बुधवार, 27 अप्रैल 2011

रुबाइ

कतेक रास-बात हम हुनका बतेलों    
कतेक सब्ज-बाग़ हम हुनका देखेलों       
तब जाए के मानल ओ छौड़ी अभगली     
कतरि के झाड़ि पे जे हुनका चढेलों     

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अपन मोनक भावना के एते राखु