शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

स्त्रीलिंग आ पुलिंग...

खट्टर कका से पुछ्लों एक दिन
किया एहन ये भिन्न,
कियाक दाढ़ी स्त्रीलिंग ये
आ ब्लाउज या पुल्लिंग।

गोप सुनि के खट्टर कका के
पकैड़ लेलों अपन कान,
'घोर' हमर पुल्लिंग ये
स्त्रीलिंग ये 'दोकान'।
खाड़े-खाड़ खट्टर कका
दिए लागल मिसाल,
काकी के मायका
आ कका के ससुराल।

बस में चढि के अहाँ
बनि जायब नर से नारी,
संवाहको कहे लागत
आयब गेल सवारी।

ओ समय ते खट्टर कका पर
भेल गुमान,
बतेलक कोना करी जाऊ
तोता-तोती के पहचान,
दाना डालि के हिनकर
पहचान हेता,
जो चुगथीन ते तोती
चुगलाह ते तोता।
काका हाथऋषि की रचना स्त्रीलिंग और पुल्लिंग का मैथिल अनुवाद (Geeta-Kavita)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपन मोनक भावना के एते राखु