मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

दहेज़ मुक्त मिथिला -:

कनिए टा जे बढ़ल लड़की, कतेक चिंता होए ये I
देखेय बला के नज़र में, कतेक भिनता होए ये II

जुआन होए से पहिने, हुनका बताs देल जाय ये I
अहाँ दोसरक सम्पति छि, सिखाs देल जाय ये II

अपन जिनगी के अहाँ, दोसरक सेवा में लगाऊ I
घोर से डोली, आs सासुर से अपन  अर्थी उठाऊ II

सबटा दुःख ओ खाली बेटी होए के लेल सहय ये I
तखनो किया दहेज़ के लेल खाली बेटीये जरय ये ii

ई बात कियाs नै अहाँ हुनका बताबै छि I
की सासुर में अहाँक सब सपना मरि जाएत II
हाथ के मेहँदी सुखय से पहिने I
दहेज़ के हाथ अहाँक बलि चढ़ि जाएत II

कियाक नै आबोs ई सभ्य समाज सुधरय ये I
दहेज़ के बोझ से किया बेटीये बला गुजरय ये II

सब गोटे मिल के ई महामारी मिटाउ I
मिथिला के आsब दहेज़ मुक्त बनाऊ II

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