शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

हम 'पागल' छि...!!

हम 'पागल' छि
ई हम नै लोग कहे ये
ओ समय...!!

जखन हम हास्य छि, कहकहा लगाय के
की खिल जाय ये फुलवारी के सबटा फूल,
आर जखन कानय छि,चीत्कार पारि के
की छलनी भए जाय ये धरती के करेज
ओ समय लोग कहय ये...!!

जखन हम चीकरैत छि,पूरा मोन से
की गुंजाय देब अपन शंखनाद से चारो और
आ जखन हम चुप होए छि
की जेना रुकि गेल होए सांस सगे धरा
ओ समय लोग कहय ये...!!

जखन दौड़ेत छि हम पूरा वेग से
की जीत लेब जिनगी के हरेक रेस
आर जखन थकि के बैस जाय छि
की जेना ख़तम भए गेल ये जिबय की ईक्षा
ओ समय लोग कहय ये...!!

जों गायब-गुनगुनायब
हसब-मुस्कुरायब
चीखब-चिल्लाय्ब 
,रुसल-मनायब
पागलपन ये, ते हम छि
जे लोग कहय ये...!!

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