सोमवार, 25 अप्रैल 2011

दहेज़ मुक्त मिथिला

आय फेर ओही शब्द
हमर मोन में उछैल पड़ल
चारि साल से जे बिसरल रही
ओ फेर से गरैज पड़ल

चारि साल पहिने जखन बेटी
विदा भेल रहे
दहेज़क पिटारा में सबटा
पूंजी लए गेल रहे

कोनाकs बचेने रहों
बसमतिया चाउरक् खेत के
गाड़ी के सनेश में सेहो
बिकाs गेल रहे

याद आयल फेर एक बेर
जखन दोसर बेटी जवान भेल
फेर वही गाड़ी आ सामान के
मांग भेल

यो मैथिल ई बीमारी से बचाऊ
मिथिला के बेटा छि
दहेज़ के मिटाऊ

आँखिक पानि के कियाक मारने छि
दहेज़ के लेल कियाक मुंह फाड़ने छि

जागु यो मैथिल बुझबै कहिया
दहेज़ मुक्त मिथिला बनेबै कहिया

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