सोमवार, 11 अप्रैल 2011

आय छि फणीश्वर नाथ रेनू के पुण्यतिथि...

पश्चिमी सभ्यता के रंग में रंगल आय हम भारतवासी आय हम बिसैरी गेलों की आजुके दिन हम हिंदी साहित्य के ओ महान विभूति कए जिनकर योगदान सों आय सोंसे बिहार ही नै सोंसे भारत नेहाल ये जी हाँ हम गोप कए रहल छि मिथिला के शान,बिहार के मान,आर देश के जान फणीश्वर नाथ रेणु के जिनकर साहित्य में अमूल्य योगदान के हम कहियो नै बिसैर सकब, एता हम पाठक के लेल हुनकर संक्षिप्त जीवनी डे रहल छि... 

नाम-  फणीश्वर नाथ रेणुजन्म : ४ मार्च, १९२१।
जन्म-स्थान : औराही हिंगना, जिला पूर्णिया, बिहार, भारत।

हिन्दी कथा-साहित्य के महान रचनाकार अछि। राजनीति में सक्रिय भागीदारी निभोलक। १९४२ के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एकटा प्रमुख सेनानी की भूमिका निभोलक। १९५० में नेपाली जनता कए राणाशाही के दमन आऔर अत्याचार सों मुक्ति दिलाबै के लेल ओतोका सशत्र क्रांति आ राजनीती में जिवंत योगदान देलक
१९५२-५३ में दीर्घकालीन रोग ग्रस्तता के बाद साहित्य की ओर हुनकर अधिक झुकाव भेल आ १९५४ में पहिल उपन्यास 'मैला आँचल' प्रकाशित आ  बहुचर्चित भेल।  कथा साहित्य के अलावा संस्मरण, रेखाचित्र और रिपोर्ताज आदि विधाओं में भी ओ लिखलखिन। जीवन के संध्याकाल में राजनीतिक आंदोलन से पुन: लगाव भेल आ पुलिस दमन का शिकार आ जेलों गेल। सत्ता के दमन चक्र के विरोध में पद्मश्री तक के उपाधि के त्याग कए देलखिन।
ई महान रचनाकार के निधन ११ अप्रैल १९७७ के भए गेल हुनकर गेला से सोंसे साहित्य जगत अन्हार भए गेल।
प्रमुख कृतियाँ -
उपन्यास :- मैला आँचल, परती परिकथा, कलंक-मुक्ति, जुलूस, कितने चौराहे, पल्टू बाबू रोड।
कहानी संग्रह :- ठुमरी, अग्निख़ोर, आदिम रात्रि की महक, एक श्रावणी दोपहरी की धूप, अच्छे आदमी।
संस्मरण :- ऋणजल-धनजल, वन तुलसी की गन्ध, श्रुत अश्रुत पूर्व।
रिपोर्ताज :- नेपाली क्रांन्ति कथा।

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