखिन्ह। हुनकर निधन से सोंसे साहित्य जगत अनाथ भए गेल ये,मुदा उम्र के तकाजा कहियो आ होनी जिनकर बुलावा आबय छैक हुनका जाय से कियो नै रोकि सकय अछि। हिनकर रचना हिनकर प्रसिद्ध रचना मे मेघगीत,अवन्तिका,राधा,श्यामासं
